शक्ति जिले में राइस मिल संचालकों ने किया ऐलान, नहीं करेंगे नए सत्र में कस्टम मिलिंग, शासन की नई नीति से नाराज हैं राइस मिलर,मार्कफेड के प्रबंध संचालक को 6 नवंबर को सौपा पत्र

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सकती- छत्तीसगढ़ प्रदेश में विष्णु देव के सुशासन वाली सरकार भले ही पूरे प्रदेश में खुशहाली एवं समृद्धि की बात करती हो, किंतु आज सरकार की नीतियों से जहां व्यापारी, उद्योगपति सभी नाराज हैं, तो वहीं विगत दिनों विष्णु देव सरकार की कैबिनेट ने राज्य में कस्टम मिलिंग की नई नीति को स्वीकृति दी है, इस नीति के आते की जहां प्रदेश भर के राइस मिलर नाराज हैं, तथा राइस मिल संचालकों का कहना है कि इस नई कस्टम मिलिंग से प्रदेश भर की राइस मिले बंद होने की कगार पर आ जाएगी तथा राज्य की सरकार राइस मिलों को बंद करने का षड्यंत्र रच रही है, तो वहीं आक्रोशित होकर राइस मिल संचालकों ने 6 नवंबर 2024 को प्रबंध संचालक को एक पत्र प्रेषित कर नई खरीफ़ सत्र में कस्टम मिलिंग नहीं करने का ऐलान कर दिया है

जिला चावल उद्योग संघ शक्ति ने 6 नवंबर 2024 को प्रबंध संचालक महोदय छ. ग. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित अटल नगर, नया रायपुर (छत्तीसगढ़) को प्रेषित अपने पत्र में खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 में मिलिंग कार्य करने में असमर्थता जताई है,तथा कहा है कि जिले के सभी राईस मिलरों के द्वारा शासन द्वारा दिये गए कस्टम मिलिंग कार्य को शासन की व्यवस्थानुसार समय पर पूरा करा जा रहा है। इसके बाद भी शासन के द्वारा मिलर के द्वारा किये जा रहे कार्य को अनदेखा कर मिलरों को किसी भी प्रकार से मदद नही दी जा रही है























राइस मिल संचालकों ने शासन का ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया है कि

01- विगत तीन वर्षों से मिलरों के बहुत से मदो का कस्टम मिलिंग संबंधी भुगतान आज तक अप्राप्त है (जिनमे बारदाना जमा एव बारदाना यूसेज चार्ज, कस्टम मिलिंग भुगतान, FRK का भुगतान, ट्रांसपोर्टिंग का भुगतान शामिल है
02- धान उठाव तथा चावल जमा पर पेनाल्टी लगाई जा रही है जो कि न्यायसंगत नही है।
03- चावल जमा में स्थानाभाव होने के कारण खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में मिलरों को अधिक समय तक धान अपने मिलो में रखना पड़ा फलस्वरूप धान (perishable goods) की प्रवित्ति में बदलाव के कारण मिलरों को अत्यधिक आर्थिक हानि वहन करनी पड रही है।
04- गत वर्ष सक्ती जिला के मिलरों द्वारा संग्रहण से उठाए गए धान पर अत्यधिक पेनाल्टी अधिरोपित की गई है जहां मिलरों द्वारा धान का उठाव समय पर किया गया था परंतु सिस्टम में बारदाना अभाव के कारण संग्रहण केंद्रों द्वारा धान निकासी पावती देर से जारी की गई थी।
05- बारदाना जमा तथा उठाव की गढ़ना पद्धति में त्रुटि होने के कारण मिलरों को पूर्ण भुगतना ना होना
06- आगामी वर्ष 2024-25 खरीफ वर्ष के लिए मिलिंग दर 60/- कर दी गई है, मिलिंग दर 120/- से कम करना तर्कसंगत नही है।

जिला चावल उद्योग संघ शक्ति जिले के पदाधिकारी- सदस्यों ने प्रबंध संचालक महोदय को बहुत ही कड़े शब्दों में कहां है कि मिलरों के द्वारा शासन के सहयोग से ही कार्य को पूरा किया जा सकता है, अगर शासन हमे सहयोग न करे तो हमारे लिए आर्थिक हानि सहते हुए मिलिंग कार्य करना नामुमकिन है,उपरोक्त मदो के ध्यान रखते हुए वर्ष 2024-25 में जिले के मिलर कष्टम मिलिंग कार्य करने में असमर्थ है जिस हेतु बारदाना जमा, मिल पंजीयन, धान उठाव चावल जमा संबंधी किसी भी प्रकार का कार्य मिलर द्वारा इस प्रकार की आर्थिक हानि सहन कर नही किया जा सकता, तथा जिला चावल उद्योग संघ शक्ति ने अपने प्रेषित ज्ञापन की प्रतिलिपि कलेक्टर महोदय (खाद्य शाखा), जिला- सक्ति,जिला विपणन अधिकारी महोदया, सक्ती को भी भेजी है

ज्ञात हो की छत्तीसगढ़ प्रदेश में एक तरफ राइस मिलर शासन की नीतियों से नाराज है, तो वहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश में सहकारी समिति कर्मचारी संघ जो कि धान खरीदी के कार्य को गति देता है, वह भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर लगातार आंदोलन कर रहा है, ऐसे में नवंबर माह में प्रारंभ होने वाली धान की खरीदी कैसे सुचारू ढंग से संपन्न होगी, इस पर सवालिया निशान लग गया है



































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