करमा, सरहुल, पंथी, गौरा-गौरी आदि लोकनृत्य ने बिखेरी सभी दर्शकों के मन को छूने और झूमाने वाली खुशबू
रायगढ़/ 39वे चक्रधर समारोह के छठवें दिन इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ द्वारा छत्तीसगढ़ी संस्कृति पर आधारित विविध छत्तीसगढ़ी लोक नृत्य की मन को छूने और झुमाने वाली आकर्षक प्रस्तुति दी गई। जिससे कार्यक्रम स्थल पर दूर दूर से पहुंचे सभी दर्शक कत्थक, भरतनाट्यम, कुचीपुड़ी, बासुरी, तबला, संतूर, सितार, अकार्डियन वादन, कव्वाली, भजन, गजल सहित विभिन्न शास्त्रीय कलाओं के साथ साथ छत्तीसगढ़ के करमा, सरहुल, पंथी, गौरा-गौरी, भरथरी आदि लोकरंगो में डूबे। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ प्रदर्शन एवं ललित कलाओं के शोध में अग्रणी संस्थान है। यह कला, फैशन डिजाइनिंग, उच्च स्तरीय शोध कार्य आदि विभिन्न गतिविधियों के लिए संपन्न है। यह संस्थान लोक कला के प्रचार व संरक्षण के लिए लगातार कार्य कर रहा है। तातापानी महोत्सव, युवा उत्सव, नर्मदा उत्सव, चक्रधर समारोह सहित विभिन्न समारोह में इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय की सक्रिय भागीदारी रहती है। आज चक्रधर समारोह में कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ की टीम द्वारा विभिन्न लोककला का प्रदर्शन एवं निर्देशन डॉ. योगेंद्र चौबे, अधिष्ठाता, लोककला लोकरंग (प्राध्यापक) के मार्गदर्शन में प्रस्तुत किया गया। डॉ. योगेंद्र चौबे सहज व सांस्कृतिक नाट्य शैली के लिए जाने जाते है। रंगमंच में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई संस्थानों द्वारा इन्हे सम्मानित किया जा चुका है। शोध और लेखन कार्य में भी इनकी गहरी रुचि है। वे पीएचडी के बाद इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय में अध्ययन अध्यापन कार्य में सक्रिय है।