हृदय की मलीनता मिटा कर प्रेम पूर्वक सभी से गले मिले :- पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम

0
165

हृदय की मलीनता मिटा कर प्रेम पूर्वक सभी से गले मिले :- पूज्य बाबा प्रियदर्शी राम

अघोर रंग में भीगने उमड़ पड़े शहरवासी

रायगढ़ :- चैत माह में आई होली पर शहर वासियों को नववर्ष की बधाई देते हुए अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा के संस्थापक प्रियदर्शी राम जी में कहा होली के पावन अवसर पर मन की मलीनता वैमनस्यता को दूर कर सभी को प्रेम पूर्वक गले लगाए। अघोर पंथ से जुड़े भक्त होली खेलने की शुरुवात बनोरा आश्रम में गुरु चरणों में शीश नवाने के बाद ही शुरू करते है। सोमवार प्रातः से ही भक्त बाबा प्रियदर्शी के हाथो खेलने कतार बद्ध होने लगे।

प्रातः 9 से 12 बजे अपरान्ह तक बाबा प्रियदर्शी राम कतार बद्ध भक्तो के साथ होली के आयोजन में शामिल रहे। इस दौरान आश्रम परिसर में ही भजन मंडली फाग गीत भी गाती रही। होली में दिए संदेश में पूज्य पाद प्रियदर्शी ने होली के रंगों को प्रेम व करुणा का रंग बताते हुए कहा हर व्यक्ति को प्रेम के रंगों में रंग जाना है। हर मनुष्य को अपने अंदर दूसरो के प्रति मौजूद ईर्ष्या विद्वेष के भाव को निकालना है। प्रेम दया करुणा सहिष्णुता क्षमा सद भाव जैसे दैवीय सद्गुणों को विकसित करने की आवश्यकता जताते हुए कहा अच्छे गुणों से मनुष्य देव तुल्य हो जाता है ऐसी स्थिति में मनुष्य को किसी को पूजने की जरूरत नही है ।

दैवीय गुणों से मनुष्य के जीवन में सुख शांति समृद्धि आने लगती है। तभी वह तनाव मुक्त होकर दीर्घायु को प्राप्त होता है। साथ साथ अन्य लोगो के लिए भी उसका जीवन प्रेरणा दाई बन जाता है । होली का त्यौहार यही संदेश देता है कि अपने अंदर मौजूद वैचारिक विकारों को दूर करते हुए किसी के प्रति भी वैमनस्यता का भाव नही रखे। अपने हृदय को साफ रखते हुए जीवन में गले शिकवे दूर करे। कोई दूसरा हमारा साथ कैसा व्यवहार करता है इसे देखने समझने की बजाय हमे अच्छा व्यवहार करने में ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

क्योंकि जैसा हम सोचते है हमारा जीवन भी वैसे ही बन जाता है।चैत माह के अनुसार इस होली को नव वर्ष की शुरुवात बताते हुए बाबा प्रियदर्शी ने कहा हिंदू संस्कृति के अनुसार नव वर्ष की शुरुवात ध्यान धारणा पूजा पाठ एवम शक्ति की उपासना से की जाती है ताकि जीवन में किसी प्रकार का भटकाव नही हो।

स्वस्थ रहते हुए सकारात्मक ऊर्जा लेकर घर परिवार समाज राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सके जबकि पश्चिमी सभ्यता में नव वर्ष की शुरुवात धूम धड़ाके नाच गाने एवम नशे के सेवन से शुरू होती है जिसका दुष्प्रभाव आज स्पष्ट देखा जा सकता है। पूज्य बाबा ने पश्चिमी सभ्यता से बचने की सलाह भी दी है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here