20 साल में नीतीश कुमार के 17 बड़े फैसले! अगले पांच साल बिहार के लिए क्या होगा बड़ा?

बिहार की राजनीति में चाहे कोई आए या जाए, लेकिन पिछले दो दशकों से एक नाम हर सरकार के केंद्र में रहा नीतीश कुमार. इतने सालों में बिहार की सत्ता कई बार बदली, गठबंधन टूटे-बने, मगर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर ज्यादातर एक ही व्यक्ति बैठा रहा.
अब नीतीश कुमार 10वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. यह रिकॉर्ड न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश में किसी भी नेता के नाम नहीं है.
दिलचस्प बात यह है कि नीतीश कुमार राजनीतिक पाला जितनी बार बदलते हैं, सरकार भी उसी हिसाब से बदल जाती है लेकिन CM वही बने रहते हैं. पिछले 10 साल में उन्होंने दो बार RJD के साथ और दोबारा NDA के साथ सरकार बना ली. लेकिन कुर्सी कभी नहीं गई. आइए अब जानते हैं 2005 से लेकर 2025 तक नीतीश कुमार के कौन-कौन से बड़े फैसले लिये.
20 साल में नीतीश के फैसलों का सफर
पिछले दो दशकों में नीतीश कुमार ने बिहार की सियासत में बड़े फैसले किए, कई नीतियां बनाईं और विकास की कई योजनाएं चलाईं. आइए इन्हें एक-एक करके समझते हैं.
2005-2010: विकास मॉडल की शुरुआत
- बिहार के विकास का नया दौर शुरू, सड़क, पुल और ग्रामीण सड़कें बनाने पर जोर.
- महिला सशक्तिकरण के लिए लड़कियों को साइकिल योजना शुरू की गई.
- शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा सेवा में सुधार पर ध्यान दिया गया.
- ग्राम पंचायतों और नगर निकायों में महिलाओं को 50% और ओबीसी/अतिपिछड़ों को आरक्षण दिया गया.
- कृषि विकास के लिए कृषि रोड मैप लागू किया गया.
2010-2015: सुशासन, बिजली और शराबबंदी की तैयारी
- सुशासन के तहत हर घर बिजली पहुँचाने की योजनाओं को आगे बढ़ाया.
- शराबबंदी लागू की गई (2016 में पूर्ण रूप से लागू).
- 7 निश्चय योजना शुरू हुई, जिसमें हर घर नल जल, शौचालय, सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार प्रमुख थे.
- सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणाली और लोक शिकायत निवारण कानून लागू किया गया.
2015-2020: शिक्षा-स्वास्थ्य में निवेश और युवाओं पर फोकस
- स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई गई.
- नौकरी और स्वरोजगार के लिए युवाओं को वित्तीय सहायता दी गई, कई स्टार्टअप और स्वरोजगार योजनाएँ लागू की गईं.
- हर जिले में बाइपास निर्माण शुरू हुआ.
- महिलाओं और गरीबों के लिए विशेष कल्याणकारी योजनाएं शुरू की गईं.
2020-2025: रोजगार, विकास परियोजनाओं और ‘सात निश्चय-2’ पर जोर
- युवा रोजगार योजनाओं पर विशेष जोर, पहले 10 लाख युवाओं को नौकरी, अगले 5 साल में एक करोड़ रोजगार का लक्ष्य घोषित.
- सात निश्चय-2 योजना पर काम तेज किया गया.
- गांव गांव तक विकास की किरणें पहुंचाईं, हर खेत में सिंचाई, हर घर नलजल, मुफ्त बिजली (125 यूनिट तक) जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराईं.
- बजट में बड़े पैमाने पर वृद्धि, नये विकास परियोजनाओं का उद्घाटन सीएम ने किया.
नीतीश कुमार कब-कब बैठे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर?
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का सफर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा है. वह अब तक कई बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं. पहली बार वह मार्च 2000 में सीएम बने, लेकिन बहुमत न होने के कारण सिर्फ सात दिन बाद ही इस्तीफा देना पड़ा.
असल शुरुआत 2005 से मानी जाती है, जब उन्होंने चुनाव में लालू प्रसाद के वर्चस्व को खत्म कर NDA सरकार बनाई और नवंबर 2005 से 2010 तक पूरा कार्यकाल पूरा किया.
2010 के चुनाव में भी उन्हें बड़ी जीत मिली, जिसके बाद वह फिर मुख्यमंत्री बने. हालांकि 2014 लोकसभा चुनाव में जदयू की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी को सीएम बनाया, लेकिन फरवरी 2015 में एक बार फिर खुद मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली.
नवंबर 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को भारी सफलता मिली, और उस सरकार में भी नीतीश ही मुख्यमंत्री रहे, लेकिन 2017 में राजद से टकराव के बाद उन्होंने इस्तीफा देकर गठबंधन तोड़ दिया. फिर NDA में लौटकर जुलाई 2017 में छठी बार सीएम बने और सरकार 2020 तक चली.
2020 चुनाव में जदयू का प्रदर्शन कमजोर रहा, फिर भी एनडीए ने उन्हें 7वीं बार मुख्यमंत्री बनाया. 2022 में उन्होंने फिर महागठबंधन का रुख किया और 8बार सीएम बने. इसके बाद 2024 में उन्होंने फिर से NDA में वापसी की और 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
अब वे 10वीं बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं, जिससे वे देश में यह उपलब्धि हासिल करने वाले पहले नेता बन चुके हैं.
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