राजकीय सम्मान की जगह सादगी से हुआ अंतिम संस्कार, जनसंघ से संघ तक निष्काम कर्म योगी की तरह काम कर छत्तीसगढ़ के रोशन लाल अग्रवाल ने अंबिकापुर में ली अंतिम सांस

पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी थे इनकी प्रतिभा के कायल। एस पी सरगुजा ने कहा सूचना न मिल पाना दुखद,मैं स्वयं जाऊंगा।
अंबिकापुर। गरीबी रेखा की जगह अमीरी रेखा की बात करने वाले रोशन अग्रवाल समाज में अमीरों को चिन्हांकित करने के लिए अमीरी रेखा की बात करते थे। उनका कहना था कि समाज में पैसों की असमानता अभिशाप है इसलिए अमीरी रेखा बना दो निचले तबके के लोगों का जीवन स्तर सुधार करने में ये अहम होगा।
अविभाजित मध्य प्रदेश के समय छत्तीसगढ़ के अम्बिकापुर में 70 के दशक से हरियाणा से आए रोशन लाल अग्रवाल ने जनसंघ से जुड़कर पूरे सरगुजा संभाग में निस्वार्थ सेवा भाव से काम किया और अंत तक राजनैतिक चकाचौंध से दूर रहकर सादगी और पार्टी के लिए जिस निष्ठा का पालन किया वो आज की राजनीति मे वाकई महत्वपूर्ण है।
1950 में हरियाणा के जिंद जिले में जन्मे रोशन लाल अग्रवाल 1964 में अम्बिकापुर आए और मां महामाया की नगरी को अपनी कर्मभूमि बनाया।
पहले जनसंघ में रहे फिर संघ में ।शिशु मंदिर में व्यवस्थापक भी थे। या यूं कहा जाए कि जनसंघ से भाजपा के रूप में पार्टी का नाम तो बदला मगर रोशन लाल अग्रवाल ने कभी भी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया।
पढ़ने लिखने और साहित्यिक रूप से समृद्ध होने के कारण ये हमेशा अपने विचारों पर अडिग रहते। साथ ही राजनीति की चकाचौंध से दूर रहते। इनके पुत्र डॉ अजय अग्रवाल एक शासकीय अधिकारी हैं और वो भी राजनीति से दूर रहते हैं।







मीसाबंदी भी रहे।
रोशन लाल अग्रवाल को इमर्जेंसी के समय लंबे समय यानि
18 महीने तक जेल में गुजरना पड़ा मगर इसके बाद भी हौसले पस्त नहीं हुए। जेल से छुटने के बाद इन्होंने पार्टी की विचारधारा के लिए ज़मीनी संघर्ष फिर शुरू किया।
25 जुलाई की सुबह हृदयाघात से 75 वर्ष की उम्र में अम्बिकापुर में इनका निधन हुआ। परिवार ने भी सादगी से अंतिम संस्कार किया जबकि मीसाबंदी के कारण इनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होना चाहिए था लेकिन प्रशासन को कोई सूचना न मिल पाना यहां के भाजपा संगठन पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करती है।
इनके अंतिम संस्कार में भाजपा के कई पदलोलुप चेहरे तक नज़र नहीं आए जो ये संकेत है कि सिद्धांत की राजनीति करने वाले कभी भी पद चाहने वालों से और अवसरवादियों से दूर रहते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी भी थे इनके कायल।
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने सत्ता में आते ही रोशन लाल अग्रवाल को संदेश दिया कि आपकी सोच और आपकी दूरदर्शिता राज्य के लिए उपयोगी है मगर रोशन लाल अग्रवाल ने विनम्रता से उनका आग्रह ठुकरा दिया था।
हमने राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार वाले मुद्दे पर सरगुजा पुलिस अधीक्षक राजेश अग्रवाल से बात की जिस पर उन्होंने दुख व्यक्त कर कहा कि इस संदर्भ में हमारे पास सूचना नहीं आई जिससे हम भी निराश हैं मैं स्वयं उनके घर जाऊंगा उनका न रहना हम सबके लिए दुखद है।
बहरहाल सादा जीवन उच्च विचार का पालन करते हुए रोशन लाल अग्रवाल की दिखाई राह उनकी भाजपा के कुछ लोग भी यदि उनकी राह पर चल पड़ें यही उनके लिए सम्मान होगा।