मे.रूपेश स्पंज की जनसुनवाई का जबर्दस्त विरोध

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विरोध के चलते देर शाम तक चलती रही कार्रवाई
प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी की आज आयोजित होने वाली जनसुनवाई का विरोध करने बाबत

रायगढ़। शहर से सटे ग्राम चिराईपानी में मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड के क्षमता विस्तार के लिये आयोजित जन सुनवाई में आसपास गांव के ग्रामीणों का हुजूम इकट्ठा हो गया और जन सुनवाई के दौरान कंपनी के विस्तार का जबर्दस्त विरोध देखने को मिला है। विरोध करने वालों ने जन सुनवाई को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग उठाई है।























इस जन सुनवाई का अलग-अलग मुद्दों पर विरोध करने का क्रम सुबह से लेकर देर शाम तक चलता रहा। इस दौरान विरोध करने वाले वक्ताओं में जन चेतना के रमेश अग्रवाल, राजेश त्रिपाठी, सविता रथ, जिला बचाओ संघर्ष मोर्चा के जयंत बोहिदार, राधेश्याम शर्मा, कुसमुरा के राजेश नायक सहित अन्य जनसेवी संगठनों से जुडे लोगों ने कंपनी के क्षमता विस्तार को जल जंगल, जमीन छिनने की दिशा में एक और कदम बताते हुए आरोप लगाया कि प्रस्तावित उत्पादन क्षमता का विस्तार स्पंज आयरन प्लांट माइल्ड विलेट 28800 टीपीए से 246960 टीपीए एवं रीरोलड स्टील उतपादन234612 टी पी ए हाट चार्जिंग160512 टी पी ए के माध्यम से और रीहीटिंग फर्नेस के माध्यम 74100 टीपीए और एम एस पाइप 122600 टीपीए ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट चिराईपानी की आयोजित होने वाली जनसुनवाई का हम निम्न बिंदुओं के आधार पर विरोध करते हैं।

मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी की स्थापित क्षेत्र में पहले से लगभग छोटे-बड़े 73 स्पंज आयरन और पावर प्लांट स्थापित है जिसके कारण व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं ध्वनि प्रदूषण के कारण जनजीवन पर व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ रहा है इसलिए मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी की जनसुनवाई को विस्तार न देते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के तहत किसी भी उद्योग के आवेदन जमा करने के 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन राज्य सरकार द्वारा करवाया जाना चाहिए अगर किन्हीं परिस्थितियों बस राज्य सरकार 45 दिवस के अंदर जनसुनवाई का आयोजन नहीं कर पाती उन परिस्थितियों में केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय एक समिति का गठन करेगा जो संबंधित कंपनी की जनसुनवाई का आयोजन करेगा इस कंपनी के द्वारा जो आवेदन जमा किया गया है वह करीब एक वर्ष पूर्व है जो की 365 दिवस से ज्यादा आवेदन जमा करने का समय हो चुका है इस कारण आज की जनसुनवाई केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितंबर 2006 के नियमों का उल्लंघन है इसलिए इस जनसुनवाई को तत्काल निरस्त किया जाना चाहिए
मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी में विस्तार होने जा रहा है इस ग्राम पंचायत में पहले से सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियों से कई पीड़ित प्रभावित हैं जिनके उपचार हेतु आज पर्यंत तक किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं की गई उक्त सिलिकोसिस प्रभावितों में से अब तक की 14 लोगों की मौत हो चुकी है जिसकी जानकारी मेसर्स रूपेश स्पज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी द्वारा अपने ई आई ए में नहीं दी गई है जिससे यह साबित होता है की कंपनी द्वारा जो ई आई ए बनाया गया है वह जमीनी स्तर पर अध्ययन करने वाली कंपनी द्वारा नहीं बनाया गया है एवं व्यापक पैमाने पर झूठी जानकारी आम जनमानस को उपलब्ध कराई गई है इसलिए उक्त क्षेत्र में जमीनी स्तर पर पर्यावरणीय अध्ययन करने उपरांत ही उपरोक्त पर्यावरणीय जनसुनवाई करवाने का निर्णय लिया जाना चाहिए।

मेसर्स रूपेश स्पंज प्राइवेट लिमिटेड चिराईपानी क्षेत्र में होने वाले विस्तार परियोजना से व्यापक पैमाने पर जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं धन प्रदूषण का विस्तार होगा जिससे यहां के जनजीवन जल जंगल जमीन जीव और जानवरों पर व्यापक प्रमाण पैमाने पर प्रभाव पड़ेगा जिससे उक्त उद्योग का विस्तार की अनुमति देना पर्यावरणीय मापदंडों का उल्लंघन होगा इसलिए उक्त परियोजना को विस्तार देने की अनुमति प्रदान ना किया जाए विस्तार परियोजना क्षेत्र से जहां एक तरफ राम झरना सिंघनपुर गुफा जैसे पुरातत्व स्थल मौजूद हैं जिन पर उक्त परियोजना विस्तार के बाद व्यापक पर मरने पर प्रभाव पड़ेगा एवं उक्त क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर संरक्षित वन उपलब्ध है जिन पर आसपास के निवासरथ आदिवासी ग्रामीणों द्वारा अपना जीवन यापन बानो उपज संग्रह करके किया जाता है जिसका प्रभाव सीधे-सीधे आदिवासी समुदाय के जीवन पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा इसलिए उक्त परियोजना के विस्तार की अनुमति प्रधान नहीं किया जाना चाहिए.

उक्त कंपनी द्वारा उक्त कंपनी द्वारा पूर्व से ही व्यापक पैमाने पर उद्योग संचालन हेतु भूजल दोहन व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है जो कंपनी के विस्तार परियोजना के बाद लगभग भूजल दोहन की मात्रा 7 गुना और बढ़ जाएगी जिससे आसपास के क्षेत्र में अन्य उद्योगों के साथ-साथ व्यापक पैमाने पर भूजल दोहन करने से जल स्तर में व्यापक पैमाने पर गिरावट आएगी जिसका असर आसपास के ग्राम ऑन के पेयजल के निस्तारण पर व्यापक पैमाने पर पड़ेगा इसलिए उपरोक्त कंपनी के विस्तार की जनसुनवाई निरस्त कर पर्यावरणीय संरक्षण माप दण्डों का पालन किया जाना उचित होगा।

उपरोक्त क्षेत्र के अध्ययन हेतु राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण भोपाल द्वारा राज्य सरकार और जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि उपरोक्त क्षेत्र के पर्यावरणीय अध्ययन के उपरांत ही नए उद्योगों का स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति पर विचार किया जाना चाहिए जिससे पर्यावरणीय प्रदूषण से आमजन जीवन पर पढ़ने वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाना चाहिए जो आज पर्यंत तक नहीं हो पाया है इसलिए जब तक इस क्षेत्र में पर्यावरणीय अध्ययन कर इस क्षेत्र का जल प्रदूषण वायु प्रदूषण एवं धनु प्रदूषण की स्थिति का आकलन नहीं हो जाता तब तक इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार की अनुमति प्रदान करना उचित नहीं होगा।

इस क्षेत्र में इस क्षेत्र में पहले से ही पीएम 2.5 एवं पीएम 10 की मात्रा पर्यावरणीय मापदंडों से कई गुना अत्यधिक है जिसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा-सीधा दिखाई दे रहा है जिसमें टीवी दम इस्नोफीलिया कैंसर चर्म रोग जैसे गंभीर बीमारियां पाई जा रही हैं साथ ही स्तन धारी जीवन में गर्भाशय जैसी बीमारियों का व्यापक पैमाने पर प्रभाव देखने को मिला है इसलिए उपरोक्त क्षेत्र में और उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों की विस्तार की अनुमति देना उचित नहीं होगा।

उपरोक्त क्षेत्र में पहले से ही काफी संख्या में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार के अनुमति देने के कारण सड़कों में चलने वाले वाहनों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है एवं ध्वनि प्रदूषण वायु प्रदूषण पर भी व्यापक पैमाने पर प्रभाव पड़ा है जिससे इस क्षेत्र में नए उद्योगों की स्थापना एवं पुराने उद्योगों के विस्तार की अनुमति देना उचित नहीं होगा।

आज की कंपनी का होने वाली जनसुनवाई कि जो ई आई ए है इसमें जो भी जानकारियां लगाई गई हैं वह अन्य होने वाली जनसुनवाई यों एवं कंपनियों की ईआईए की रिपोर्टर लगाई गई है उपरोक्त जानकारियां करीब 5 से 6 साल पुरानी है इसलिए केंद्रीय जलवायु परिवर्तन विभाग नई दिल्ली के आदेश अनुसार किसी भी कंपनी की जनसुनवाई में 3 वर्ष से पुराने डेटा का उपयोग नहीं किया जा सकता परंतु इस ई आई ए में जो भी जानकारी दी गई है वह 2011 के जनगणना के अनुसार है इसलिए यह जनसुनवाई अवैध एवं अनलीगल है इसलिए आज की जनसुनवाई का हम विरोध करते हैं।

यह क्षेत्र हाथी प्रभावित क्षेत्र है जहां हाथियों द्वारा आसपास के ग्रामीणों के खेतों का कृषि नुकसान एवं कभी-कभी गांवों में या जंगलों में मानव छति भी पहुंचाई जाती है जिसकी क्षतिपूर्ति के रूप में रायगढ़ वन विभाग द्वारा कृषि क्षतिपूर्ति एवं मानव क्षतिपूर्ति के रूप में साथ ही हाथियों के भोजन एवं रखरखाव के लिए 4 करोड रुपए से ज्यादा खर्च किए जाते हैं इन परिस्थितियों में इस ई आई ए के अंदर इसका विवरण नहीं दिया गया है तैयार किए गए दस्तावेज तारक दिखाई नहीं देते हैं जिससे यह कहा जा सकता है इस क्षेत्र की बनाई गई ई आई ए सच्चाई यों से कोई वास्ता नहीं रखती जो केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय के नियमों का सीधा सीधा उल्लंघन है इसलिए इस जनसुनवाई को निरस्त कर जमीनी स्तर पर अध्ययन करवाने की आवश्यकता है।

क्षेत्र में कोयला खदान पावर प्लांट एवं स्थानीय उद्योगों के लिए चलने वाले ट्रकों से व्यापक पैमाने पर दुर्घटनाएं होती हैं जिसका विवरण इन दस्तावेजों में नहीं दिया गया है आने वाले समय में जब कंपनी का विस्तार होगा एवं नई कंपनियों की स्थापना होगी जिससे सड़कों में व्यापक पैमाने पर दबाव बढ़ेगा जिससे दुर्घटनाओं में व्यापक पैमाने पर बढ़ोतरी होगी इनका विवरण इन दस्तावेजों में उपलब्ध नहीं कराया गया है कि प्रशासन द्वारा होने वाली दुर्घटनाओं को कैसे रोका जाएगा जबकि सड़कें दो लाइन की हैं वाहन क्षमता विस्तार को देखते हुए फोर लाइन बनाने की अति आवश्यकता है जिससे इस क्षेत्र में चलने वाले वाहनों से दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
इस 10 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राइमरी मिडिल हायर सेकेंडरी 40 से ज्यादा स्कूले हैं जहां कभी भी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण नहीं करवाया गया जिससे यह पता चल सके कि रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के अंदर औद्योगिकरण की वजह से आम जनमानस में स्वास्थ्य को लेकर किस तरह के के प्रभाव पड़े हैं जो कि इस क्षेत्र में सिलिकोसिस जैसे गंभीर बीमारियां पाई गई हैं जिसका विवरण इस अध्ययन रिपोर्ट में नहीं दिया गया है। हालांकि इस दौरान कुछ लोगों को कंपनी का छिटपुट समर्थन करते भी देखा गया। जिन पर विरोध करने वालों ने कंपनी से रूपये लेकर पक्ष में बोलने का आरोप लगाते हुए जन सुनवाई को निरस्त करने की मांग उठाई। इस दौरान जन चेतना के राजेश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य के बाद कहा कि इन सभी तथ्यों का अवलोकन करने के बाद ही पर्यावरणीय विस्तार की अनुमति देने पर जिला प्रशासन राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार को पुनर्विचार किया जाना चाहिए।



































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