पर्यावरण सुधारने की दिशा में यह प्रयास मिल का पत्थर साबित होगा
रायगढ़ :- नगर के बहुमुखी विकास का साथ साथ पर्यावरण सुधार विधायक ओपी चौधरी की प्राथमिकताओं में शामिल है। इस दिशा में नगरीय क्षेत्रों के कचरे से गैस बनाने की दिशा में प्रदेश सरकार के साथ हुए दो एजेंसियों के साथ हुए एम ओ यू का की जानकारी देते हुए विधायक ओपी चौधरी ने कहा पर्यावरण सुधारने की दिशा में भी सतत प्रयत्नशील है। प्रदेश के छह नगर निगम से प्रतिदिन भारी मात्रा में एकत्र होने नगरीय ठोस अपशिष्ट से कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन शुरू किए जाने की जानकारी भी दी। राजधानी में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के छह जिलों में इस योजना का शुभारंभ करने हेतु सीबीडीए एवं भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड से एम ओ यू किया है । प्रदेश के छह जिलों के लिए हुए एम ओ यू में रायगढ़ जिला भी शामिल है।वित्त मंत्री विधायक रायगढ़ ओपी चौधरी ने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत किए जाने के बाद देशवासियों में स्वच्छता को लेकर व्यापक जागृति आई । मोदी जी की मंशा अनुरूप प्रदेश में स्वच्छता को लेकर बहुत से कार्य शुरू किए जा रहे हैं।
नगरीय निकायों में कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन हेतु संयंत्रो की स्थापना से शहरों को स्वच्छ-सुंदर बनाने का संकल्प पूरा होगा। जैव ईंधन के रूप में बायोगैस के उत्पादन से ना केवल ऊर्जा की आवश्यकता भी पूरी होगी बल्कि वेस्ट टू एनर्जी की परिकल्पना भी साकार होगी। मंत्री ओपी चौधरी ने यह विश्वास दिलाते हुए कहा साय सरकार के इस एमओयू से पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता जैसे बड़े उद्देश्य पूरे होंगे साथ में स्थानीय लोगों को लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। भारत सरकार के प्रतिष्ठित संस्थाओं के सहयोग से इस कार्य को किए जाने से उनकी विशेषज्ञता का लाभ भी हमें मिलेगा। इस परियोजना के शुरू होने के बाद रायगढ़ में एकत्र होने वाले गीले कचरे का निपटान बेहतर तरीके से हो सकेगा। छत्तीसगढ़ में सतत् योजना के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट से जैव ईंधन कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं।इसी क्रम में छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण (सीबीडीए) के निरंतर प्रयास से नगर पालिक निगम अंबिकापुर, रायगढ़, कोरबा, बिलासपुर, राजनांदगांव और धमतरी में नगरीय ठोस अपशिष्ट से कम्प्रेस्ड बायोगैस संयंत्र की स्थापना की जाएगी। इस एमओयू के माध्यम से 6 नगर पालिक निगमों के लगभग 350 मीट्रिक टन प्रतिदिन नगरीय ठोस अपशिष्ट एवं लगभग 500 मीट्रिक टन अधिशेष बायोमास का उपयोग जैव ईंधन उत्पादन के लिये किया जावेगा. इन 06 संयंत्रों से प्रतिदिन लगभग 70 मीट्रिक टन कंप्रेस्ड बायोगैस का उत्पादन होगा ।
इन परियोजनाओं में लगभग 600 करोड़ रुपये का निवेश पूर्ण रूप से गेल एवं बी पी सी एल द्वारा किया जाएगा. इसी प्रकार संयंत्रों से होने वाले उत्पादन और बिक्री से राज्य को प्रतिवर्ष लगभग 6 करोड़ रुपये का जीएसटी प्राप्त होगा।स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती और नेट जीरो एमिशन की दिशा में अग्रसर होगा प्रदेश एमओयू के फलस्वरूप संयंत्रों की स्थापना से उत्पन्न सह-उत्पाद से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। कचरे के प्रभावी निपटान से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी और छत्तीसगढ़ नेट जीरो एमिशन प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होगा।