CG News: मछली पकड़ने गए ग्रामीण को बाघ ने बनाया अपना शिकार…पंजे के निशान मिलने पर विभाग ने किया था अलर्ट

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मनेंद्रगढ़। तेंदुए के बाद इलाके में अब बाघ का आतंक व्याप्त हो गया है। नदी मे मछली मार रहे ग्रामीण पर कल शाम बाघ ने हमला कर दिया। ग्रामीण की मौके पर मौत हो गई। वन अमला घटना स्थल पर मौजूद है। केल्हारी वन परिक्षेत्र अंतर्गत गूंडरु की यह घटना है। मृतक का नाम बुधलाल अगरिया है। वह गुंडरूपारा कछौड़ का निवासी था।भरतपुर सोनहत विधायक गुलाब कमरो ने गहरी संवेदना व्यक्त की है। विधायक ने वन विभाग के आला अधिकारियों से चर्चा कर बाघ को पकड़ने के निर्देश दिए हैं।











वनांचल क्षेत्र में जंगली जानवरों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। पहले आदमखोर तेंदुए ने एक के बाद एक 4 लोगों को अपना शिकार बनाया। वहीं अब बाघ ने एक ग्रामीण को मार डाला। जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत कछौड़ अंतर्गत गुंडरूपारा निवासी 40 वर्षीय बुधलाल अगरिया पिता चैतूलाल अपने साथी पंचू के साथ शुक्रवार की शाम गुंडरू नदी में मछली मारने गया था। साथी पंचू के अनुसार वह बुधलाल से करीब डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर मछली मार रहा था। अंधेरा होने पर शाम करीब 6 बजे जब वह बुधलाल के पास लौटा तो उसकी चप्पल, पैर का पंजा, मछली और मछली मारने वाली बंशी बिखरी पड़ी थी और बुधलाल गायब था। अनहोनी की आशंका पर उसने गांव पहुंचकर ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी। कुछ ग्रामीण मौके पर पहुंचे। लेकिन आसपास बिखरे मांस व खून तथा रात हो जाने की वजह से खतरे को भांपते हुए ग्रामीणों ने वापस लौटकर केल्हारी रेंजर रामसागर कुर्रे को घटना की जानकारी दी। रात हो जाने की वजह से वन अमला भी तत्काल कुछ कर पाने में असमर्थ रहा। दूसरे दिन शनिवार की सुबह रेंजर रामसागर कुर्रे वन अमले और ग्रामीणों को साथ लेकर मौके पर पहुंचे और शव की खोजबीन शुरू की। नदी से कुछ दूरी पर विभाग द्वारा ग्रामीण बुधलाल का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया।

 

पंजे के निशान मिलने पर विभाग ने किया था अलर्ट

जिसका भय था वही हुआ। शुक्रवार की सुबह बाघ के पंजे के निशान पाए जाने पर वन अमले के सतर्कता बरते जाने के साथ ही ग्रामीणों को जंगल की ओर नहीं जाने की समझाईश दी गई थी।लेकिन विभाग की समझाईश को नजरअंदाज करते हुए ग्रामीण बुधलाल अपने साथी पंचू के साथ गुंडरू नदी में मछली मारने गया और बाघ के हमले का शिकार हो गया। यदि विभाग की समझाईश को गंभीरता से लिया गया होता तो ग्रामीण बाघ का शिकार होने से बच जाता।













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