तीन साल में सात करोड़ फूंककर क्या पाया शिक्षा विभाग ने ?.. डीएमएफ की राशि दोनों हाथों से लुटाई, कभी व्हाईट बोर्ड खरीदा

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रायगढ़ टॉप न्यूज 2 मार्च। डीएमएफ की बंदरबांट के मामले एक-एक कर बाहर आ रहे हैं। इसमें शिक्षा विभाग भी लपेटे में आ गया है। दरअसल सांसद की शिकायत पर ज्वाइंट डायरेक्टर कार्यालय से जांच की जा रही है। डीएमएफ की राशि से नियम विरुद्ध खरीदी और भ्रष्टाचार का आरोप है। जब इसकी पड़ताल की गई तो तीन सालों में शिक्षा विभाग को सात करोड़ रुपए दिए गए। इसका उपयोग कहां और कैसे किया गया, इसे लेकर चुप्पी है।

रायगढ़ जिले में डीएमएफ कीकहानी बड़ी दिलचस्प है। यह एक ऐसा दस्तावेज है जिसे पढ़कर भ्रष्टाचार पर एक रिसर्च थीसिस लिखी जा सकती है। कैसे बहुत शातिर तरीके से डीएमएफ फंड को डायवर्ट किया गया। इस राशि से काम हुए या नहीं किसी को नहीं मालूम, लेकिन राशि आवंटन को लेकर वाहवाही जरूर लूट जा रही है। दरअसल जिस तरह से कामों की प्रोजेक्ट रिपोर्ट और इस्टीमेट बनाया गया, वह सवालों के घेरे में है। इस बार शिक्षा विभाग लपेटे में है। सांसद ने पूर्व डीईओ के कार्यकाल में डीएमएफ से हुए खर्च को लेकर सवाल उठाए हैं। वर्ष 18-19 से 21-22 के बीच शिक्षा विभाग को विभिन्न कामों के लिए 8.78 करोड़ रुपए दिए गए हैं। वर्ष 19-20 और 21-22 में किए गए खर्च को लेकर ही शिकायत की गई है। वर्ष 18- 19 में तेजस कोचिंग के लिए 12.92 लाख रुपए, तेजस्विनी व तेजस्वी कोचिंग के लिए 85.67 लाख रुपए कुल 98.59 लाख रुपए दिए गए। इसी तरह वर्ष 19-20 में स्कूलों में सामुदायिक शिक्षकों का वेतन देने के लिए 88.47 लाख रुपए, 165 स्कूलों में सेनेटरी नेपकिन वेंडिंग मशीन व इन्सीनरेटर खरीदने के लिए 72.60 लाख रुपए, स्कूलों के लिए 640 व्हाइट बोर्ड खरीदी के लिए 80.32 लाख रुपए कुल 2.42 करोड़ रुपए दिए गए थे। वर्ष 20-21 में 387 स्कूलों में ईजीएल कार्यक्रम लागू करने के लिए 1,49,65,424 रुपए दे दिए गए।











21-22 में बांटे चार करोड़ रुपए
डीएमएफ से शिक्षा विभाग को भी मालामाल कर दिया गया। वर्ष 21-22 में तो जैसे शिक्षा विभाग पर मां लक्ष्मी की कृपा बरसने लगी। इस साल आत्मानंद स्कूल रायगढ़ के लिए 25 लाख रुपए, अन्य आठ लॉकों में आत्मानंद स्कूलों के लिए 3.08 करोड़ रुपए, आठ ब्लॉकों में यूथ सेंटर के लिए सामग्री क्रय करने 18.37 लाख रुपए, यूथ करियर काउंसिलिंग सेंटर में विभिन्न सामग्री क्रय के लिए 29.84 लाख रुपए, विशेष पिछड़ी जनजाति एवं जरूरतमंद बच्चों को चह्रश्वपल प्रदाय करने 4.83 लाख रुपए कुल कुल 3.86 करोड़ रुपए दिए गए हैं। इस राशि का कितना इस्तेमाल वाजिब तरीके से किया गया, यह कोई नहीं बता सकता क्योंकि डीएमएफ में यूसी/सीसी होता ही नहीं है। वेरीफिकेशन किसी ने किया ही नहीं है।

क्या कहते हैं डीईओ
पूर्व डीईओ के कार्यकाल में वर्ष 19-20 और 21-22 के कामों को लेकर शिकायत हुई है। इसकी जांच ज्वाइंट डायरेक्टर कर रहे हैं। हमने दस्तावेज दे दिए हैं।
– बी बाखला,
डीईओ रायगढ़















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