रायगढ़ टॉप न्यूज 27 जनवरी 2023। शहर के युवराज हटरी चांदनी चौक में सुर संगम कला समिति के सभी श्रद्धालुओं द्वारा जनसहयोग से भव्य 37 वां संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है।वहीं अनिल नामदेव ने बताया कि सर्वप्रथम माता की प्रतिमा स्थापना और पूजा उन्होंने की थी। इसके पश्चात समाज के सभी लोगों व जनसहयोग से इस धार्मिक आयोजन को भव्यता दी गई है। इसी तरह व्यासपीठ पर विराजित हैं वृंदावन श्रीधाम के आचार्य दीपक महाराज जो अपने दिव्य प्रवचनों से प्रतिदिन श्रद्धालुओं को दोपहर तीन बजे से मधुर संगीतमयी भजन गीतों के साथ कथा का रसपान करा रहे हैं।
निकली कलश यात्रा – – कथा स्थल से आज कथा प्रारंभ के पहले भव्य बाजे – गाजे व आतिशबाजी के साथ कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें श्रद्धालु पुरुष, महिलाएं व बच्चे बड़ी श्रद्धा से शामिल हुए। कलश शोभा यात्रा चांदनी चौक से समलाई घाट पहुंची। इसके पश्चात कलश भरकर पुनः कथा स्थल पहुंची और विधिवत व्यासपीठ पूजा – अर्चना के पश्चात शाम चार बजे पावन संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा यज्ञ सप्ताह का शुभारंभ हुआ।
संसार के तीन ताप दूर होते हैं – – श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के पहले दिन व्यासपीठ पर विराजित आचार्य दीपक महाराज ने बड़े ही सहज सरल ढंग से श्रीमद्भागवत कथा की महत्ता बताते हुए कहा कि जिनके सौभाग्य का उदय होता है और पूर्व जन्म के अच्छे संस्कार होते हैं। उनको ही इस पावन कथा श्रवण करने का सौभाग्य मिलता है। इसी तरह उन्होंने कहा कि श्री हरि सच्चिदानंद हैं जो चित्त को आनंद देते हैं। वहीं आनंद से बड़ा परमानंद है और इससे बड़ा ब्रम्हानंद है। आनंद क्षणिक होता है परंतु जो हर क्षण प्रभु में लीन रहते हैं वे ही ब्रम्हानंद को प्राप्त करते हैं। इसी तरह आचार्य दीपक ने कहा कि इस संसार में तीन तरह के ताप होते हैं। दैहिक ताप, दैविक ताप और भौतिक ताप और इन तीनों ताप से कोई भी अछूता नहीं। हर किसी के जीवन में इसका अवश्य प्रभाव पड़ता है। परंतु श्री हरि की जिस पर कृपा होती है उन पर ही इन तापों का प्रभाव नहीं पड़ते और यदि पड़ते भी हैं तो वह दूर भी हो जाते हैं।
भक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है – – पावन कथा प्रसंग के अंतर्गत कथा का रसपान कराते हुए आचार्य दीपक महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का पवित्र मन से श्रवण करने से भक्ति और ज्ञान की प्राप्ति होती है इसके पश्चात मन में वैराग्य आता है तत्पश्चात मन परमात्मा के ध्यान में लीन होता है। इसलिए प्रभु की प्राप्ति के लिए सर्वप्रथम श्रद्धा व भक्ति जरुरी है। वहीं भगवान को जानने व पाने के लिए उनमें मन लगाना जरूरी है। क्योंकि उनकी कथा अनंत है। इसलिए हरि अनंत हरि कथा अनंता कहा जाता है।
भाव विभोर होकर झूम रहे श्रद्धालुगण – – कथा स्थल में संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा प्रसंग के अंतर्गत संगीत टीम के कलाकार मधुर भजन गीतों से श्रद्धालुओं को निहाल कर रहे हैं वहीं भक्ति भरे गीतों के साथ श्रद्धालुगण भाव विभोर होकर झूम रहे हैं व कथा स्थल श्री हरि के जयकारे से गूंजित हो रहा है।
आज कपिल देवहूति श्री वराह अवतार कथा – – संगीतमयी कथा यज्ञ सप्ताह के आज दूसरे दिन कपिल देवहुति, श्री वराह अवतार और ध्रुव चरित्र की कथा अमृत का रसपान आचार्य दीपक महाराज कराएंगे। वहीं सात दिवसीय इस आयोजन को भव्यता देने में सुर कला समिति के सभी श्रद्धालुगण जुटे हैं।