आदिवासी नेता मंगल मुंडा के निधन पर सीएम साय ने दी श्रद्धांजलि, भगवान बिरसा मुंडा के थे वंशज

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रायपुर। धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के वंशज मंगल मुंडा का आज शुक्रवार को निधन हो गया। इससे छत्तीसगढ़ में शोक की लहर है। प्रदेश के आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासी समाज के लोग गमगीन हैं। उनके निधन पर प्रदेश के मुखिया सीएम विष्णुदेव साय ने शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि दी है।

सीएम साय ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि ‘धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा के वंशज श्री मंगल मुंडा जी के निधन का समाचार दुःखद है। भगवान से दिवंगत आत्मा की शांति एवं शोक संतप्त परिजनों, उनके शुभचिंतकों को संबल प्रदान करने की प्रार्थना करता हूँ।























आदिवासी नेता बिरसा मुंडा के पड़पोते मंगल मुंडा ने रांची के अस्पताल में अंतिम सांस ली। एक अधिकारी ने बताया कि हृदय गति रुकने की वजह से उनका निधन हो गया। जानकारी के मुताबिक, मंगल मुंडा 45 वर्ष के थे। उन्होंने राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में रात साढ़े 12 बजे अंतिम सांस ली। बताया गया कि झारखंड के खूंटी जिले में 25 नवंबर को एक यात्री वाहन की छत से गिरने के कारण मुंडा के सिर में गंभीर चोट आई थी। तब से अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

मंगल मुंडा की रात करीब साढ़े 12 बजे हृदय गति रुकने से मौत हो गई। गंभीर रूप से घायल मंगल मुंडा को वेंटिलेटर पर रखा गया था। हमने उन्हें बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन असफल रहे। मंगल मुंडा को मंगलवार को खूंटी सदर अस्पताल से रिम्स रेफर किया गया था। उनके मस्तिष्क में गंभीर चोट आई थी और मस्तिष्क के दोनों तरफ खून के थक्के जम गए थे। मंगलवार को रिम्स के ‘न्यूरोसर्जरी विभाग’ के विभागाध्यक्ष डॉ आनंद प्रकाश के नेतृत्व में उनकी सर्जरी हुई थी।

बिरसा मुंडा ने दी थी ब्रिटिश शासन को चुनौती

वर्तमान झारखंड में 1875 में जन्मे बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन को चुनौती दी थी और उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आदिवासियों को संगठित करने का श्रेय दिया जाता है। ब्रिटिश हिरासत में 25 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई। झारखंड का निर्माण 15 नवंबर को हुआ था। 15 नवंबर को आदिवासी प्रतीक ‘धरती आबा’ (धरती के पिता) की जयंती मनाई जाती है।



































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