रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में स्थित एकताल गांव के करीब 150 शिल्पकार तेलगाना में बंधक बने हुए हैं। इस मामले की जानकारी उस समय सामने आई जब कमाने खाने गए एक शख्स की मौत हो गई और उसके शव को लाने नहीं दिया जा रहा था। जिसके बाद परिजन रायगढ़ विधायक एवं वित्त मंत्री कार्यालय पहुंचकर मृतक के शव के अलावा अन्य मजदूरों को आजाद कराने की गुहार लगाई।





जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर ओडीसी सीमा से सटे हुए एकताल गांव में रहने वाले झारा शिल्पकार जो कि राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र भी कहे जाते हैं। झारा शिल्पकार अपने काम में बहुत माहिर है और उन्हे अनेक राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पुरूस्कार भी जीत चुके हैं उनकी बनाई हुई मूर्तियां और सजावट के सामान पूरे भारत में प्रसिद्ध है इतना ही नही विदेशो में भी यहां की बनाई मूर्तियां हाथों हाथ बिकती है। झारा शिल्प कलाकारी एक बेलमेटल से या ढोकरा आर्ट है जिसमें लोहे और तांबे के मिश्रण से बने हुए मूर्तियां और सजावट के चीजे बनाई जाती है।
एकताल गांव में रहने वाले सुंदरलाल झारा ने रायगढ विधायक एवं वित्त मंत्री कार्यालय पहुंचकर ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि उसका भाई नवीन झारा तेलगांना में ईट भट्ठे में काम करने गया था इस दौरान अचानक तबियत खराब हो जाने से उसकी मौत हो गई। जिसके बाद भट्ठा मालिक के द्वारा शव को गृहग्राम भेजने किसी तरह की कोई पहल नही की जा रही है। शुक्रवार की दोपहर जब हमारी टीम एकताल गांव पहुंचकर तेलगांना में मजदूरों के परिजनों से चर्चा की तो रोते बिलखते और हाथ जोड़ते हुए उन्होंने अपने परिजनों को जल्द से जल्द वहां से छुड़ाकर वापस लाने में मदद करने की गुहार लगाई गई।
चार माह पहले पलायन किये लोग
बताया जा रहा है कि चार महीने पहले रोजी रोटी की तलाश में एकताल गांव से करीब 150 लोग ईट भट्ठी में काम करने तेलगांना पलायन किये थे। इन्हीं में से एक नवीन झारा 40 साल की मौत हो गई। जिसके बाद ईट भट्ठे का ठेकेदार मृतक के शव को घर भेजने की पहल नही कर रहा था। बाद में मृतक की पत्नी की फरियाद पर शव को गृह ग्राम भेजा गया तब जाकर परिजनों ने शव का दाह संस्कार किया।
अलग-अलग भट्ठो में 150 लोग
मृतक के नवीन झारा के भाई घेसरू झारा ने बताया कि वे गरीब परिवार से हैं इसलिये रोजी रोटी की तलाश में नवीन झारा करीब तीन महीना पहले तेलगांना गया था। वहां मौजूद ठेकेदार के द्वारा अब वहां काम करने वाले मजदूरों के साथ मारपीट करता है। जहां उसके भाई की मौत हुई है वहां उन्हीं के गांव के करीब 8 लोग काम करते हैं और तेलगांव के अलग-अलग भट्ठों में एकताल गांव के करीब 150 लोग काम करते हैं।
घेसरू ने यह भी बताया कि वे सभी गरीब परिवार के रहने वाले हैं उनका व्यवसाय बराबर नही चलता इसी बीच बाहर से लोग आते हैं और उन्हें एक मुश्त पैसा देते हैं और उसी के लालच में आकर वे फंस जाते हैं और दिन रात काम कराया जाता है। वे अपनी शिकायत प्रशासन से कर चुके हैं और फंसे हुए लोगों को निकालने का आश्वासन दिया गया है।
मृतक की पत्नी सुभाषिनी झारा ने बताया कि उसके पति को ईट भट्ठा का ठेकेदार दिन रात काम करवाता था जिसके कारण उसकी मौत हो गई। इसके बावजूद ठेकेदार वहां काम करने वाले अन्य मजदूरों से भी लगातार काम करवा रहा है। घर जाने की बात करने पर वहां मौजूद लोगों के द्वारा गाली गलौज करते हुए डंडा दिखाकर मारने पीटने की धमकी दी जाती है।
एकताल गांव के रहने वाले सत्यकुमार झारा ने बताया कि उसके भाई नारायण झारा, बेटा गिरधारी, कन्हैया, बहु पूजा और कुमकुम के अलावा दो नाती दीपावली से पहले तेलगांना के रामकुंडम काम करने गए थे। उनका यह भी कहना था कि उनके द्वारा बनाया हुआ सामान जहां वे बेचते थे वह नही बिक रहा था इस वजह से रोजी रोटी की तलाश में वे गांव से पलायन किये थे। वहां मौजूद ठेकेदार के द्वारा उनका मोबाईल भी छीन लिया गया है जिस वजह से उनसे बात भी नही हो पाती।
