छत्तीसगढ़ के एक घर में मिला नाग-नागिन के साथ मिले 35 बच्चे, किया गया रेस्क्यू

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से कुछ ही दूरी पर, आरंग के पास बसा है शांत सा गाँव देवरी। यहीं इंद्रकुमार साहू अपने परिवार के साथ एक प्यारे से घर में रहते हैं। यह कहानी उसी घर से शुरू होती है, जहाँ कुछ दिनों पहले एक अजीबोगरीब घटना ने पूरे परिवार को हैरत में डाल दिया।
घर में सांपों का सिलसिला
बरसात का मौसम था और ग्रामीण इलाकों में सांप-बिच्छू का दिखना कोई बड़ी बात नहीं। एक दिन, इंद्रकुमार को अपने घर के अंदर दो छोटे-छोटे नाग सांप मिले। उन्होंने उन्हें सावधानी से पकड़ा और घर से दूर छोड़ दिया, यह सोचकर कि यह सामान्य है। लेकिन अगले दिन भी यही सिलसिला जारी रहा। एक बार फिर, घर के अंदर से सांप निकले, जिससे इंद्रकुमार और उनका परिवार थोड़ा चिंतित हो उठा। यह कोई सामान्य बात नहीं थी।
लगातार सांपों के निकलने की इस घटना ने इंद्रकुमार को सोचने पर मजबूर कर दिया। उन्होंने तुरंत गाँव वालों को इसकी जानकारी दी। गाँव में एक व्यक्ति था जो सांपों को पकड़ने में माहिर था। उसे बुलाया गया। सांप पकड़ने वाले ने घर के कमरों का बारीकी से निरीक्षण किया। उसने कमरे में लगे टाइल्स पत्थरों को ठोक-ठोक कर चेक करना शुरू किया।
टाइल्स के नीचे खुला नागलोक
जांच करते-करते एक जगह पर टाइल्स पत्थर के नीचे से एक खोखली आवाज़ आई, जिससे गड्ढे होने का अंदेशा हुआ। इंद्रकुमार और उनके परिवार के होश उड़ गए जब उन्होंने उस जगह के टाइल्स को हटाया। उनके सामने जो नज़ारा था, वह किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं था। वहाँ पूरा का पूरा नागलोक समाया हुआ था! नाग-नागिन के साथ-साथ, लगभग 35 छोटे-छोटे सांप घर के दो कमरों में अपना बसेरा बना चुके थे। यह देख परिवार सदमे में आ गया।
पुलिस और रेस्क्यू टीम की कार्रवाई
समय गंवाए बिना, घरवालों ने तुरंत घर के फर्श में लगे टाइल्स पत्थरों को तोड़ना शुरू किया। जहाँ-जहाँ सांपों के बिल थे, उनकी खुदाई कर एक-एक करके सांपों को बाहर निकाला गया। यह एक बड़ा और डरावना काम था, लेकिन परिवार ने हिम्मत नहीं हारी।
घटना की गंभीरता को देखते हुए, तुरंत डायल 112 के माध्यम से पुलिस को सूचना दी गई। आरंग पुलिस की टीम भी मौके पर पहुँची और उन्होंने सांपों को सुरक्षित निकालने के काम में मदद की। सभी सांपों का सावधानीपूर्वक रेस्क्यू किया गया और फिर उन्हें सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया गया, जहाँ वे अपने प्राकृतिक आवास में वापस लौट सके।







यह घटना देवरी गाँव में आज भी चर्चा का विषय है, जो बताती है कि प्रकृति कभी-कभी हमारे घरों के कितने करीब हो सकती है।