भोपाल। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में सीनियर अधिकारियों को दरकिनार कर भ्रष्टाचार में लोकायुक्त में दर्ज एफआईआर वाले अधिकारी को कलेक्टर का अतिरिक्त प्रभार दे दिया। इतना ही नहीं आदेश जारी करने को लेकर भी गंभीरता बरती गई। प्रदेश के तीन टॉप अफसर फाइल में एक गलती को नहीं पढ़ सके। सभी ने 2008 बैच के अफसर को 2006 का बता कर अनुमोदन कर दिया।
दरअसल, हाल ही में मुरैना कलेक्टर अंकित अस्थाना के 8 दिन छुट्टी पर जाने के बाद जूनियर एडिशनल कलेक्टर को प्रभार सौंपा गया। जबकि छिंदवाड़ा में एक महीने पहले ही 300 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले में लोकायुक्त ने इच्छित गढ़पाले पर मामला दर्ज किया है।





सूत्रों का कहना है कि जीडीए के अफसरों ने कलेक्टर की छुट्टी की फाइल उनका प्रभार लेने वाले अफसरों के नाम भेजे थे। उसमें इच्छित का बैच 2008 की जगह 2006 लिखा गया। इसके चलते चीफ सेक्रेटरी सीनियरटी के आधार पर इच्छित गढ़पाले को 7 दिन का प्रभारी कलेक्टर बनाने का आदेश जारी कर दिया।
जीडीए के बाबू द्वारा तैयार अफसरों के नाम की फाइल डिप्टी सेक्रेटरी और विभाग के पीएस दीप्ति गौड़ मुखर्जी के पास पहुंची। तीनों अधिकारियों ने इस फाइल को गलती के साथ ही आगे बढ़ा दिया। इसके बाद यह फाइल अपने फाइनल डेस्टिनेशन चीफ सेक्रेटरी के दफ्तर पहुंची। यहां से भी बिना जांच के ही उसका अनुमोदन कर दिया गया।
