दो दिन के बच्चे का आपरेशन…वेंटिलेटर में बिताए 17 दिन
रायगढ़ टॉप न्यूज 11 अगस्त 2023। शहर के जेएमजे हॉस्पिटल में बिना आहार नली के जन्मे दो दिन के बच्चे सफल ऑपरेशन कर डॉक्टरों ने उन्हें नया जीवन दिया है। पैदा होते ही कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चे के जीने की परिवार वाले उम्मीद छोड़ चुके थे, लेकिन धरती के भगवान ने उसकी जान बचा ली। ओटी रूम से वेंटिलेटर तक 17 दिन का सफर तय करने व करीब महीने भर तक उपचार लेने के बाद अब बच्चा स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हो गया है।
दरअसल भाटापारा के रहने वाली प्रियंका शर्मा पति दीपक शर्मा को विगत 9 जुलाई को जेएमजे मिशन हास्पिटल में बेटा हुआ तो परिवार में खुशी छा गई लेकिन डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे के शरीर में आहार नली विकसित नहीं हो सकी है और श्वांस नली भी उसकी आंतों से जुड़ी हुई है। वहीं बच्चे का दायां फेफड़ा भी पूर्ण रूप से विकसित नहीं हुआ था और उसके लेफ्ट साइड के किडनी में भी सूजन थी। डॉक्टरों ने जब ऐसी मल्टीपल प्रॉबलम के बारे में बताया तो परिजन के पैरों तले धरती सरक गई । इतने क्रीटिकल कंडिशन में बच्चे का ऑपरेशन करने के लिए डॉक्टर भी रिस्क लेने को तैयार नहीं थे। परिजन ने रायपुर एम्स से लेकर मुंबई व दिल्ली के बड़े हास्पिटल में भी डॉक्टरों से भी सलाह ली तो सबने इसे हाई रिस्क बताकर ऑपरेशन के सफल होने की 10 प्रतिशत संभावना ही बताई लेकिन कहते हैं ना कि जाको राखे साईंया मार सके ना कोई, बच्चे की नाजुक हालत देखकर परिजन व जेएमजे प्रबंधन ने मेडिकल कॉलेज के सर्जन डॉक्टर शोभित माने को बच्चे के ऑपरेशन के लिए निवेदन किया गया। दो दिन के इस बच्चे में आहार नली ना होने से फीडिंग भी नहीं हो पा रही थी और संक्रमण बढ़ता जा रहा था । ऐसी इमरजेंसी में डॉ. माने तत्काल इसके लिए तैयार हो गए। ऑपरेशन के दौरान बच्चे के शरीर के अंदर लोकल टिश्यू से ही उसकी आहार नली बनाई गई। करीब पौने चार घंटे चला यह आपरेशन आसान नहीं था । क्योंकि दो दिन के बच्चे को एनेस्थेसिया देने में भी परेशानी थी। वहीं बच्चे के फेफड़े से लेकर दिल का आकार भी छोटा होने के कारण आपरेशन चुनौती पूर्ण था लेकिन आपरेशन सफल हो गया ।
डॉक्टरों की टीम ने नहीं मानी हार
बच्चे के ऑपरेशन के लिए मिशन हॉस्पिटल के आईसूयी में 25 दिन का सेटअप तैयार किया गया था। ऑपरेशन के 4 दिन बाद उसे वेंटिलेटर में रखा गया था। इसके बाद 10 दिन बाद जब उसे निकाला गया तो बच्चे ने सांस लेना बंद कर दिया था। उसके दिल की धड़कन भी धीरे हो गई थी। ऐसे में डॉक्टरों ने हार नहीं मानी और बच्चे के परिजन ने भी भगवान से प्रार्थना करते हुए डॉक्टरों पर पूरा भरोसा जताया। ऐसे में उसे फिर से वेंटिलेटर में रखा गया। आमतौर पर दोबार से वेंटिलेटर में जाने वाले मरीज के वापस लौटकर आने की संभावना कम रहती है लेकिन तीन दिन बाद बच्चे को वेंटिलेटर से बाहर निकाला गया और रूक-रूककर आक्सीजन भी दी जाती रही। बच्चे में धीरे-धीरे सुधार दिखने लगा । आपरेशन में बनाई गई आहार नली विकसित हुई तो धीरे-धीरे फीडिंग शुरू की गई और बच्चा स्वस्थ हुआ तो अब उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है।
देश के बाहर भी कम सफल होते हैं ऐसे ऑपरेशन
बच्चे की आहार नली विकसित करने के अलावा डॉ. शोभित माने और उनकी टीम बच्चे की आंत से जुड़ी सांस नली को बहुत ही मुश्किल से अलग किया। डॉक्टरों के अनुसार अब दवाई से उसकी किडनी की परेशानी भी ठीक हो रही है। साथ ही उसके लंग्स में भी ग्रोथ हो रहा है। डॉ. शोभित मानें ने कहा कि बच्चा अभी दूध पी रहा है। 9 माह बाद उसके तालु का ऑपरेशन किया जाएगा। इस तरह का ऑपरेशन देश के बाहर भी ऐसे ऑपरेशन बहुत कम सफल होते हैं। क्योंकि इसमें बच्चे के बचने का चांस काफी कम होता है । इस सफल ऑपरेशन में मेडिकल कॉलेज के सर्जन डॉ. शोभित माने के अलावा जेएमजे के विभिन्न विभागों के डॉक्टर डॉ. अशोक सिदार, डॉ. आशुतोष अग्रवाल, डॉ. चन्द्रशेखर, डॉ. प्रिंसी, डॉ. नुतन पाणिग्राही, डॉ अरविंद शर्मा व अन्य शामिल थे।