छत्तीसगढ़ सरकार ने किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत राज्य के 10 जिलों में किशोर न्याय बोर्ड का पुनर्गठन किया है।
इस पुनर्गठन के अंतर्गत, न्यायिक मजिस्ट्रेटों को बोर्ड के प्रधान न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है।





यह कदम किशोर न्याय प्रणाली को मजबूत करने और बाल अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 (2016 का स. 2) की धारा 4 की उपधारा (1) एवं (2) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट को किशोर न्याय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अधिसूचित किया गया है।
यह बोर्ड विधि से संघर्षरत बच्चों के मामलों की जांच, सुनवाई, निस्तारण और पुनर्वास के लिए गठित न्यायपीठ हैं।
