छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान थे पं. स्वराज्य त्रिवेदी- लोकेश कावड़िया

शकुंतला चो लेजा गीत बस्तर को जानने समझने के लिए महत्वपूर्ण संग्रह

रायपुर। छत्तीसगढ़ साहित्य एवं संस्कृति संस्थान, प्रेस क्लब रायपुर और नारी का संबल पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में पत्रकारिता और साहित्य के पुरोधा पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी जयंती एवं समीक्षा गोष्ठी, छत्तीसगढ के विकास में पत्रकारिता का योगदान विषय पर एक दिवसीय गोष्ठी का आयेजन गत दिवस किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि राज्य निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष लोकेश कावड़िया ने कहा कि निर्भीक और रचनात्मक पत्रकारिता की नींव पं. स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने डाली है। पं. त्रिवेदी छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान थे। साहित्य और पत्रकारिता का सुंदर संगम उनके लेखनी में मिलता है। युवा पत्रकार और साहित्यकार उनकी शैली से जुड़कर पत्रकारिता को नया आयाम दें। उन्होंने कहा कि शकुंतला तरार की हलबी गीत संग्रह शकुंतला चो लेजा गीत बस्तर को जानने समझने के लिए महत्वपूर्ण संग्रह है। इससे हलबी की समृद्धि बढ़ रही है।

समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ भाषाविद डॉ चित्तरंजन कर ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ को हमेशा स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी पर गर्व रहेगा। पत्रकारिता और साहित्य एक दूसरे के पूरक हैं। एक पत्रकार पहले साहित्यकार होता है, दोनों जन एक दूसरे से जुड़े हैं। डॉ. कर ने कहा कि हम जयंती के माध्यम से नया विमर्श करते हैं। व्यक्तित्व के अनेक आयाम और ज्यादा खुलते हैं। आज की लेखिका शकुंतला तरार ने अपनी कृति में आदिवासी संस्कृति के मर्म को प्रस्तुत किया है। मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज ने कहा कि छत्तीसगढ़ के विकास में पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी का महत्वपूर्ण योगदान है। आजादी से पहले, आजादी के बाद और राज्य बनने के आरंभिक वर्षों में उन्होंने साहित्य, संस्कृति, पत्रकारिता, भाषा आदि के क्षेत्र को संवर्धित किया। वे लोक जागरण के पत्रकार और साहित्यकार थे। शंकुतला तरार ने हलबी के साहित्य को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है, इससे हलबी का वैभव बढ़ रहा है।विशिष्ट अतिथि डॉ माणिक विश्वकर्मा ने कहा कि बीज से महावृक्ष की यात्रा पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी ने की। वे राष्ट्र के लिए समर्पित रचनाकार थे। प्रारंभ में संयोजक डॉ सुधीर शर्मा ने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता के सेतु थे पं त्रिवेदी। पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी की परपोती नित्या त्रिवेदी ने पं त्रिवेदी का परिचय दिया। शकुंतला तरार ने अपनी पुस्तक पर विचार रखे। पूर्व मंत्री एवं विधायक सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि पं त्रिवेदी अपने समय के राजनीतिक परिचितों को कहा करते उनका आचरण ही उनका बचाव करती है। पं स्वराज्य के काम को आगे बढ़ाना है।

शकुंतला तरार की पुस्तक हलबी गीत संग्रह शकुंतला चो लेजा गीत पर समीक्षा करते हुए संस्कृति विशेषज्ञ अशोक तिवारी ने कहा कि हलबी बस्तर की संपर्क भाषा है। हलबी में लिखे गीत बस्तर की संस्कृति की विशेषता बताते हैं। हलबी का लोक साहित्य अत्यंत समृद्ध है। समीक्षा करते हुए पुरातत्ववेत्ता जी एल रायकवार ने कहा कि लेजा गीत बस्तर में अत्यधिक प्रचलित है। इसमें युवक युवतियों के आपसी संवाद होते हैं। सौ गीतों में इस संग्रह में सांस्कृतिक रूप प्रकट होकर आए हैं। हास्य, व्यंग्य और इतिहास के प्रसंग हैं।प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर ने कहा कि हम अपने पुरखों की परंपरा का पालन कर रहे हैं। पं स्वराज्य प्रसाद त्रिवेदी की लेखनी ने अनेक पीढ़ियों का निर्माण किया है। वे छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान हैं।

इस अवसर पर, डॉ. स्नेहलता पाठक, डॉ सीमा निगम, श्री मीर अली मीर, डॉ. सुशील त्रिवेदी, डॉ. महेंद्र ठाकुर, सर्वश्री सुरेन्द्र रावल, उदयभान सिंह, जसवंत क्लाडियस, डॉ सीमा श्रीवास्तव, लतिका भावे, शिरीष त्रिवेदी, राजेश जैन, वीरेंद्र पांडे, सुरेश मिश्र, उर्मिला उर्मि, संदीप तरार, ललित वर्मा, शंकर नायडू, भारती यादव, अंजू यदु, नीलिमा मिश्रा, मीना शर्मा, माधुरी कर सहित पत्रकार,जनप्रतिनिधि, साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

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