रायगढ़। जिले के तमनार क्षेत्र अंतर्गत ग्राम लमदरहा के 25 वर्षीय युवक परमानंद राठिया ने अपने संकल्प और परिश्रम से एक मिसाल कायम किए है। वे – 17 फरवरी की सुबह अपनी साइकिल से प्रयागराज के लिए रवाना हुए थे और आज – अपने गंतव्य पर पहुंच चुके हैं। – महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर वे संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे और फिर वापस साइकिल से ही अपने गांव लौटेंगे।
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स्वास्थ्य और परिश्रम को दिया महत्व
– परमानंद का उद्देश्य सिर्फ धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि परिश्रम और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाना भी है। उनका मानना है – कि आज के समय में लोग मेहनत करना – भूलते जा रहे हैं और अत्यधिक संसाधनों के उपयोग से अपनी सेहत को नुकसान
पहुंचा रहे हैं। वे खुद को फिट रखने के लिए हमेशा साइकिल का उपयोग करते हैं। यह उनका पहला साइकिल सफर नहीं है। इससे पहले वे पिछले नवंबर में उड़ीसा के पुरी की यात्रा कर चुके हैं। अमरकंटक जाने का भी प्रयास किया था, लेकिन कुछ कारणों से बिलासपुर से वापस लौटना पड़ा। दुर्गा और अन्य कई स्थानों का सफर
भी वे साइकिल से तय कर चुके हैं। बिना बताए घर से निकले, पिता हुए नाराज परमानंद बिना बताए ही घर से प्रयागराज के लिए निकल पड़े थे। उनके पिताजी उस समय चुनाव प्रचार में व्यस्त थे, जिससे उन्हें इसकी जानकारी देर से मिली। शुरुआत में नाराजगी जरूर थी, लेकिन परमानंद के हौसले को देखते हुए परिवार वालों ने भी उनके प्रयास की सराहना की।
कम खर्च में पूरा किया 600 किलोमीटर का सफर
परमानंद ने बताया कि ट्रेन में भीड़ और बसों की बुकिंग फुल होने के कारण उन्होंने साइकिल से प्रयागराज जाने का निर्णय लिया। अब तक उनके मात्र 2000 खर्च हुए हैं। वे रात में सफर नहीं करते और दिन में आराम से आगे बढ़ते हैं।
दोस्तों का भी जितना था भरोसा
परमानंद बताया कि वह प्रयागराज जाने के लिए अपने दोस्तों को पिछले कई दिनों से कह रहे थे। लेकिन उनके बातों को उनके दोस्त अनसुना कर रहे थे। ट्रेन के बोगियों में खचाखच भरी भीड़ और बसों की बुकिंग की वजह से उन्होंने साइकिल से ही प्रयागराज जाने की ठान ली। और अब परमानंद प्रयागराज के दहलीज पर पहुंच चुके हैं, इसके बाद उसके दोस्त फोन कर बोलने लगे है कि हमें क्यों नहीं बताया..? शिक्षा और सामाजिक सेवा में रुचि परमानंद वर्तमान में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था (आईटीआई) घरघोड़ा में फिटर व्यवसाय की पढ़ाई कर रहे हैं। वे कई एंट्रेंस एग्जाम भी दे चुके हैं और शिक्षा के प्रति उनकी गहरी रुचि है। इसके साथ ही वे समाज सेवा में भी सक्रिय रहते हैं और जरूरतमंदों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। महाशिवरात्रि के बाद वे वापस अपने गांव लौटने के लिए प्रयागराज से प्रस्थान करेंगे। परमानंद का यह सफर युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो मेहनत, दृढ़ संकल्प और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता का संदेश देता है।
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