Raigarh News : व्यापारी के कहने पर किया था गिरफ्तार, अदालत ने तुरंत छोड़ने को कहा, कोतवाली थाना का मामला, गरीब आदिवासी को झूठे मामले में फंसाकर की थी कार्रवाई, हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर उठाए सवाल

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रायगढ़ टॉप न्यूज 14 जनवरी। ऐसा देश में बहुत कम केस में हुआ है जब किसी मामले में याचिका के आधार पर ही गिरफ्तार व्यक्ति को छोडऩे का आदेश दे दिया जाए। पुलिस की गलत कार्रवाई के कारण एक गरीब आदिवासी जेल दाखिल कर दिया गया। राजस्व मामले में पुलिस ने बीच में कूदकर व्यापारी के पक्ष में कार्रवाई की थी। इस मामले में हाईकोर्ट ने गिरफ्तार आदिवासी को जल्द से जल्द रिहा करने का आदेश दिया है।

मामला रायगढ़ के कोतवाली पुलिस का है। स्टेशन चौक पेट्रोल पंप संचालक अजीत मेहता ने कोतवाली में शिकायत की थी। उसका आरोप है कि वार्ड नंबर 4 अंतर्गत जगतपुर पटवारी हल्का नंबर 48 के खसरा नंबर 5/2, 12/3ख, रकबा 0.3440 हे., खनं. 5/3 रकबा 1.0960 हे. और खनं 8 रकबा 0.0570 हे. कुल रकबा 1.497 हे. भूमि को वर्ष 2019 में वसीयत निष्पादित करके पीलाराम निवासी गढ़उमरिया से भूमिस्वामी हक प्राप्त किया था। इससे पहले पीलाराम ने अर्पित मेहता के नाम से 30 साल के लिए लीज में जमीन दी थी। अजीत मेहता का आरोप है कि लीज तथा वसियत के विरुद्ध पीलाराम के पुत्र मकसिरो तथा दोनों पुत्री देवमती तथा उरकुली ने ऋण पुस्तिका गुम होने का फर्जी हलफनामा देकर दूसरी किसान किताब जारी करवाई थी। इस शिकायत पर टीआई कोतवाली ने मकसिरो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।











जबकि मामला राजस्व विभाग का था और तहसीलदार-एसडीएम ने मेहता के आवेदन को खारिज कर दिया था। संपत्ति पर जिस उत्तराधिकारी का स्वाभाविक हक है, वह जेल पहुंच गया और व्यापारी वसीयत दिखा रहा है। जबकि तहसीलदार रायगढ़ ने 6 जून 2022 को आदेश दिया था कि वादग्रस्त भूमि की ऋण पुस्तिका अर्पित मेहता के पास है, इसलिए मकसिरो को दूसरी ऋण पुस्तिका प्रदान की जाए। एडवोकेट हरि अग्रवाल ने आदिवासी मकसिरो की ओर से हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दाखिल की। जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राकेश मोहन पांडे की डबल बेंच ने बिना बेल एप्लीकेशन लिए सीधे आदिवासी को रिहा करने का आदेश दिया है।

यह कहा अदालत ने
याचिकाकर्ता मकसिरो भुइहर की ओर से एडवोकेट हरि अग्रवाल ने जिरह की। इसमें छग शासन, टीआई सिटी कोतवाली और अजीत मेहता को पक्षकार बनाया गया है। अदालत ने तर्क सुनने के बाद इस मामले को विशेष मानते हुए गिरफ्तार याचिकाकर्ता को अंतरिम जमानत पररिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी माना कि अजीत मेहता ने जिस आधार पर पुलिस में शिकायत की थी उसे तहसीलदार ने रिजेक्ट किया था। फिलहाल मामला एडिशनल कमिश्नर बिलासपुर के समक्ष लंबित है। अदालत ने मकसिरो को 25 हजार के पर्सनल बॉन्ड पर रिहा करने का आदेश दिया है।

जबरन कार्रवाई का अनोखा मामला
इस केस ने रायगढ़ की पुलिसिंग पर बहुत बड़ा सवाल उठाया है। अदालत में बताया गया कि मकसिरो के पिता पीलाराम की मृत्यु के बाद जमीन की वसीयत अजीत मेहता ने अपने नाम पर दिखाई। जबकि आदिवासी की जमीन गैर आदिवासी को ऐसे नहीं मिल सकती। किसान किताब अर्पित मेहता के पास थी। इसलिए तहसील में दूसरी प्रति के लिए आवेदन किया था। तब तहसीलदार ने टीआई कोतवाली को आदेश दिया था कि दूसरी प्रति अर्पित मेहता से जब्त कर न्यायालय में प्रस्तुत करें। इसके बाद दूसरी ऋण पुस्तिका प्राप्त की गई। अदालत में हरि अग्रवाल ने तर्क दिया कि तहसील न्यायालय में प्रस्तुत शपथ पत्र को तहसीलदार ही अमान्य कर सकते हैं। जबकि उसे सही माना गया। अजीत मेहता के आवेदन को एसडीएम रायगढ़ ने भी 15 नवंबर 2022 को खारिज किया जिसके बाद एडिशनल कलेक्टर के समक्ष अपील की गई।













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