रायगढ़ रेंज के पहले डीआईजी रामगोपाल गर्ग ने लिया चार्ज… आईपीएस रामगोपाल गर्ग का सफरनामा

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जन्मतिथि:– 2 मई 1980
आईपीएस में ज्वाइन की तिथि:– 10 दिसंबर 2007

रामगोपाल गर्ग छत्तीसगढ़ कैडर के 2007 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं। रामगोपाल गर्ग पंजाब के भटिंडा के रहने वाले हैं। उनके पिता की छोटी सी कपड़े की दुकान थी। वे दो भाई व दो बहन है। दसवीं तक की पढ़ाई उन्होंने एक प्राइवेट स्कूल से पंजाबी मीडियम में की। फिर 11वीं व 12वीं फिजिक्स केमेस्ट्री मैथ्स विषयों के साथ शासकीय इंटर कॉलेज से की। रामगोपाल गर्ग को कॉमर्स विषय में रुचि थी। पर उनके पिता चाहते थे कि उनका एक पुत्र इंजीनियर बने। इसलिए रामगोपाल गर्ग ने गणित विषय चुना। पंजाब में इंजीनियरिंग में एडमिशन के लिए होने वाली पंजाब कामन एंट्रेंस टेस्ट में रामगोपाल गर्ग का 38 वा रैंक आया था। उन्होंने थापर इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग किया। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते उनके पिता ने उन्हें पढ़ाने के लिए लोन भी लिया था। हालांकि प्रतिभावान रामगोपाल गर्ग को अच्छे मार्क्स लाने पर स्कॉलरशिप मिल गई। स्कॉलरशिप से कॉलेज की फीस तो चुका दी जाती थी,पर अन्य खर्चों के लिए लोन की राशि काम आई है।











इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ने के दौरान ही राम गोपाल गर्ग का केंपस सलेक्शन मोटरोला कंपनी में हो गया। अपने पैरों पर खड़ा होने व पिता का लोन चुकाने के लिए उन्होंने बेंगलुरु में जाकर मोटोरोला कंपनी में ज्वाइन कर लिया और 2 सालों तक वहां जॉब किया। इस दौरान उन्होंने पिता का लोन चुका दिया। फिर वापस पंजाब के भटिंडा में घर लौट कर अपनी यूपीएससी की तैयारी शुरू की। यूपीएससी मेंस में उनका एक सब्जेक्ट मैथ्स तो वही दूसरा सब्जेक्ट पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन था। शुरुआत की दो असफलताओं के बाद तीसरे प्रयास में उन्हें 152 वा रैंक प्राप्त हुआ। और वे आईपीएस के लिए चुने गए। उन्हें छत्तीसगढ कैडर अलॉट हुआ। रामगोपाल गर्ग ने मास्टर डिग्री ऑफ पुलिसमैन की डिग्री उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद से की। पीजी साइबर लॉ की डिग्री उन्होंने पुणे यूनिवर्सिटी से ऑनलाइन प्राप्त की।

गर्ग 2008 में राजनांदगांव जिले में प्रशिक्षु आईपीएस थे। गरियाबंद में 2011 में नक्सली हमले में अन्य जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद उन्हें गरियाबंद जिले का एसपी बनाकर भेजा गया। यह उनका पहला जिला था। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि हमले में शहीद जवानों के अलावा एक जवान मिसिंग था जिससे खोजना। वह जवान सकुशल बरामद कर लिया गया। यहां रामगोपाल गर्ग ने 23 माह बिताए। अपने पोस्टिंग के दौरान रामगोपाल गर्ग ने जिले के अंदरूनी क्षेत्रों में 6 नए थाने खोलें। व नक्सल गतिविधियों में अंकुश लगाया। गरियाबंद के बाद कोरिया जिले में 6 माह एसपी रहे। फिर बालोद जिले में 3 माह एसपी रहे। बालोद के बाद एक साल तक पीएचक्यू में एसआईबी के एसपी रहे। राम गोपाल गर्ग एक साल तक राज्यपाल बलरामजी दास टंडन की परिसहाय भी रहे।

2015 में आईपीएस गर्ग केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीबीआई में एसपी के पद पर चले गए। इस दौरान वह दिल्ली व चंडीगढ़ में पदस्थ रहे। उन्होंने कई आर्थिक अपराध व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर सीबीआई को सौंपी गये केसों की जांच की। सीबीआई में रहने के दौरान डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम के मामले की जांच कर उसकी कुंडली निकाल ऐसी तगडी चालान आईपीएस रामगोपाल गर्ग ने बनाई कि सबूतों और जांच रिपोर्ट के आधार पर पंचकूला की सीबीआई की विशेष अदालत ने गुरमीत राम रहीम को दोषी करार दिया। प्रतिनियुक्ति से छत्तीसगढ़ कैडर लौटने के बाद रामगोपाल गर्ग अंबिकापुर रेंज के आईजी बने। हाल ही में उन्हें नवगठित रायगगढ़ रेंज का प्रभार सौंपा गया है।







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