Raigarh News: हाथियों का दल पहुंचा छाल… हाथियों के दल ने एक ग्रामीण कुचला…मौके पर ही मौत

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रायगढ़। धरमजयगढ़ क्षेत्र के छाल रेंज में हाथियों के दल के दस्तक से ग्राम पुसल्दा के ग्रामीणों में दहशत है। हाथियों के दल ने ग्राम बरभौना निवासी आसान राठिया को कुचल दिया । इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम व छाल पुलिस पर ग्रामीणों ने नाराजगी जताई। वन विभाग की टीम ने ग्रामीणों को जंगल में न जाने और हाथियों को न छेड़ने की समझाइश दी है। पुसल्दा में कार्तिकेश्वर मेला का अंतिम दिन होने के चलते मेले में आने वाले लोगो की काफी भीड़ है। इसे लेकर वन विभाग की टीम सजग है।

जिले के धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र के छाल रेंज के अंतर्गत आने वाले ग्राम पुसल्दा में रविवार की सुबह 55 से अधिक हाथियों के दल के दस्तक से गांव में अफरा-तफरी का माहौल बना गया। हाथियों को वापस जंगलों की तरफ खदेड़ने के लिए पूरा गांव मौके पर जुट गया है। जानकारी के अनुसार छाल रेंज के पुसल्दा गांव में इन दिनों कार्तिक मेला का आयोजन किया जा रहा है।













इस मेले में आसपास के लगभग एक दर्जन से अधिक गांव के लोग शामिल होते हैं। रविवार की सुबह एवं दोपहर में 55 हाथियों के दल के गांव में आ जाने से ग्रामीण दहशत में आ गए। ग्रामीण जेसीबी के साथ शोर मचाते हुए हाथियों को वापस जंगल की ओर खदेडने का प्रयास करने लगे। ग्रामीणों ने बताया कि शनिवार को बांधापाली और बोजिया में भी हाथियों के दल ने जमकर उत्पात मचाया और खेत में लगे धान की फसल को जमकर नुकसान पहुंचाया है।

जिसके बाद वन विभाग के अधिकारियों के अलावा हाथी मित्र दल भी मौके पर पहुंचकर हाथियों को वापस गांव की ओर खदेड़ने के प्रयास में जुट गई है। इधर कार्तिक मेले में रात्रि में जंगल की ओर आवागमन करने से वन विभाग व गांव के सक्रिय ग्रामीणो से लेकर आयोजन समिति द्वारा मुनादी की जा रही है।

आर्थिक नुकसान और जनहानि बड़ी समस्या
धरमजयगढ़ छाल में पिछले कुछ दिनों से हाथियों का दल क्षेत्र में घूम-घूमकर धान के अलावा अन्य फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं जिससे ग्रामीण त्रस्त हो चुके है। रतजगा करने के बावजूद ग्रामीण अपनी फसलों की सुरक्षा कर पाने में असमर्थ हो चुके हैं। वन विभाग की टीम हाथी प्रभावित क्षेत्रों में मुनादी कराकर गांव वालों को हाथी से सावधान रहने की अपील करता है लेकिन हाथियों के उत्पात को रोकने किसी प्रकार कोई मदद नही की जाती।

जंगल से निकलकर आबादी वाले क्षेत्रों में दे रहे दस्तक
विभागीय अधिकारियों ने बताया कि दिन के समय हाथियों का दल जंगल में रहता है और रात होने के बाद जंगल से निकल कर खेतों व आबादी वाले क्षेत्र में आ रहे हैं। इसके बाद यहां अपने पैरों तले फसलों को रौंद रहे हैं। यह दल दोनों वन मंडल में विचरण कर रहा है। बीते कुछ सालों के दरम्यान गांव में धान की फसल पकते ही अक्सर हाथियों का दल गांव की ओर रूख कर लेता है और यहां जमकर उत्पात मचाया जाता है। वहीं धरमजयगढ़ वन मंडल क्षेत्र में कोरबा व अन्य क्षेत्रों से लगातार हाथियों का आवाजाही बना है। जिसमें पूरे वन मंडल में 120 से अधिक विभिन्न झुंड में बच्चे के साथ हाथी विचरण कर रहे है। वन विभाग द्वारा लगातार उन पर नजर रख रहे हैं ताकि किसी प्रकार की कोई जनहानि न हो सके।

दल में बच्चे भी शामिल यही वजह हाथी है आक्रमक
वनांचल क्षेत्र जंगलों से आच्छादित है यह जंगल ओड़िसा सीमा से लगा हुआ है यहां हाथियों का आवागमन आए दिन होते रहता है कई बार ग्रामीण इनकी चपेट में आकर जान भी गवां चुके हैं वही वन विभाग के मुताबिक हाथी जब अपने दल में बच्चे के साथ विचरण करते हैं तो वे काफी आक्रामक रहते। इस स्थिति परिस्थितियों को देखते हुए ग्रामीण भयभीत है और भय के माहौल में जीवन व्यतीत करें क्योंकि पूर्व में भी कई ग्रामीणों के घर को हाथियों द्वारा नष्ट किया जा चुका है।

धरमजयगढ़ वनमंडल में हाथियों का दल बच्चों के साथ
सप्ताह भर पहले के रिकार्ड में 111 हाथियों अलग-अलग दल में विचरण कर रहे हैं। जिसमें 33 नर, 48 मादा के अलावा 30 बच्चे शामिल है। इसमें सबसे अधिक छाल रेंज के बनहर में 35 हाथी, सिंघीछाप में 30, धरमजयगढ़ के रूपुंगा में 25 के अलावा अलग-अलग दल में हाथी विचरण कर रहे हैं। वहीं रायगढ़ वन परिक्षेत्र के जंगलों में भी 11 हाथी विचरण कर रहे हैं जिनमें 4 नर, 5 मादा, 2 बच्चे शामिल है। जिसमें कांटाझरिया में 2, घरघोड़ा के बरौद में 9 हाथी शामिल है । रायगढ़ और धरमजयगढ़ वन परिक्षेत्र मिलाकर इन दिनों रायगढ़ जिले में 122 हाथी विचरण कर रहे हैं।





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