रायगढ़

Raigarh: आजाद-नेहरु-रामानुजन सदन के कार्यक्रमों की अनूठी छठा से नहाया ओ.पी.जे.एस. प्रांगण, ‘द सागा ऑफ़ एथिक्स’ का मंचन

 

 

रायगढ़। ओ.पी. जिंदल विद्यालय में हर वर्ष की तरह इस बार भी विद्यालय के तीनों सदनों के द्वारा खूबसूरत और मंत्रमुग्ध कर देने वाले सत्र के पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम का श्रीगणेश विगत शनिवार को हुआ। रंग बिरंगे परिधानों में सजे विद्यालय के छात्र छात्राओं द्वारा एक से बढ़कर एक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य अतिथि श्री सब्यसाची बंदोपाध्याय (कार्यकारी निदेशक, जे.एस.पी. रायगढ़), अनिंदिता बंदोपाध्याय (अध्यक्ष, जिंदल लेडीज क्लब), अभिभावक् अतिथि श्रीकांत एल. सावरगांवकर (वरिष्ठ वैज्ञानिक, आई.सी.ए.आर.), आर. के. त्रिवेदी (प्राचार्य, ओ. पी. जिंदल स्कूल) एवं अन्य गणमान्य अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के साथ ही स्वागत गीत ‘आशाओं’ और पुष्प गुच्छों से सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की शुरुआत हुई । तत्पश्चात सदन के प्रभारी शिक्षक रीना सुनील, विवेक गौतम, सुभाष कुमार एवं सदन के प्रतिनिधि छात्रों द्वारा अपने अपने सदन की उपलब्धियों के बारे में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया । अभिभावक् अतिथि श्रीकांत एल. सावरगांवकर ने संपूर्ण कार्यक्रम की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा कि मेरे बच्चे भी इसी विद्यालय से पढ़े हैं और ये विद्यालय देश का सर्वश्रेष्ठ विद्यालय है। प्राचार्य आर के त्रिवेदी ने उपस्थित मुख्य अतिथि, अभिभावक् अतिथि एवं सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि हमारा विद्यालय शिक्षा के साथ साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास को भी उतना ही महत्व देता है। उन्होंने विद्यालय प्रबंधन समिति के साथ ही श्री नवीन जी जिंदल एवं शालू जी जिंदल का विशेष आभार व्यक्त किया । मुख्य अतिथि श्री सब्यसाची बंदोपाध्याय ने सभी प्रतिभागी कलाकारों कि प्रशंसा करते हुए इसकी कोरिओग्राफी (नृत्य संयोजन) को शानदार बताया |

आज के इस कार्यक्रम में महाकाव्य रामायण के इस मनोरम नृत्य नाटिका में मर्यादा पुरुषोत्तम राम और उनके भाई भरत के बीच के शक्तिशाली बंधन के प्रसंग को दर्शाया गया, अहिल्या बाई ‘एक आलोक’ यह मनमोहक नृत्य प्रस्तुति मालवा की महान मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर की प्रेरक कहानी को जीवंत करती थी | कत्थक – ‘एक कालातीत परंपरा’ भारत के सबसे प्रतिष्ठित शास्त्रीय नृत्य रूपों में से एक, कत्थक के विकास की एक मनोरम यात्रा को कत्थक के प्राचीन मूल से लेकर आधुनिक व्याख्याओं तक के परिवर्तन को दिखाया गया | निधिवन ‘भक्ति की गूंज’ वृंदावन के पवित्र स्थल निधिवन, जहाँ हमारे ऊर्जावान नर्तकों ने इस पवित्र स्थान की आभा और आध्यात्मिक महत्ता को जीवंत कर किया। कार्यक्रम “समानता के पंख” में गीतों, नृत्यों और नाटकों के मिश्रण के माध्यम से रूढ़िवादिता को तोड़ने, लड़कियों को सशक्त बनाने और लड़कों को समानता के मूल्य को समझने और उसका सम्मान करने में मदद करने का एक सशक्त संदेश बच्चों ने इस कार्यक्रम के माध्यम से दिया। “उड़ान” इस कार्यक्रम में हमारे युवा कलाकारों द्वारा किए जाने वाले योगासन, योग के चार सामंजस्यपूर्ण चरणों को विभिन्न योग क्रियाओं द्वारा प्रदर्शित किया गया । मासूम” सांप्रदायिक सद्भाव पर आधारित एक प्रभावशाली हिंदी नाटक ने सभी दर्शकों को भावनात्मक रूप से समृद्ध दृश्यों द्वारा सम्मोहित कर दिया ।

अंततः श्रीमती मोनिषा श्रीजीत द्वारा उपस्थित अभिभावकों, छात्र छात्राओं, प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों का सहृदय धन्यवाद ज्ञापित किया गया ।

 

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