मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ‘मोर गांव मोर पानी’ पुस्तिका का विमोचन किया, कहा- ग्राम पंचायतों की सक्रियता और स्वप्रेरित जनभागीदारी से हो रहे जल संरक्षण के प्रयास प्रशंसनीय

रायपुर, 16 जुलाई 2025 – मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज विधानसभा परिसर स्थित अपने कक्ष में ‘मोर गांव मोर पानी’ महाअभियान पर आधारित पुस्तिका का विमोचन किया। इस अवसर पर उन्होंने ग्राम पंचायतों की सक्रियता और जनता की स्वप्रेरित भागीदारी से हो रहे जल संरक्षण के प्रयासों को प्रशंसनीय बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अभियान अब एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है।
अभियान की उपलब्धियाँ और मुख्यमंत्री के विचार
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि पंचायती राज दिवस पर शुरू किए गए इस विशेष अभियान ने जल संरक्षण और संवर्धन के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व चेतना पैदा की है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोग स्वेच्छा से जल संरक्षण जैसे पुनीत कार्यों से जुड़ रहे हैं, जो एक सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन का स्पष्ट संकेत है। विमोचित पुस्तिका में राज्य की विभिन्न पंचायतों द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों और नवाचारों को संकलित किया गया है, जिन्हें अन्य पंचायतों के लिए प्रेरणास्रोत बताया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभियान के तहत सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों के माध्यम से जल संरक्षण के प्रति जन जागरूकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्रदेश की 11,000 से अधिक ग्राम पंचायत भवनों की दीवारों पर भूजल स्तर अंकित किया गया है, जिससे लोगों में जल के महत्व को लेकर व्यावहारिक चेतना जागृत हुई है। उन्होंने ग्राम पंचायतों की भूमिका को जल संरक्षण को जन-भागीदारी से जोड़ने में महत्वपूर्ण बताया और उम्मीद जताई कि यह चेतना आने वाले समय में और भी व्यापक स्वरूप लेगी।
‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान की मुख्य विशेषताएं
‘मोर गांव मोर पानी’ अभियान के तहत व्यापक स्तर पर जनसामान्य को जल संरक्षण के प्रति संवेदनशील और जागरूक किया गया है, जिसमें रैलियां और दीवार लेखन जैसे माध्यमों का उपयोग किया गया है।
प्रशिक्षण: 626 क्लस्टर्स में आयोजित प्रशिक्षणों के माध्यम से 56,000 से अधिक प्रतिभागियों को जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए तैयार किया गया है।







तकनीकी उपयोग: अभियान में GIS तकनीक का उपयोग कर जल संरक्षण कार्यों की प्रभावी योजना बनाई जा रही है, जबकि जलदूत ऐप के माध्यम से खुले कुओं का जल स्तर मापा जा रहा है।
संरचनात्मक उपाय: इसके अतिरिक्त, परकोलेशन टैंक, अर्दन डैम, डिफंक्ट बोरवेल रिचार्ज स्ट्रक्चर जैसे संरचनात्मक उपायों के माध्यम से जल पुनर्भरण और संरक्षण के स्थायी प्रयास किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री साय ने विश्वास व्यक्त किया कि ग्राम पंचायतों के ये प्रयास छत्तीसगढ़ को जल संरक्षण के राष्ट्रीय मॉडल के रूप में स्थापित करेंगे।
विमोचन कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, प्रमुख सचिव पंचायत निहारिका बारीक, विशेष सचिव तारण प्रकाश सिन्हा सहित अनेक अधिकारी उपस्थित थे।