रायगढ़। अमेरिका में रह रहे भारतीय समुदाय (रायगढ़) के लिए यह एक गौरवपूर्ण और भावनात्मक क्षण था, जब जिन्दल ग्रुप के पूर्व सीईओ दिनेश कुमार सरावगी और उनकी धर्मपत्नी को अमेरिका के गुरुकुल बोथिल में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने का सम्मान प्राप्त हुआ। यह कार्यक्रम 10 फरवरी को आयोजित किया गया था, जहाँ उनकी दोनों पोतियाँ पढ़ाई करती हैं। यह घटना न केवल उनके लिए बल्कि पूरे भारतीय समुदाय के लिए एक अत्यंत गर्व का क्षण था।
दिनेश कुमार सरावगी ने इस अनुभव को साझा करते हुए कहा कि विदेश में रहकर भारतीय ध्वज को ऊँचा देखना एक अद्भुत एहसास था। उन्होंने कहा, ’’यह क्षण हमारे लिए बेहद खास था, जो हमारी महान मातृभूमि के प्रति सम्मान और गौरव को दर्शाता है। विदेश में रहकर भी, अपने तिरंगे को ऊँचा देखना एक अलग ही एहसास देता है। यह अनुभव हमें यह याद दिलाता है कि हम कहीं भी रहें, अपने संस्कार, संस्कृति और देश के प्रति प्रेम को हमेशा संजोकर रखते हैं।’’
गुरुकुल बोथिल एक प्रतिष्ठित संस्थान है, जहाँ भारतीय मूल के बच्चों को उनकी संस्कृति और मूल्यों के साथ शिक्षा दी जाती है। इस संस्थान में भारतीय ध्वज फहराने का कार्यक्रम आयोजित करना न केवल भारतीय संस्कृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है, बल्कि यह भारतीय मूल के लोगों के लिए अपनी जड़ों से जुड़े रहने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है।
सरावगी ने आगे कहा कि यह क्षण उनके लिए न केवल गर्व का था, बल्कि यह उन्हें उनकी जिम्मेदारियों का भी एहसास दिलाता है। उन्होंने कहा, ’’हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हमारी पहचान हमारे देश और संस्कृति से जुड़ी हुई है। चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में रहें, हमें अपने मूल्यों और संस्कारों को कभी नहीं भूलना चाहिए।’’
इस कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने भी इस क्षण को बेहद भावनात्मक और प्रेरणादायक बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल भारतीय समुदाय को एकजुट करते हैं, बल्कि यह उन्हें अपनी संस्कृति और मूल्यों के प्रति जागरूक भी करते हैं।
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दिनेश कुमार सरावगी ने इस अवसर पर यह भी कहा कि वे अपनी पोतियों को भारतीय संस्कृति और मूल्यों के साथ बड़ा होते देखकर बहुुत खुशी है। उन्होंने कहा, ’’हमारी युवा पीढ़ी को हमारी संस्कृति और मूल्यों की समझ होना बेहद जरूरी है। यही वह चीज है जो हमें दुनिया में एक अलग पहचान देती है।’’
इस तरह के आयोजन न केवल भारतीय समुदाय के लिए गर्व का क्षण होते हैं, बल्कि यह उन्हें अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा भी देते हैं। दिनेश कुमार सरावगी और उनकी पत्नी का यह अनुभव निश्चित रूप से हर रायगढ़ के लिए प्रेरणादायक है, जो विदेश में रहकर भी अपनी संस्कृति और मूल्यों को संजोए हुए हैं।
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