रायगढ़ तमनार: जमीन घोटाले की वजह से कोयला उत्पादन प्रोजेक्ट की लागत में वृद्धि, महाजेंको के प्रभावित 14 गांवों में कई रजिस्ट्रियां बजरमुड़ा के लोगों के नाम पर

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रायगढ़। तमनार के गांवों में भूमि अधिग्रहण अधिनियम के प्रावधानों को ही चुनौती दी जा रही है। कोयला खदानों के लिए भूअर्जन होते-होते तक गांवों में जमीनें खरीदने-बेचने का जो खेल होता है उससे प्रोजेक्ट की लागत बढ़ रही है। बजरमुड़ा में सीएसपीजीसीएल से करोड़ों रुपए मुआवजा मिलने के बाद वहां के लोगों ने दूसरे कोयला खदानों को निशाना बनाया है।

रुपए से रुपए बनाने का काम केवल व्यापार में नहीं होता है बल्कि रायगढ़ में तमनार के आदिवासी बहुल गांवों में भी हो रहा है। एक कोयला खदान से मुआवजा लेने के बाद उस राशि को दूसरे कोयला खदान के प्रभावित गांवों में जमीनें खरीदकर अवैध निर्माण कर लिए जाते हैं। जब उसका भूअर्जन होता है तो वहां से भी करोड़ों रुपए हथियाए जाते हैं। बजरमुड़ा गांव में एक फसली कृषि भूमि को दो फसली बताकर दो-तीन गुना मुआवजा ज्यादा बनाया गया। इसी तरह परिसंपत्तियों के सर्वे में भी गड़बड़ी की गई। जानबूझकर ज्यादा मुआवजा बनाया गया ताकि कमीशनखोरी की जा सके। बजरमुड़ा के लोगों को उनकी संपत्ति के वाजिब मुआवजे से अधिक मिला। इस राशि से उन्होंने महाजेंको के कोयला खदान प्रभवित 14 गांवों में जमीनें खरीदी। एक कंपनी से मुआवजा लेकर उससे दूसरी खदान प्रभावित गांवों में जमीनें खरीदी। गारे पेलमा सेक्टर-2 के 14 गांवों में जमीनें खरीदने वालों में बजरमुड़ा के सैकड़ों लोग हैं।

























































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