रायगढ़-खरसिया। खरसिया के ग्राम दर्रामुड़ा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का समापन 27 फरवरी सोमवार को हवन-पूजन, पूर्णाहुति-सहस्त्रधारा और महाप्रसाद के साथ समापन किया गया। कथा वाचक पंडित पंकज तिवारी जी महाराज ने कथा के अन्तिम दिवस पर सुदामा चरित्र का वर्णन किया। इस दौरान “अरे द्वार पालो कन्हैया से कह दो” गीत पर आकर्षक वेश-भूषा में श्रीकृष्ण व सुदामा मिलन की झांकी प्रस्तुत की गई। श्रीकृष्ण व सुदामा मिलन की झांकी देख उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। इस दौरान भारी संख्या में माताएं-बहनें व श्रद्धालुगण उपस्थित थे।
कथावाचक पंडित श्री तिवारी जी महाराज ने बताया की “मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा से समझ सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र (सखा) से सुदामा मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। सुदामा द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढ़ने लगे, द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया। तब उन्होंने कहा की वह श्रीकृष्ण के मित्र हैं। इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है। जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना, तो प्रभु! सुदामा-सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे और सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया-कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया और सुदामा को अपने महल में ले गए और उनका अभिनंदन किया।” इस दौरान भारी संख्या में माताएं-बहनें व श्रद्धालुगण उपस्थित थे।