नेपाल में भड़का जनाक्रोश क्या 21वीं सदी की एक राजनीतिक क्रांति है?

Binod Kumar Chowdhary: भारत के पड़ोसी देश नेपाल में सत्ता पक्ष के भ्रष्टाचार के खिलाफ़ भड़का जनाक्रोश 21वीं सदी की राजनीतिक एवं सामाजिक क्रांति का एक आईना है। जनता खासकर युवा वर्ग सरकार की नीतियों एवं भ्रष्टाचार से ऊबकर सड़क पर आ गई है जो कि एक इशारा है कि इस आधुनिक युग में कोई सत्ताधारी दल अपने को सुरक्षित न समझे कि वो कुछ भी कर सकती है और जनता बस मूकदर्शक होकर उन्हें देखती रहेगी।
सन् 2008 में राजतंत्र के खात्मे के बाद से ही नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता रही है। केवल कृषि और पर्यटन के भरोसे चलनेवाला यह देश हमेशा से दूसरे देशों के भरोसे ही अपनी नईया को ख़ेवते रहा है। आम–जनता पर अत्यधिक टैक्स के बोझ और राजनेताओं की भर रही झोली के साथ–साथ उनकी उच्च जीवनशैली ने इस गरीब देश की जनता में पिछले कई वर्षों से आक्रोश पैदा कर रही थी जो आज सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। इस जनाक्रोश की खास बात यह है कि इसका नेतृत्व Gen Z कर रहे है जो मूलतः 30 वर्ष से कम उम्र के युवाओं का एक समूह है। इस समूह में विशेष रूप से स्कूल एवं कॉलेज में पढ़ रहे छात्र–छात्राएं हैं जो कि सरकार की नीति एवं रीति से दुखी थे। हालांकि इस जनाक्रोश में युवा वर्ग का साथ देने के लिए अन्य वर्ग भी शामिल हो गए हैं और यह जनसैलाब ने इस कदर अपनी उग्रता को दिखाया है कि वहां की सरकार त्यागपत्र देने के साथ–साथ अपनी जान बचाने के लिए भागे फिर रही है।
पिछले कुछ समय में भारत के दो पड़ोसी देशों नेपाल और बांग्लादेश में शीर्ष नेताओं को आंदोलनों के कारण पद छोड़ना पड़ा, जिससे सत्ता परिवर्तन हुआ। पिछले वर्ष बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़ दिया। इसी तरह, नेपाल में केपी शर्मा ओली ने वर्तमान देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़ने की योजना बना रहे हैं। नेपाल में बन रहे हालात बांग्लादेश जैसे ही हो रहे हैं। अगर हालात नहीं सुधरे तो केपी शर्मा ओली को भी देश छोड़ना पड़ सकता है। साल 2024 में शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन ने सरकार पर निरंकुश होने का आरोप लगाया गया और शेख हसीना को हटाने की मांग की गई। इस तरह नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी ने पहले राजशाही के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया और 2008 में अंततः राजशाही को औपचारिक रूप से समाप्त कर दिया गया और अब नेपाल के अपदस्थ प्रधानमंत्री खड्ग प्रसाद ओली उसी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं जिन्हें एक जन विद्रोह ने इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया है। बांग्लादेश में ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन’ नामक एक संगठन ने शेख हसीना सरकार के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। इसी तरह नेपाल में Gen Z नामक समूह ने शुरुआत में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ सड़कों पर उतरे और बाद में यह आंदोलन मौजूदा सरकार के खिलाफ एक व्यापक आंदोलन में बदल गया।
इस प्रकार नेपाल की मौजूदा क्रांति को हम सहसा 21वीं सदी की एक राजनीतिक एवं सामाजिक क्रांति कह सकते हैं। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि नेपाल का अगला प्रधानमंत्री कौन होता है जो कि उस देश की प्रजातांत्रिक बागडोर को संभालें और जनता खासकर युवा वर्ग की उम्मीदों पर खरे उतरें। वैसे मीडिया में यह चर्चा है कि उक्त Gen Z समूह 35 वर्षीय काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह उर्फ बालेन को अगला प्रधानमंत्री नियुक्त करने की मांग कर रहे हैं। बालेन एक रैपर रहे हैं जो युवा वर्ग में पिछले डेढ़ दशक से काफी लोकप्रिय रहे हैं। उन्होंने बाद में राजनीति में कदम रखा और एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में काठमांडू के मेयर पद का चुनाव लड़कर एक लाख से अधिक वोट पाकर चुनाव जीता था।
बिनोद कुमार चौधरी














