
RBI Governor On Monetary Policy: टैरिफ के चलते बने वैश्विक आर्थिक हालात और भूराजनीतिक तनाव के बीच भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने सतर्क रुख अपनाया है. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि मौजूदा परिदृश्य में केंद्रीय बैंक को बेहद सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत है. इस महीने की शुरुआत में 4 से 6 अगस्त के बीच हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में सभी छह सदस्यों ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो रेट को 5.5% पर यथावत रखने के पक्ष में मतदान किया.
बुधवार को जारी बैठक के ब्योरे में गवर्नर मल्होत्रा ने कहा, “कुल मिलाकर हमारी अर्थव्यवस्था मजबूती, स्थिरता और अवसर की तस्वीर पेश करती है. भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति, विकास को बढ़ावा देने वाली नीतियां और दूरदर्शी रणनीति देश को एक मजबूत स्थिति में रखती हैं.”
मुद्रास्फीति पर नजर
गवर्नर ने कहा कि वृद्धि दर स्थिर बनी हुई है और खाद्य कीमतों में नरमी से मुद्रास्फीति की स्थिति फिलहाल अनुकूल दिख रही है. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति में हल्की बढ़ोतरी संभव है. उन्होंने यह भी कहा कि शुल्क और अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता भविष्य में जोखिम पैदा कर सकती है.
इकोनॉमी ग्रोथ पर फोकस















एमपीसी के अन्य सदस्यों ने भी वर्तमान हालात में दरों में बदलाव की आवश्यकता नहीं बताई. डिप्टी गवर्नर पूनम गुप्ता ने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था और वैश्विक हालात को देखते हुए फिलहाल नीतिगत दरों में और कटौती की कोई गुंजाइश नहीं है. राजीव रंजन, कार्यकारी निदेशक, ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत है. सरकारी खर्च, ग्रामीण मांग और सेवा क्षेत्र की मजबूती इसका सहारा बने हुए हैं, हालांकि उद्योग में कुछ उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं.
स्पष्ट है कि आरबीआई फिलहाल मुद्रास्फीति और वैश्विक अनिश्चितताओं पर नज़र रखते हुए सतर्कता की नीति पर कायम है. आने वाले महीनों में यदि वैश्विक हालात स्थिर रहते हैं तो मौद्रिक नीति में बदलाव की संभावना पर पुनर्विचार हो सकता है.