रायगढ़

Raigarh News: सफलता की कहानी; राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम: जिले में 3925 मोतियाबिंद के मरीजों की हुई पहचान, हजारों आंखों की लौटी रोशनी

वर्ष 2025-26 में 11 लाख 56 हजार 970 लोगों का किया गया सर्वेक्षण
136 विद्यालयों के 6586 विद्यार्थियों का किया गया नेत्र परीक्षण

रायगढ़, 12 अगस्त 2025/ कभी धुंधलेपन और अंधेरे में घिरा जीवन, अब चमकती रोशनी और नई उम्मीदों से भरा हुआ है। यह बदलाव संभव हुआ है राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के प्रभावी संचालन से, जिसे शासन के निर्देश और कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी के मार्गदर्शन में रायगढ़ जिले में सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अनिल कुमार जगत ने बताया कि 29 नेत्र सहायक अधिकारियों, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और मितानिनों के सहयोग से राष्ट्रीय अंधत्व एवं अल्प दृष्टि नियंत्रण कार्यक्रम के तहत सत्र 2025-26 में जिले के 11 लाख 56 हजार 970 लोगों का सर्वेक्षण किया गया। इस व्यापक अभियान में 3925 मोतियाबिंद के मरीजों की पहचान हुई, जिनमें 314 दोनों आंखों से, 3604 एक आंख से और 7 बच्चे जन्मजात मोतियाबिंद से पीडि़त पाए गए। जुलाई 2025 तक 1002 मरीजों के सफल ऑपरेशन हुए, जिनमें 183 दोनों आंखों के, 815 एक आंख के और 4 जन्मजात मोतियाबिंद के बच्चे शामिल रहे। प्रत्येक ऑपरेशन ने किसी न किसी के जीवन में फिर से उजाला भर दिया।

दूरस्थ अंचलों के बच्चों की दृष्टि के लिए विशेष प्रयास
स्कूल हेल्थ प्रोग्राम के तहत माह जुलाई तक 136 शासकीय माध्यमिक विद्यालयों के 6586 विद्यार्थियों का नेत्र परीक्षण किया गया। इनमें 318 बच्चे दृष्टिदोष से पीडि़त पाए गए और उन्हें आवश्यकता अनुसार नि:शुल्क चश्में प्रदान किए गए। कार्यक्रम के तहत विशेष रूप से दूरस्थ विकासखंडों और जनजातीय एवं पिछड़े क्षेत्र के बच्चों का नेत्र परीक्षण किया गया। इनमें धरमजयगढ़ के ग्राम सूपकोना के 13 वर्षीय अनूप प्रकाश राठिया, रैरूमाखुर्द की 6 वर्षीय पूर्णिमा राठिया, घरघोड़ा के ग्राम बटूराकछार के 11 वर्षीय परदेशी यादव और रायगढ़ के कबीर चौक की 13 वर्षीय कुमारी दृष्टि राय का सफल मोतियाबिंद ऑपरेशन हुआ। अब ये बच्चे पहले की तरह साफ-साफ देख पा रहे हैं और पढ़ाई में अपना भविष्य संवार रहे हैं। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए यूनिक आईडी कार्ड और दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने हेतु विशेष शिविर आयोजित किए गए। इसमें बाकारूमा और घरघोड़ा के बच्चों के माता-पिता को ऑपरेशन के लिए प्रेरित किया गया और सफल इलाज के बाद उनकी आंखों की ज्योति लौट आई।

माता-पिता ने कहा-यह सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि हमारे बच्चों को नया जीवन देने जैसा
इस मुहिम में जिला नोडल अधिकारी डॉ. मीना पटेल, जिला कार्यक्रम प्रबंधक सुश्री रंजना पैकरा, डॉ. आर. एम.मेश्राम, डॉ.पी.एल.पटेल, डॉ.उषा किरण भगत, निजी नेत्र रोग विशेषज्ञों और समस्त स्वास्थ्य कर्मियों की भूमिका महत्वपूर्ण रही। जन्मजात मोतियाबिंद के बच्चों के माता-पिता ने कहा-यह सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि हमारे बच्चों को नया जीवन देने जैसा है। उन्होंने शासन-प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया। बता दे कि वर्ष 2024-25 में, मोतियाबिंद ऑपरेशन के क्षेत्र में शासकीय जिला चिकित्सालय रायगढ़ ने राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया और रायगढ़ को राज्य के 11 मोतियाबिंद फ्री जिलों में शामिल किया गया। रायगढ़ की यह कहानी इस बात का प्रमाण है कि जब संवेदनशील नेतृत्व, संगठित टीमवर्क और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता मिलती है, तो हजारों जीवन में उजाला फैलाया जा सकता है। यह सिर्फ एक स्वास्थ्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि दृष्टि, विश्वास और भविष्य लौटाने की कहानी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

This will close in 20 seconds