Sarangarh News: 73 साल की उम्र में खेमराज पटेल को मिला छत्तीसगढ़ के सर्वश्रेष्ठ किसान होने का गौरव, डॉ.खूबचंद बघेल कृषि रत्न पुरस्कार से सम्मानित हुए किसान खेमराज पटेल

0
193

सारंगढ़ बिलाईगढ़, 9 नवंबर 2024/ विपरीत परिस्थितियों में भी हार नहीं मानने वाले और खेती में आधुनिक सोच तथा रिस्क लेने की प्रवृति ने किसान खेमराज पटेल को कृषि क्षेत्र में
डॉ.खूबचंद बघेल कृषि रत्न पुरस्कार दिलाया।

सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के गोमर्डा अभ्यारण्य अंतर्गत ग्राम गंधराचुंआ नवाडीह के 73 वर्ष के खेमराज पटेल की खेती के प्रति जूनून आज भी देखते बनती है। इनकी खेती के प्रति वैज्ञानिक सोच ही इन्हे कृषि क्षेत्र में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्यपाल रामेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णूदेव साय, पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिह के द्वारा 6 नवम्बर को राज्य उत्सव के दौरान रायपुर पर कृषि क्षेत्र में डा. खूबचंद बघेल कृषि रत्न दिया गया। पुरूस्कार मिलने से अपने गांव की माटी से सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले को गौरवान्वित करने से क्षेत्र में खुशी का आलम है। महज 900 जनसंख्या वाले गंधराचुंआ नावाडीह गांव वाले इस गांव खेमराज का जन्म 1 नवम्बर 1951 में हुआ था। 8 वीं तक पढ़ाई करने के बाद परिवार वालों के साथ खेत जाते थे। पर पिता को अचानक किटनी में प्राब्लम आने के बाद खेती का सारा भार इनके ऊपर आ गया।1970 से इन्होने अपने बलबुते धान की खेती शुरू कर दी। जमीन कम होने एवं कृषि संधाधन की कमी होने के वाबजूद खेती में जी तोड़ मेहनत करने लगे। उस दौरान ये मोखरा, भादो,काकर, मासुरी, दु बराज नस्ल की धान की खेती से शुरूवात की। उत्पादन भी महज 12 से 15 क्विंटल होता था। जो भी कमाई होती पिता के बिमारी एवं घर खर्च में खत्म हो जाता था। पर इन्होने हिम्मत नही हारी 1990 में बैंक से कर्ज लेकर एरिया एवं गांव में प्रथम टीवबेल खुदाई कराकर एवं 1993 में ट्रेक्टर खरीदकर धान के साथ-साथ सफरी नस्ल धान की शुरूवात की इसमें उत्पादन भी 20 क्विंटल आने लगा। वहीं रवि फसल में धान के अलावा उड़द, मुंग, सरसो की खेती होने लगी। 2001 में गेंहुं का अतिरिक्त फसल लेने लगे। इससे खेती में संपन्नता आने लगी। 2011 में 25 लाख का कृषि यंत्र खरीद कर आधुनिक खेती शुरूवात करने के बाद खेती से घर में संपन्नता आने लगी। आज ये धान, सब्जी खेती के अलावा बकरी पालन से मछली पालन से भी अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।























केले की खेती करने का दुस्साहस उठाया

खेती में अलग-अलग प्रयोग करने सोच खेमराज का हमेशा से रहा है। इनकी सोच का यही नतीजा था कि असंभव सा लगने वाली केले की खेती में भी इन्होने हाथ अजमाया। 2018 से 4 वर्ष तक इसका सफल उत्पादन कर हर साल 15 लाख तक की कमाई करने लगे। जिस कारण 13 जनवरी 2020 को प्रकृति कि ओर सोसायटी एवं उघानिकी विभाग द्वारा आयोजित प्रदेश स्तरीय फल फुल, सब्जी प्रदर्शनी में इनके केले को छत्तीसगढ़ में प्रथम पुरूस्कार मिलने पर इनकी चर्चा दूर दूर तक होने लगी और सारंगढ़ में इनके द्वारा प्रथम केले की खेती को देखेने दूर-दराज के किसान आने लगे। और इसकी खेती सीख कर कई गांव इसकी खेती शुरूवात हो गई।

कभी 6 एकड़ जमीन थी आज हो गई 20 एकड़

खेमराज पटेल जब 1970 में जब खेती की शुरूवात की थी उस समय इनके पास 6 एकड़ 66 डिसमील जमीन हुआ करती थी। आज खेती और उनकी मेहनत के बदौलत ही 20 एकड़ जमीन हो कई है। आज इनकी संपन्न्ता देखते ही बनती है। कभी इनका कच्चा खप्पर का मकान हुआ करता था अब आलीशान मकान में तब्दील हो गया है। घर सभी भौतिक सुख सुविधा के अलावा सभी प्रकार कृषि यंत्र के अलावा दो पहिया एवं चार पहिया वाहन मौजुद है।

स्वास्थ्य खराब होने पर भी रोजाना खेत देखने जाते फसल

73 वर्ष के उम्र में भी खेती के प्रति इनका समर्पण आज भी देखते ही बनता है। खेमराज बताते है कि पिछले कुछ सालों से मेरा स्वास्थ नरम-गरम रहता है। पर दिन में कम से कम एक बार फसलों को देखकर नही आता हूं खेत में 3 से 4 घंटे नही बिता लेता हूं तब तक मुझे चैन नही आता है।

कभी नही सोचा था इस उम्र में इतना बड़ा सम्मान मिलेगा

खेमराज पटेल  से चर्चा के दौरान उनके आंखों में आंसु आ गया बोले कि जीवन भर मेहनत किया इस उम्र में इतना बड़ा सम्मान मुझे मिल जायेगा कभी ख्वाब में नही सोचा था।जीवन में कई उतार चढ़ाव देखा पर कभी दिल नही भर आया जो इस सम्मान मिलने के बाद भर आया है। इस सम्मान के बाद आज मेरे मेहनत का फल आज मिला है। मेरी गांव की माटी को कोटी-कोटी प्रणाम है जिस कारण से आज मुझे यह सम्मान मिला है।



































LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here