रायगढ़ टॉप न्यूज 14 मई 2023/ हरा सोना यानि कि तेंदूपत्ता। यह ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए हरा सोना ही है। क्योंकि यह उन्हें आर्थिक लाभ देता है, तो अब इस बार भी तेंदूपत्ता संग्रहण का काम शुरू हो चुका है और रायगढ़ वन मंडल की बात करे तो तकरीबन 42 हजार परिवार तेंदूपत्ता तोड़ने में लगा हुआ है। तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य एक मई से शुरू किया जाना था, लेकिन मौसम के बदलते मिजाज के कारण तेंदुपत्ता संग्रहण कार्य में कुछ देरी जरूर हुई, पर शनिवार तक की स्थिति में 34 हजार 165 मानक बोरा का संग्रहण कर लिया गया।
विभागीय कर्मचारियों ने बताया कि तेंदूपत्ता संग्रहण के लिए अग्रिम खरीदी व्यवसायियों ने पहले ही कर ली थी। एक मई से तेंदूपत्ता संग्रहण का काम किया जाना था, लेकिन मौसम की वजह से रायगढ़ वन मंडल में सभी जगह आठ मई से संग्रहण काम शुरू हुआ। अच्छी क्वालिटी के पत्ते का संग्रहण हो सके इसके लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा फड़ मुंशी और विभागीय कर्मचारियों की बैठक भी ली जा रही थी। ऐसे में बूटा कटाई का काम शुरू किया गया और अब मई माह से संग्रहण का काम शुरू हो गया है। शनिवार तक की स्थिति में 34 हजार 165 मानक बोरा का संग्रहण विभाग द्वारा किया गया है।
58 हजार मानक बोरा का लक्ष्य
तेंदूपत्ता संग्रहण कार्य में इस वर्ष 58 हजार मानक बोरा का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें शनिवार तक करी 59 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया गया। रायगढ़ वन मंडल की 53 समिति के 416 फड़ो में तेंदुपत्ता खरीदी में तेजी आने की बात अब अधिकारी कर रहे हैं। सभी रेंज में तेंदूपत्ता का संग्रहण किया जा रहा है। प्रारंभ में देखा गया था कि कुकुर्दा, जामंगा, तिलगा की ओर कुछ समितियों में तेंदूपत्ता कम है।
लगातार कर रहे मानिटरिंग
जिला वनोपज सहकारी संघ मर्यादित कार्यालय से विभागीय अधिकारी लगातार तेंदूपत्ता संग्रहण की मानिटरिंग कर रहे हैं। सभी फड़ों तक अधिकारी पहुंच रहे हैं और लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेंदूपत्ता संग्रहण से जुड़ी कई तरह की जानकारी दे रहे हैं।
कड़ी मेहनत से तेंदूपत्ता तोड़ने के बावजूद नहीं मिलता वाजिब दाम
विकासखंड के दानव करवट पहाड़ के किनारे बसे मजदूरों द्वारा तेंदूपत्ता तोड़ का अपने परिवार का पालन पोषण कर जीवन यापन करते हैं तेंदू की ताजी पत्तियां तोड़ने के बाद गड्डियां बनाकर ग्रामीण निकटवर्ती फड़ पर विक्रय करते हैं। सौ तेंदू पत्ते के एवज मे 400 से 500 रुपये का भुगतान करते है। तेंदूपत्ता तोड़ने वाले महिलाओं ने बताया कि 2 वर्षों से बोनस नहीं मिला है पहले साड़ी, जूता देते थे अब कुछ नहीं मिल रहा है। बहुत मेहनत करके पान तोड़ रहे हैं 500 बोलते हैं 400 देते हैं गरीब दुखी हैं जंगलों में 4 बजे से जाकर पान तोड़ कर लाते हैं और बेच कर परिवार का पालन पोषण करते है। शासनस्तर पर धनराशि का इजाफा होने की स्थिति में मजदूरों को बोनस के रूप में अतिरिक्त धनराशि का भुगतान किया जाता है साथी उनके बच्चे को पढ़ाई लिखाई के लिए भी राशि दिया जाता है एवं घर के सदस्यों मुखिया का मृत्यु हो जाने पर बोनस ₹2 लाख की राशि मिलता है।तेंदूपत्ता दौड़कर हम अपने घर परिवारों का पालन पोषण करते है