छत्तीसगढ़

CG News: हेड कांस्टेबल को अपनी की जमीन पर हुई धोखाधड़ी की एफआईआर कराने में लग गए 70 दिन, पुलिस महानिरीक्षक के हस्तक्षेप के बाद हुई कार्रवाई

 

बिलासपुर। पुलिस विभाग में कार्यरत एक हेड कांस्टेबल को अपनी पुश्तैनी जमीन पर हुई धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज कराने के लिए 70 दिनों तक इंतजार करना पड़ा। मामला तब जाकर दर्ज हुआ जब हेड कांस्टेबल ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) के समक्ष गुहार लगाई। पुलिस ने अब एक आरोपी को गिरफ्तार किया है।

मिली जानकारी के अनुसार, सिम्स चौकी में तैनात हेड कांस्टेबल प्रकाश दुबे की खमतराई में पुश्तैनी जमीन है। आरोप है कि कुछ लोगों ने मिलकर इस जमीन को जाली दस्तावेज तैयार कर किसी और को बेच दिया। इस धोखाधड़ी का पता चलने पर हेड कांस्टेबल दुबे ने सरकंडा थाने में इसकी शिकायत दर्ज कराई, लेकिन हैरानी की बात यह है कि पुलिसकर्मी होने के बावजूद उनकी शिकायत पर तत्काल कोई कार्रवाई नहीं की गई और एफआईआर दर्ज करने में लगातार देरी होती रही।

जब 70 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो प्रधान आरक्षक प्रकाश दुबे ने न्याय की उम्मीद में पुलिस महानिरीक्षक के सामने अपनी अर्जी पेश की। आईजी के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार सरकंडा पुलिस हरकत में आई और मामला दर्ज कर एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है।

प्रधान आरक्षक प्रकाश दुबे ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि वह सिम्स चौकी बिलासपुर में कार्यरत हैं और उनकी पैतृक भूमि ग्राम खमतराई में पटवारी हल्का नंबर 25, खसरा नंबर 672, रकबा 56 डिसमिल है। यह जमीन उनके दिवंगत पिता के नाम पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है और उनके हक व स्वामित्व में है। उन्होंने आरोप लगाया है कि आरोपीगण विक्रेता भैया लाल सूर्यवंशी (पिता स्व. बरण सूर्यवंशी, 75 वर्ष, निवासी पचरी घाट जूना बिलासपुर) और क्रेता अनुज कुमार मिश्रा (पिता भैया मिश्रा, 35 वर्ष, निवासी राजकिशोर नगर लिंगियाडीह थाना सरकंडा), राहुल पटवा (पिता रामलाल पटवा, निवासी बलराम टॉकीज के पास राजीव नगर थाना सिविल लाइन), और अभिषेक दुबे (पिता डॉ. जेपी दुबे, निवासी गीतांजलि पार्क, महर्षि स्कूल रोड मंगला थाना सिविल लाइन) ने आपराधिक षड्यंत्र रचकर, कूटरचित दस्तावेज तैयार किए।

रिपोर्ट के अनुसार, आरोपियों ने अवैध धन लाभ के इरादे से उनके दिवंगत पिता भैयालाल दुबे के नाम के स्थान पर भैयालाल पिता स्व. शिवचरण सूर्यवंशी नामक व्यक्ति का नाम भूस्वामी के रूप में राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करा लिया। इसके बाद फर्जी तरीके से भैयालाल सूर्यवंशी को विक्रेता के रूप में खड़ा कर 4 फरवरी 2025 को उनकी पैतृक संपत्ति का पंजीयन क्रेता अनुज कुमार मिश्रा के पक्ष में करा दिया गया। इस दौरान अग्रिम के तौर पर 5 लाख रुपये भी लिए गए। प्रधान आरक्षक दुबे ने आशंका जताई है कि इस पूरे कृत्य में राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत भी हो सकती है और उन्होंने इसकी गहन जांच की मांग की है। पुलिस फिलहाल मामले की जांच कर रही है और अन्य आरोपियों की तलाश जारी है।

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