Raigarh News: अष्टमहालक्ष्मी मंदिर वैष्णवी धाम पंडरीपानी में होगा त्रिदिवसीय वार्षिकोत्सव

11,12 एवं 13 दिसम्बर को विश्व शांति श्री शक्ति महायज्ञ में शामिल होकर बनें पूण्य के भागी-पंडित रविभूषण शास्त्री
रायगढ़ टॉप न्यूज 07 दिसंबर। माँ अष्टमहालक्ष्मी मंदिर वैष्णवी धाम,पंडरीपानी ( पूर्व/) रायगढ़ में प्रथम वार्षिकोत्सव के अवसर पर त्रिदिवसीय विश्व शांति श्री शक्ति महायज्ञ जनकल्याण,धन,ऐश्वर्य,सुख,समृद्धि की प्राप्ति हेतु भव्य महायज्ञ का आयोजन अगहन माह के अंतिम गुरुवार दिनांक 11, 12 एवं 13 दिसंबर 2024 को किया जा रहा है ज्योतिषाचार्य मां महालक्ष्मी सेवक आचार्य पंडित श्री रवि भूषण शास्त्री ने समस्त श्रद्धालु जनों को वार्षिकोत्सव एवं महायज्ञ में पूण्य के भागी बनने के लिये अधिक से अधिक संख्या में शामिल होने अपील किया है।
हरियाली के बीचोंबीच विराजी है माँ अष्टमहालक्ष्मी
गजमार पहाड़ी के पीछे ग्राम पंडरीपानी में हरियाली से आच्छादित महालक्ष्मी मंदिर जहाँ स्वयं माँ लक्ष्मी विराजी हुई हैं मंदिर में प्रवेश करते ही अलग अनुभूति होती है वही माता के ज्यो ही दर्शन होते है तो हमारे दोनों हाथ स्वमेव माता की ओर आश्रित एवं भावपूर्ण आगे हो जाते हैं लगता है आज हमारे समस्त दुःख कष्ट माँ लक्ष्मी हर लेगी। पंडरीपानी स्थित महालक्ष्मी मंदिर की नींव 2017 में रख निर्माण कार्य आरंभ किया गया जो 2023 में पूर्ण हुआ और माता कृपा से प्राणप्रतिष्ठा 6 दिसंबर से 10 दिसंबर के शुभ मुहूर्त में किया गया। शास्त्री जी ने बताया कि मंदिर में 10 महाविद्या-तारा,काली,छिन्नमस्ता,षोडसी,भुवनेश्वरी,त्रिपुरभैरवी,धूमावती,बगुलामुखी,माँ मातंगी,माँ कमला हैं,वही माँ कमला माँ विमला माँ मंगला और भैरव बाबा भी विराजे है
वैष्णवदेवी धाम से 3 पिंडी महालक्ष्मी,महाकाली,महासरस्वती लाकर स्थापित किया गया है ,वही 12 गजदेवता है सीढ़ी के द्वार में बैठे हैं माता के द्वारपाल -जय विजय हैं तो द्वार में गजलक्ष्मी बैठी हैं मंदिर में 11 छोटा गुम्बज और बड़ा नीलचक्र स्थापित है,शास्त्री जी ने बताया कि मंदिर प्रांगण में प्राचीन प्राकृतिक कुआ है, जिसे सप्ततीर्थ कूप कहते है जिसमे
जजमान को स्नान कराने से ग्रह दोष की शांति होती है।मंदिर के नीचे भवन का नाम शास्त्री जी ने अपनी माँ स्व. श्रीमती प्रियंबदा मिश्रा के नाम प्रियंबदा भवन रखा है।
शास्त्री जी ने दी वार्षिकोत्सव की विस्तृत जानकारी
आचार्य पंडित रविभूषण शास्त्री जी ने बताया कि प्रथम वार्षिक उत्सव के अवसर पर अगहन माह के अंतिम गुरुवार दिनांक 12 दिसंबर को प्रातः 9:00 बजे से 1008 श्री सूक्त पाठ से मां महालक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्ति हेतु 24 घंटे का अखंड हवनात्मक पाठ के साथ हवन किया जाएगा जो भक्तगण इस श्री सूक्त पाठ के हवन में किसी भी समय बैठना चाहते हैं वह अपना नाम पंडित जी के पास लिखवा सकते हैं पंडित जी ने कार्यक्रम के विवरण मैं बताया कि दिनांक 11 दिसंबर बुधवार को कलश स्थापना एवं वेदी पूजन प्रातः 9:00 बजे से 1:00 बजे तक एवं सायं 3:00 बजे से 6:00 तक तथा दिनांक 12 दिसंबर दिन गुरुवार को प्रातः 9:00 बजे से 13 दिसंबर की प्रातः 10:00 बजे तक अखंड श्री सूक्त मंत्रो के 1008 हवनात्मक पाठ का आयोजन तथा दिनांक 13 दिसंबर दिन शुक्रवार को प्रातः 10:30 बजे पूर्णाहुति एवं महाआरती साथ ही पुष्पांजलि वही दोपहर 12:00 बजे से महालक्ष्मी जी का महाप्रसाद भंडारा किया जाएगा।