जशपुर में सर्पदंश पीडि़ता को पीठ पर लाद कर महिला चली दो किलोमीटर, सडक़ नहीं होने से स्वास्थ्य सुविधा से वंचित कोरवा जनजाति के लोग, गर्भवती है सर्पदंश पीड़िता

जशपुर। जिले के बगीचा विकासखंड के मरंगी ग्राम पंचायत के चुरीलकोना गांव में सडक़ सुविधा के अभाव ने एक बार फिर ग्रामीणों की कठिनाइयों को उजागर कर दिया। रविवार को सर्पदंश का शिकार हुई मुनि बाई पति महेश राम कोरवा जनजाति से हैं जो गर्भवती भी हैं। हालत बिगडऩे पर गांव की गुनिया बाई 37 वर्ष ने उन्हें अपनी पीठ पर लादकर ऊबड़-खाबड़ रास्ते से दो किलोमीटर दूर मुख्य सडक़ तक का सफर तय किया और वहां से निजी वाहन की मदद से लगभग डेढ़ घंटे का सफर तय कर सन्ना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचाया।
गाँव तक सडक़ न होने के कारण के चारपहिया वाहन एंबुलेंस नहीं पहुंच पाते ऐसे में गुनिया बाई ने साहसिक कदम उठाते हुए अपनी गर्भवती सर्पदंश पीडि़ता को पीठ पर लादकर पैदल यात्रा शुरू की और कठिन रास्तों से गुजरते हुए मुख्य सडक़ तक पहुँची। यह दृश्य गाँव वालों के लिए भी भावुक कर देने वाला था। सडक़ तक पहुँचने के बाद मौके पर खड़े एक निजी वाहन की मदद से पीडि़ता को सन्ना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहाँ उसका इलाज जारी है। ग्रामीणों का कहना है कि इस इलाके में अक्सर बीमार, प्रसूता या घायल व्यक्ति को खाट, पालकी या पीठ पर लादकर सडक़ तक पहुँचाना पड़ता है।
चुरीलकोना और आसपास के गांवों में अधिकतर कोरवा जनजाति के लोग रहते हैं। ये समुदाय पहाडिय़ों और जंगलों में बसे होने के कारण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। हालांकि भारत सरकार पीएम जनमन योजना के तहत इन इलाकों में सडक़ों का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन जब तक यह पूरा नहीं होता, ग्रामीणों को इस तरह की विकट परिस्थितियों से गुजरना पड़ता रहेगा।
सन्ना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के सेक्टर प्रभारी डॉ. नीतीश आनंद सोनवानी ने बताया कि वे इस समय हड़ताल पर हैं और मंगलवार को ड्यूटी जॉइन करेंगे। वहीं,जशपुर के सीएमएचओ डॉ. जी.एस. जात्रा ने कहा कि सर्पदंश पीडि़ता मुनि बाई का इलाज शुरू कर दिया गया है और वह फिलहाल खतरे से बाहर हैं। उन्होंने यह भी बताया कि चूंकि मुनि बाई गर्भवती हैं, इसलिए परिस्थिति को देखते हुए आवश्यकता पडऩे पर उन्हें उच्च स्तरीय इलाज के लिए रेफर किया जा सकता है।