रायगढ़ टॉप न्यूज 31 अगस्त। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले की एक विधानसभा सीट है लैलूंगा। इस विधानसभा सीट पर भी हर बार विधायक का चेहरा बदल जाता है। यहां बीते दो दशकों से यानी चार विधानसभा चुनाव में कोई भी विधायक लगातार रिपीट नहीं हुआ। वर्तमान में यहां कांग्रेस से चक्रधर सिंह सिदार विधायक हैं।
2018 विधानसभा चुनाव में यहां त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। कांग्रेस व बीजेपी के साथ जोगी कांग्रेस के बीच चुनावी मुकाबला था। हालांकि जोगी कांग्रेस बहुत कमजोर साबित हुई। चर्चा है कि इस बार भी यहां त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है। तीसरे मोर्चे के रूप में जोगी कांग्रेस की जगह दिल्ली व पंजाब में सरकार बनाने के बाद अन्य राज्यों में जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी हो सकती है।
जशपुर जिले और ओडि़शा राज्य की सीमाओं से लगे लैलूंगा आदिवासी बाहुल्य इलाका है। बीजेपी व कांग्रेस को यहां बराबर मौके मिलने के बाद भी यह क्षेत्र पिछड़ा हुआ है। जबकि इस विधानसभा क्षेत्र के तमनार क्षेत्र में उद्योगों की भरमार है। तमनार अंचल में औद्योगिकरण अधिक होने के कारण सड़क और प्रदूषण एक बड़ी समस्या है। जिससे लोगों में सरकार के खिलाफ काफ ी आक्रोश है।
क्षेत्र में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से हो रही मौतों को रोकने के लिए कोई कारगर कदम न उठाना, उद्योगों से निकलने फ्लाईएश की समस्या को दूर करने के लिए कोई समुचित प्रवधान न होना, स्थानीय लोगों को रोजगार न मिलना भी एक बड़ी समस्या है।
लैलूंगा विधानसभा सीट पर भी इस बार सभी की निगाहें टिकी हैं। पिछले कुछ चुनावों से इस सीट पर एक ट्रेंड देखने को मिला है। यहां एक बार बीजेपी जीतती है और दूसरी बार कांग्रेस जीत दर्ज करती है। अब देखना ये होगा कि क्या इस बार भी यहां की जनता इसी इतिहास को दोहराती है या नहीं।
कांग्रेस से ये हैं दावेदार : 2023 विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस से वर्तमान विधायक चक्रधर सिंह दोबारा दावेदारी करेंगे। जो जमीनी स्तर से जुड़े हुए नेता है। जिनका लोगों से संपर्क अभियान अब तेज हो चुका है। इसके अलावा तमनार क्षेत्र से विद्यावती सिदार व जिपं सदस्य सुरेंद्र सिदार भी अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव से पहले टिकट की रेस में चक्रधर सिदार, विद्यावती सिदार और सुरेंद्र सिदार का नाम ही आगे था। लेकिन कांग्रेस की रणनीति में चक्रधर सिदार का नाम फिट बैठा और पार्टी ने अपना उम्मीदवार के तौर पर चक्रधर सिदार का नाम घोषणा की। और चक्रधर सिदार ने पार्टी के भरोसे पर खुद को सही साबित किया और भारी मतों से विजई हुए।
इस बार भी विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का समीकरण कुछ उसी स्थिति में है। बस फ र्क इतना पड़ा है कि वर्तमान में कांग्रेस का विधायक लैलूंगा विधानसभा सीट पर है और पिछले विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा से सुनीति राठिया विधायक थीं।
बीजेपी से रायगढ़ राजघराने का दावा मजबूत : बीजेपी से पूर्व विधायक सत्यानंद राठिया उनकी पत्नी व पूर्व विधायक सुनीति राठिया, पूर्व जपं अध्यक्ष लैलूंगा शांता साय, तमनार से जगेश सिदार और भाजयुमो के प्रदेशाध्यक्ष रवि भगत का नाम भी दावेदारों की सूची में शामिल हैं। हालांकि इनमें रायगढ़ राजघराने के राजा देवेंद्र प्रताप सिंह सबसे सशक्त दावेदार हैं। वर्तमान में जिपं सदस्य हैं। वैसे रायगढ़ राजघराने का कांग्रेस से गहरा नाता रहा है। उनके पिता स्व सुरेंद्र प्रताप सिंह अविभाजीत मध्यप्रदेश में राज्यसभा सदस्य रहे। देवेंद्र की बहन उर्वशी अविभाजीत मध्यप्रदेश में महिला की कांग्रेसाध्यक्ष रहीं। जिपं की भी अध्यक्ष रहीं। लेकिन देवेंद्र भाजपा से जुड़े हुए हैं। लैलूंगा विधानसभा की सीमाएं रायगढ़ शहर से जुड़ी हुई हैं। इसे देखते हुए देवेंद्र का दावा मजबूत नजर आता है।
1962 में पहला चुनाव, दूसरा 1977 में हुआ : लैलूंगा विधानसभा चुनाव में एक रोचक बात ये भी है। यहां पहला विधानसभा चुनाव 1962 में हुआ। वहीं 1963 के परिसीमन आयोग की सिफ ारिश के बाद ये सीट विलुप्त हो गई थी। ऐसे में इस सीट में 1967 और 1972 में विधानसभा चुनाव हुआ ही नहीं। 1972 में एक बार फि र से जब विधानसभा क्षेत्रों का नया परिसीमन हुआ तो दोबारा लैलूंगा सीट अस्तित्व में आया। इसके बाद 1977 में यहां फिर से चुनाव शुरू हुआ।
जानिए, लैलूंगा विधानसभा से कब-कौन रहा विधायक
वर्ष विधायक पार्टी
1962 नैऋत्य पाल आरआरपी
1977 सुरेंद्र सिंह कांग्रेस
1980 सुरेंद्र सिंह कांग्रेस
1985 सुरेंद्र सिंह कांग्रेस
1990 प्रेम सिंह सिदार बीजेपी
1993 प्रेम सिंह सिदार बीजेपी
1998 प्रेम सिंह सिदार बीजेपी
2003 सत्यानंद राठिया बीजेपी
2008 ह्दय राम राठिया कांग्रेस
2013 सुनीति राठिया बीजेपी
2018 चक्रधर सिंह सिदार कांग्रेस