रायगढ़। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में अब बदलते दौर में चांवल की कई किस्मों की पारम्परिक धान की खेती के साथ साथ बाजार की मांग के अनुकूल अन्य पोषण आहार पैदावार की ओर यंहा के किसानों का रुझान बढ़ने लगा है। जेएसपी फाउंडेशन द्वारा आंचलिक कृषि व कृषकों को प्रोत्साहित करने “खुशहाल- किसान” योजना की श्रंखला में मोटा अनाज मिलेट के लिए रागी एवं कुटकी तथा उन्नत व सुगन्धित किस्म की बासमती धान के बीज का वितरण किया गया। शुरूआती दौर में आस पास के ग्रामों के 55 कृषक परिवारों का चयन इस योजनान्तर्गत किया गया है जो इसका प्रत्यक्ष लाभ उठा सकेंगे। इसके उपरांत मिलेट व उन्नत किस्म की सुगन्धित धान के पैदावार के लिए कृषकों को वृहद् स्तर पर प्रोत्साहित किये जाने की योजना है। इसके अलावा क्षेत्र के कृषकों को कृषि अभियांत्रिकी के साथ अत्याधुनिक किस्म की मशीनी उपकरणों की सुविधा उपलब्ध कराये जाने की योजना है जिससे इसका लाभ उनके कृषि कार्यों के लिए उन्हें मिल सकेगा और उन्नत कृषि हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।
जे एस पी फाउंडेशन द्वारा आंचलिक कृषि व कृषकों को प्रोत्साहित करने “खुशहाल- किसान” कल के लिए बीज बोओ योजनान्तर्गत मोटा अनाज मिलेट के लिए रागी एवं कुटकी तथा उन्नत व सुगन्धित किस्म की बासमती धान के बीज का वितरण किया गया। इससे ग्राम मुरालीपाली , केराझर ,ड़ोंगाढकेल ,कोसमनारा बरमुडा सहित नेतनागर के 55 कृषक परिवार प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित हो सकेंगे। कृषकों को बीज वितरण के पूर्व कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ से संबद्ध किसान समूह के फसल बाजार “गंवई” के कृषि विशेषज्ञ जय कुमार की मौजूदगी में बीजारोपण व देखरेख के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया। उन्नत बीज का वितरण पृथक पृथक 06 ग्रामों में किये जा रहे हैं जिससे लगभग 09 एकड़ में सुगन्धित किस्म के धान तथा 18 एकड़ में मिलेट की खेती की जा सकेगी। क्षेत्र के कृषि व कृषकों को कृषि विज्ञानं केंद्र एवं उद्यानिकी एवं कृषि विभाग के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण व जागरूकता कार्यक्रम के माध्यमसे अत्याधुनिक खेती के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया जाता है।
मोटा अनाज में शामिल मिलेट ,रागी एवं कुटकी ग्लुटेन फ्री होते हैं और शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद होते हैं। जिसे देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को इयार आफ मिलेट घोषित किया था और वैज्ञानिक पहलू सामने आने के बाद सुपरफूड में शामिल किया गया था। मिलेट हब के रूप में आज छत्तीसगढ़ की पुरे भारत में एक अलग पहचान है। इसके साथ किसानों को वितरित की जा रही सुगन्धित किस्म की बासमती अन्य किस्मों के धान से बेहतर व अधिक आय देने वाले होते हैं और इसमें रोग और कीट की संभावना कम होती है। उल्लेखनीय है की इसके पूर्व 05 ग्रामों के 37 कृषक परिवारों के साथ मिलकर ब्लैक राइस व ग्रीन राइस का उत्पादन किया गया था जिसे बेहतर प्रतिसाद मिला था। इसके अलावा 06 गांव के 281 कृषक परिवारों को बैगन ,टमाटर ,पालक ,लाल भाजी ,सेम ,धनिया ,मिर्च ,लौकी, डोंडका, तरोई बरबटी जैसे कई सब्जियों के उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराये गए थे ।