रायगढ़ टॉप न्यूज 15 जून 2023। निकटस्थ ग्राम बिजारी जहां हाल ही के कुछ वर्षो में एसईसीएल का खुली खान परियोजना का प्रादुर्भाव हुआ फिर भी ग्रामवासी अपने ग्राम बिजारी के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से पुरी के जगन्नाथ रथयात्रा के तिथि व शुभ घड़ी में आदिवासियों की पारंपरिक ढोल,मृदंग,निशान व झांझों के थापों के अनुगुंज के मध्य हजारों ग्रामीणों की उपस्थिति में भव्य रूप से रथयात्रा पूरे विधि विधान से निकालने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
उक्त तारतम्य में आगामी 20 जून को दोपहर भगवान जगन्नाथ मंदिर में विधिवत पूजा अर्चना के पश्चात संध्या भव्य ईनामी रथ यात्रा की प्रतियोगिता भी संचालित की जायेगी रथयात्रा में शरीक होने प्रतिभागियों के वाद्य नृत्य गीत व वेशभूषा पर निर्णायकों द्वारा प्रथम आने प्रतिभागियों के लिए समिति द्वारा रखी गई प्रथम ईनाम 15000 रूपए, द्वितीय ईनाम 7000 रूपए, तृतीय ईनाम 4000 रूपए तथा संतावना पुरस्कार के रूप में शेष प्रतिभागियों को 2000 रूपए नगद पुरस्कार दिया जायेगा।
रथयात्रा के आयोजक नवीन साहू,बोधराम साहू, जगन्नाथ साहू , घनश्याम साहू, डिलेश्वर साहू,भरत साहू ने उक्त आशय की जानकारी देते हुए घरघोड़ा ब्लॉक तहसील के अंतर्गत समस्त भक्तजनों तथा कर्मा मंडलियों को 20 जून को भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्राचीन मंदिर परिसर में सादर आमंत्रित करते हुए दुकान लगाकर विभिन्न व्यवसाय करने वालों तथा झूले खेल तमाशें वालों को भी उन्होंने उचित स्थान दिलवाने की बात कही है !
मितान बदने का उपयुक्त अवसर
इस आदिवासी अंचल में वर्षो से एक परंपरा ग्रामीणों के मध्य देखी जाती है कि मित्रता,दोस्ती यानी मितान बदने का रथयात्रा की तिथि को उपयुक्त अवसर माना जाता है चाहे वह नवयुवतियों की मित्रता हो या युवाओं की दोस्ती हो इस शुभ घड़ी को बहुतों लोग इंतजार करते है सखी और मितान बदने का यह उपयुक्त अवसर होता है इस परंपरा को इस क्षेत्र के ग्रामीण अंचल के सुदूर क्षेत्रों के ग्रामीणों पीढ़ि दर पीढ़ि निभाई जाती है!
महीने भर चलती है प्रतीकात्मक रथ यात्रायें
पतरापाली बिजारी ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच रामकुमार राठिया व ढोरम ग्राम पंचायत के युवा हस्ताक्षर सिरोत्तम चैहान बतलाते हैं कि ग्राम बिजारी के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर से वास्तविक जगन्नाथ जी की रथयात्रा जिस दिन से निकाली जाती है उसके बाद के दिनों से इस क्षेत्र के शताधिक ग्रामीणों में महीने भर जगन्नाथ रथयात्रा निकालने की परंपरा चली आ रही है प्रत्येक गांव में रथयात्रा की समितियां है रथ,गाड़ी, पहिए सभी बनायें जाते है भगवान जगन्नाथ बलभद्र व सुभद्रा की पूजा अर्चना की जाती है हर गांव में मोहल्लों में यह परंपरा देश की आजादी से ही चली आ रही है रथयात्रा एक उत्सव की तरह मनाई जाती है विभिन्न ग्रामों में मेले जैसा दृश्य रहता है,दूर नौकरी कर रहे हो या बेटियों के विवाह के बाद उन्हें लाने नये वस्त्र आभूषण देने की भी परंपरा चली आ रही है।