Raigarh News :  ‘केलो मैया-केलो है, तो कल है’ पुस्तिका का मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किया विमोचन

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केलो संरक्षण अभियान को समर्पित है जिला प्रशासन द्वारा प्रकाशित यह पुस्तिका

रायगढ़ टॉप न्यूज 6 जून 2023। राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के अवसर पर रायगढ़ आये मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने रायगढ़ की जीवन रेखा मानी जाने वाली केलो नदी के संरक्षण पर आधारित पुस्तिका ‘केलो मैया-केलो है, तो कल है’ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अभियान के लिए कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा सहित पूरे जिला प्रशासन को शुभकामनाएं दी। इस दौरान सीईओ जिला पंचायत श्री अबिनाश मिश्रा उपस्थित रहे।













उल्लेखनीय है कि केलो मैया के नाम से प्रकाशित पुस्तिका में केलो नदी तथा संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी गई है। इसके साथ ही केलो नदी के तट पर स्थित पर्यटन स्थलों को भी इसमें जगह दी गई है। रायगढ़ जिले के अंतिम छोर के सुदूर में प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण पहाड़ लुड़ेग से केलो नदी का उद्गम होता है। लैलूंगा के पहाड़ लुड़ेग से निकलने वाली नदी की रायगढ़ में कुल लम्बाई लगभग 90 कि.मी. है। यह महानदी के सहायक नदी है और उड़ीसा राज्य के महादेव पाली नामक स्थान पर महानदी में विलीन हो जाती है।

केलो नदी के संरक्षण एवं सवंर्धन के लिए प्रशासनिक प्रयासों के साथ जनसहयोग से छेड़ी गई मुहिम
कलेक्टर श्री तारन प्रकाश सिन्हा की पहल पर जिले में आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित करने की दिशा में जल संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर जिले में वृहत स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। ‘केलो है तो कल है’ के संकल्प के साथ केलो नदी के संरक्षण व संवर्धन की मुहिम रायगढ़ जिले में प्रशासनिक प्रयासों के साथ जनसहयोग से छेड़ी गई है। जिससे आने वाले समय में नदी का स्वरूप निखरे। केलो संरक्षण अभियान का मूल उद्देश्य है कि प्राकृतिक जल को व्यर्थ बहने से रोका जाए और रुके हुए जल को भूमिगत किया जाए। जिसके अंतर्गत जल स्त्रोतों को सहेजने और संवर्धन के काम किए जा रहे है। केलो नदी के संवर्धन का अभियान शुरू किया गया है और आने वाले दिनों में केलो नदी के किनारे एवं अलग-अलग क्षेत्रों में वृहत स्तर पर पौधे लगाने का कार्य किया जाएगा। जिसके लिए कलेक्टर श्री सिन्हा द्वारा जिले के विभिन्न हिस्सों में स्वयं जाकर जगह चिन्हांकन किया गया एवं पौध रोपण हेतु सभी प्रकार की तैयारियां भी की जा रही है। इसी तरह जल स्त्रोतों को सुरक्षित रखने के लिए जिले की पंचायतों में जागरूकता के लिए मुहिम चलायी जा रही है। नदी तट से लगे गांवों में तालाबों को गहरा किया जा रहा है, ताकि भूमिगत जल स्तर में सुधार हो सके।

एरिया और नरवा ट्रीटमेंट दोनों मोर्चों पर किया जा रहा कार्य
केलो नदी के संरक्षण के लिए एरिया ट्रीटमेंट और नरवा ट्रीटमेंट दोनों मोर्चों पर काम किया जा रहा है। नदी तट पर बसे गांवों को भी इसमें शामिल किया गया है। केलो नदी के पुनरुद्धार के लिए वॉटरशेड के रिज टू वैली कांसेप्ट से काम हो रहा है। चोटी पर नदी के उद्गम से लेकर नीचे की ओर जाने वाले नदी की लाइनिंग को जोड़ा जा रहा है। इसमें पूरे क्षेत्र को ढलान के अनुसार अलग-अलग भागों में बांटा गया है। जिसमें बहाव को नियंत्रित करने तथा जल को स्टोर करने के लिए विभिन्न उपाय किए जा रहे हैं। जिससे पानी का अधिकतम उपयोग हो। एरिया और नरवा ट्रीटमेंट के तहत नदी के तटों का कटाव, गाद जमा होना, बहाव में कमी, घटता भू-जल जैसी समस्याओं को दूर करने का कार्य किया जा रहा है। इसमें नरवा ट्रीटमेंट के लिए ब्रशवुड चेक, लूज बोल्डर चेक, गेबियन स्ट्रक्चर, चेक डैम तथा स्टॉप डैम का निर्माण होगा। एरिया ट्रीटमेंट के तहत विभिन्न स्ट्रक्चर जैसे कंटूर ट्रेंच, पर्कोलेशन टैंक, स्टेटगार्ड ट्रेंच बनाया जायेगा।





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