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65000 लोगों ने 38 हजार करोड़ का घपला किया, इन्हीं में मोयरा सरिया वाले तोड़ी-सिंघानिया

 

BHOPAL. देश में काले पैसे को सफेद करने के खेल बड़े निराले हैं। अब देखिए ना, करीब 65 हजार लोगों ने 38 हजार करोड़ रुपए का गोलमाल कर डाला। सूत्रों के अनुसार, इस गड़बड़झाले में मध्यप्रदेश में इंदौर के मशहूर मोयरा सरिया ग्रुप के मालिक विमल तोड़ी और उनके साथी पवन सिंघानिया का नाम भी सामने आया है।

कोलकाता के आयकर विभाग ने जांच में खुलासा किया है कि देशभर में कई लोग फर्जी शेयर कंपनियों के जरिए अपनी काली कमाई को सफेद कर रहे थे। ये लोग सस्ते शेयर खरीदते थे, फिर शेयर की कीमतें कृत्रिम तरीके से बढ़ाकर एक साल बाद बेचते थे। इससे होने वाला मुनाफा लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहलाता है, जिस पर टैक्स नहीं लगता। बस, इसी छूट का गलत फायदा उठाकर करोड़ों की ब्लैक मनी को व्हाइट किया गया।

रिपोर्ट के मुताबिक, इंदौर के मोयरा ग्रुप के मालिक विमल तोड़ी ने अपनी पत्नी साधना तोड़ी, बेटे अविनाश तोड़ी और साथी पवन सिंघानिया के नाम से शेयरों में पैसा लगाया।

 

विमल तोड़ी ने करीब 7.36 करोड़ रुपए बनाए। साधना तोड़ी को 4.09 करोड़ रुपए मिले। बेटा अविनाश को 6.55 करोड़ रुपए का फायदा हुआ। पवन सिंघानिया ने 3 करोड़ कमाए। निधि सिंघानिया के नाम पर 5 करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा दिखाया गया। इनके अलावा कुछ कंपनियों और परिवारों के नाम से भी 35 करोड़ रुपए की अघोषित कमाई पकड़ी गई है।

कहां से शुरू हुआ मामला
इस खेल की शुरुआत 2015 में हुई थी, जब आयकर विभाग ने मोयरा ग्रुप पर छापा मारा था। तब से जांच चल रही थी। इसमें पता चला कि विमल तोड़ी ने सिर्फ 1 रुपए में शेयर खरीदे थे। फिर वही शेयर कुछ ही महीनों में 435 रुपए के भाव पर बिके। ऐसे में 1.70 लाख रुपए सीधे 7.40 करोड़ रुपए बन गए। ये पैसा ब्लैक मनी थी, जिसे इस तरीके से सफेद किया गया।

आयकर विभाग ने जब छानबीन की तो हवाला चैन, फर्जी कंपनियों के रिकॉर्ड, सीए के बयान और बैंक लेन-देन से पूरा मामला सामने आया। इस घोटाले में शामिल लोग 6% कमीशन पर यह काम करते थे।

क्या किया कोलकाता आयकर विभाग ने?
कोलकाता स्थित आयकर निदेशालय (जांच) ने अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत फर्जी प्रविष्टि (Accommodation Entry) ऑपरेटरों की जांच की थी। इसमें पता चला कि कुछ लोग फर्जी एंट्री ऑपरेटर बनकर कागजों पर ही झूठे सौदे दिखा रहे थे। इसके लिए इन्होंने सस्ती कंपनियों के शेयर (पेनी स्टॉक) खरीदे और बेचे।

जांच में ऐसे 84 शेयर पकड़े गए, जो बीएसई (स्टॉक एक्सचेंज) में लिस्टेड थे। इसके अलावा, 32 से ज्यादा शेयर ब्रोकिंग कंपनियों के दफ्तरों पर छापा मारा गया। पूछताछ में इन कंपनियों ने माना कि वे भी इस फर्जीवाड़े में शामिल थीं।

कितने लोग इसमें फंसे?
जांच में आयकर विभाग को ऐसे 64 हजार 811 लोगों के नाम मिले हैं, जिन्होंने इस रास्ते से अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट किया। उन्होंने करीब 38 हजार करोड़ रुपए टैक्स से बचाकर छूट के नाम पर कमाए।

अब यह पूरी रिपोर्ट भारत के अलग-अलग टैक्स दफ्तरों को भेज दी गई है, ताकि आगे कार्रवाई हो सके। बताया जाता है कि इन्हीं में इंदौर के मोयरा सरिया वाले तोड़ी और सिंघानिया का नाम है।

कैसे हुआ पूरा खेल?
रिपोर्ट में बताया गया कि पहले लोगों को बहुत सस्ते दाम पर बेकार कंपनियों के शेयर दिलाए जाते थे – कभी एक्सचेंज से, तो कभी सीधे। फिर शेयर की कीमतें कृत्रिम तरीके से कई गुना बढ़ाई जाती थीं। जब दाम बहुत बढ़ जाते, तब उन्हें बेच दिया जाता।

दिखावे के लिए ये शेयर किसी फर्जी कंपनी को बेचे जाते थे। असल में सारा पैसा नकद में ही इधर-उधर होता था। शेयर ऑपरेटर इस पैसे को कई कागजी कंपनियों के खातों में घुमाकर वापस असली मालिक तक पहुंचा देते थे।

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