Raigarh News: मनरेगा में पारदर्शिता की नई पहल: क्यूआर कोड से एक क्लिक में मिलेगी पारदर्शी जानकारी, रायगढ़ की 549 पंचायतों में शुरू हुआ क्यूआर कोड सिस्टम

रायगढ़, 2 सितम्बर 2025/ महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ने रायगढ़ जिले में डिजिटल युग में कदम रखते हुए ग्रामीण विकास में एक नया अध्याय जोड़ा है। केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त पहल से शुरू हुई क्यूआर कोड आधारित इस अभिनव प्रणाली ने मनरेगा कार्यों को पारदर्शी और ग्रामीणों के लिए सुलभ बना दिया है। अब एक साधारण स्कैन के जरिए ग्रामीण पिछले पांच वर्षों में स्वीकृत सभी व्यक्तिगत और सामुदायिक कार्यों की विस्तृत जानकारी, जैसे कार्य का विवरण, व्यय और प्रगति, तुरंत प्राप्त कर सकेंगे। यह पहल न केवल प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाएगी, बल्कि ग्रामीणों को अपने गांव के विकास की निगरानी का अधिकार प्रदान करेगी और कार्य में पारदर्शिता आएगी।
पहले, मनरेगा योजनाओं की जानकारी प्राप्त करना ग्रामीणों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था। पंचायत कार्यालयों या ब्लॉक स्तर के दफ्तरों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ते थे, और कई बार जानकारी अधूरी या अस्पष्ट मिलती थी। ग्रामीण पूरी तरह से प्रशासनिक अधिकारियों पर निर्भर रहते थे, जिसके कारण अनियमितताओं की शिकायतें आम थीं। जानकारी का अभाव और तकनीकी संसाधनों की कमी ने ग्रामीणों को अपनी योजनाओं की प्रगति पर नजर रखने से वंचित रखा। हालांकि, कुछ जागरूक ग्रामीण या सामाजिक कार्यकर्ता ग्राम सभाओं और नोटिस बोर्ड के माध्यम से सीमित जानकारी प्राप्त कर पाते थे, लेकिन यह प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली थी।
अब क्यूआर कोड की शुरुआत ने इस स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है। सितंबर माह से जिले के सात ब्लॉकों—रायगढ़, खरसिया, पुसौर, घरघोड़ा, लैलूंगा, तमनार और धरमजयगढ़ के सभी 549 पंचायतों में क्यूआर कोड को पंचायत भवनों में चस्पा किया जा रहा है। इन कोड्स को स्मार्टफोन से स्कैन करके कोई भी व्यक्ति मनरेगा के तहत हुए कार्यों, उनके बजट और प्रगति की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेगा। यह सुविधा ग्रामीणों को समय और श्रम की बचत के साथ-साथ सूचना के अधिकार को सशक्त बनाएगी। जिला पंचायत सीईओ के अनुसार, यह पहल केंद्र सरकार की डिजिटल इंडिया और राज्य सरकार की पारदर्शिता नीतियों का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों को विकास प्रक्रिया का सक्रिय भागीदार बनाना है।
इस डिजिटल परिवर्तन का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह ग्रामीणों को सशक्त बनाएगा। अब वे स्वयं अपने गांव के कार्यों की निगरानी कर सकेंगे और किसी भी अनियमितता की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज करा सकेंगे। उदाहरण के लिए, यदि कोई कुआं निर्माण या सड़क विकास कार्य में गड़बड़ी हो, तो क्यूआर कोड से प्राप्त जानकारी के आधार पर ग्रामीण कार्रवाई कर सकेंगे। इसके अलावा, यह पहल डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देगी, क्योंकि ग्रामीणों को स्मार्टफोन और क्यूआर कोड स्कैनिंग जैसी तकनीकों से परिचित होने का अवसर मिलेगा। जिला प्रशासन द्वारा पंचायत स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग इस तकनीक का उपयोग कर सकें।
ग्रामीणों में इस पहल को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। खरसिया ब्लॉक के एक ग्रामीण ने कहा, पहले हमें कार्यों की जानकारी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था, लेकिन अब क्यूआर कोड से सब कुछ एक क्लिक में मिलेगा। यह हमारे लिए बहुत बड़ी सुविधा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मॉडल न केवल रायगढ़, बल्कि अन्य जिलों के लिए भी एक नजीर बनेगा। यह ग्रामीण विकास में डिजिटल तकनीक की भूमिका को और मजबूत करेगा। रायगढ़ में मनरेगा का यह डिजिटल रूपांतरण ग्रामीणों को सूचना का लोकतंत्रीकरण प्रदान करेगा। यह न केवल योजनाओं में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि ग्रामीणों को अपने विकास का हिस्सेदार बनाकर सामुदायिक निगरानी को बढ़ावा देगा। सितंबर से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया से जिले में एक नई पारदर्शिता की लहर आएगी, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सशक्तिकरण को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी।














