Raigarh News : समाज व परिवार को सत्य व ईमानदारी का ज्ञान दिए परमानंद जी.. ब्रम्हलीन श्री परमानंद अग्रवाल जी को विनम्र श्रद्धांजलि

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रायगढ़ टॉप न्यूज 5 जनवरी 2023 । यह जीवन क्षणिक है। इस शाश्वत सत्य से सभी अवगत हैं। परंतु जीवन के क्षणिक पल को हर व्यक्ति अपने – अपने ढंग से व्यतीत करते हैं। कोई विरले ही होते हैं जो ईश्वर से मिले जीवन के महत्व और गुजरते हुए समय को समझते हुए साथ ही नेक संस्कारों व परिवार और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन करते हुए। परिवार व समाज में अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाते हैं। वहीं ऐसे गुणों से परिपूर्ण व्यक्ति जब इस संसार से अलविदा होते हैं तो अनायास ही आँखें अपनत्व भाव से सजल हो जाती हैं तो मन व हृदय भी श्रद्धा से उनके लिए भर जाता है। कुदरती इन्हीं गुणों से परिपूर्ण व्यक्तित्व के धनी थे शहर के अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्ति कानून के ज्ञाता, न्यायालय अधीक्षक के पद से सेवानिवृत्त श्री परमानंद अग्रवाल जी। जो जीवन के हर क्षण को अपने माता-पिता से मिले नेक संस्कारों के साथ अंतिम सांस 92 वर्ष की उम्र तक निभाए व सत्यता और ईमानदारी का पालन करते हुए परिवार व समाज के प्रति भी अपने कर्तव्यों को पूरा करने में सफल हुए। श्री अग्रवाल आज भौतिक शरीर से तो हमारे बीच नहीं हैं परंतु उनके विराट व्यक्तित्व व नेक कार्यों का परिवार व समाज के लोग सदैव आभारी रहेंगे। उन्हें शत् – शत् नमन्… विनम्र श्रद्धांजलि।

शहर में बीता बचपन
श्री परमानंद अग्रवाल जी शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति स्व श्री घीसूराम अग्रवाल जी एवं उनकी अर्द्धागिंनी स्व श्रीमती जानकी देवी अग्रवाल के प्रतिभावान सुपुत्र थे व उनका जन्म 8 जून 1930 को रायगढ़ में हुआ। श्री अग्रवाल का बचपन शहर में बीता साथ ही परहित समाज सेवा, सत्य व ईमानदारी का पालन करने का गुर उनको विरासत से मिला। वहीं बचपन से कुशाग्र बुद्धि व पढ़ाई के प्रति लगन व ज्ञानार्जन की प्रवृत्ति ने उनके व्यक्तित्व को चार चांद लगाया। यही वजह है कि शहर की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद उन्होंने उच्चशिक्षा के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में दाखिल लिए और बीकॉम व पीजी किए। देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पं मदनमोहन मालवीय के वे शिष्य अनुरुप थे और उनके दिव्य विचारों का प्रभाव भी उनके जीवन पर पड़ा। वहीं कॉलेज की पढ़ाई पूर्ण करने के बाद महज बीस वर्ष की उम्र में सर्वप्रथम सेल टेक्स इंस्पेक्टर पद से शासकीय सेवा की शुरुआत किए।वहीं विगत 1957 में श्री अग्रवाल बेहद मृदुभाषी, धार्मिक प्रवृत्ति की परहित सेवा में निपुण श्रीमती कमला देवी अग्रवाल के साथ नव दाम्पत्य जीवन की शुरुआत किए और ईश्वर की कृपा से श्री अग्रवाल को किरण देवी सुपुत्री व होनहार सुपुत्र संजय और मनोज की प्राप्ति हुई। वहीं उनके सुपुत्र संजय अग्रवाल व मनोज अग्रवाल भी विरासत से मिले नेक संस्कारों व अपने पिता के पद चिन्हों पर चलते हुए और समाज की सेवा करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाकर अपने कुल व शहर को गौरवान्वित कर रहे हैं।











सेवा कार्य का सफर
कानून के ज्ञाता ब्रम्हलीन श्री परमानंद अग्रवाल सर्वप्रथम शासकीय सेवा की शुरुआत सेल टेक्स इंस्पेक्टर के पद पर रायगढ़ से किए। इसके पश्चात वे अंबिकापुर, दुर्ग, दतिया, ग्वालियर,विदिशा शहरों में अपनी सेवाएं देते हुए और अपने कर्तव्यों का सत्य व ईमानदारी से पालन करते हुए साथ ही पदोन्नत होते हुए न्यायालय अधीक्षक के पद से रायगढ़ से ही सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने सदैव सरकारी सेवा कार्य को हमेशा प्राथमिकता दिए। वहीं उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि सेवा कार्य के दौरान सुप्रीम कोर्ट बैच ने उनको स्वच्छ सर्विस के लिए नई दिल्ली में सम्मानित किया था।

श्री अग्रवाल का जीवन सिद्धांत
बेहद सहज सरल व सौम्य व्यक्तित्व के धनी श्री अग्रवाल पर उनके माता-पिता व विरासत के नेक संस्कारों का प्रभाव तो रहा ही साथ ही कानून की किताबों का अध्ययन के अतिरिक्त धार्मिक किताबें पढ़ना, नित्यदिन अखबार पढ़ना, योग व व्यायाम, सादगी से रहना साथ ही हर संभव समाज के लोगों का सहयोग करना उनके शगल में शुमार था। वहीं उन्होंने अपनी माता जी को वचन भी दिए थे कि किसी दूसरे को तकलीफ नहीं दूंगा और सादगी जीवन के साथ सत्य व ईमानदारी का पालन करुँगा जिसे वे ताउम्र निभाए। वहीं उन्होंने अपने सुपुत्रों को भी पारिवारिक संदेश दिए कि अपने जीवन में हमेशा ईमानदारी से कार्य करो और दूसरों की मदद के लिए हमेशा तत्पर रहकर हर संभव सहयोग करो। वहीं अपने माता-पिता के अनमोल वचनों को सुपुत्र संजय अग्रवाल व मनोज अग्रवाल व नाती पोते और पोती भी हृदय में आत्मसात कर पालन कर रहे हैं।

26 को अलविदा हुए संसार से
विगत 26 दिसंबर 2022 का दिन परिवार, शहर व समाज के लिए दुखद दिन रहा उसी दिन कानून के ज्ञाता व एक सच्चे व ईमानदार समाजसेवी श्री परमानंद अग्रवाल सभी की आँखों को सजल कर इस नश्वर संसार को अलविदा कर परमधाम में ब्रम्हलीन हुए। वहीं यथा नाम तथा गुण परमानंद को चरितार्थ करते हुए श्री अग्रवाल ने अपने व्यवहार, अपनी कार्यशैली व अपनी सेवा भावना से जो आनंद परिवार, शहर व समाज को दिए हैं वही यथार्थ में परमानंद है। जिसके लिए सभी आभारी रहेंगे। ब्रम्हलीन श्री परमानंद अग्रवाल जी को कोटिशः शत् – शत् नमन्, विनम्र श्रद्धांजलि ऊँ शांति, ऊँ शांति ।















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