रायगढ़। डीएमएफ को लूटने में किसी भी विभाग ने रहमदिली नहीं दिखाई। निष्ठुर होकर आवंटित राशि को खर्च किया गया। नेपियर घास के नाम पर तो हद ही हो गई। अफसरों ने हाईब्रिड नेपियर घास रूट के नाम पर 20 लाख रुपए चर लिए। इसमें ताजा खुलासा दरों को लेकर हुआ है। एक फर्म से कोटेशन मंगाने पर पता चला कि इसकी कीमत 80 पैसे है जिसे डेढ़ रुपए देकर खरीदा गया। हर साल डीएमएफ में करोड़ों रुपए पाने वाले रायगढ़ जिले का कायाकल्प हो जाता अगर सही तरीके से रकम खर्च की जाती। जहां जरूरत है वहां को छोडक़र मनमाने सामग्री क्रय में ही डीएमएफ की रकम खपा दी गई।
ताजा मामला नेपियर रूट क्रय का है। जिले के 389 गोठानों में नेपियर रूट खरीदकर लगाने के लिए पशु चिकित्सा सेवाएं विभाग को डीएमएफ से 22,21,968 रुपए स्वीकृत किए गए थे। तत्कालीन उप संचालक आरएच पांडे ने इसमें से 19,99,771 रुपए 150 गोठानों में व्यय कर दिए। बेहद चतुराई से राशि से सीधी खरीदी के बजाय 150 गोठान समितियों को रकम भेजी गई। कुल 13,33,100 नेपियर रूट खरीदी गई। आश्चर्यजनक बात यह है कि सभी गोठान समितियों को एक ही फर्म शरण साइलेज फाम्र्स प्रालि भिलाई से खरीदी करने को कहा गया। डेढ़ रुपए प्रति रूट की दर से 19,99,650 रुपए खर्च किए जा चुके हैं। अब जो खुलासा हुआ है, उससे पूरा खेल सामने आ गया है। जिस नेपियर रूट को डेढ़ रुपए की दर से खरीदा गया, वह महज 80 पैसे का है। मतलब उप संचालक आरएच पांडे ने दोगुनी कीमत में खरीदी की। कमीशनखोरी के जरिए लाखों रुपए संबंधित फर्म से ही ले लिए गए।
एक लाख रूट के कोटेशन मंगवाए तो रेट 80 पैसे
इसकी पड़ताल करने के लिए हमने शरण साइलेज फाम्र्स प्रालि की तरह ही रायपुर की एक फर्म कामधेनु एग्रोट्रेड प्रालि से सुपर नेपियर रूट या स्टेम के कोटेशन मांगे। फर्म की ओर से 10 हजार स्टेम होने पर एक रुपए और एक लाख स्टेम होने पर दर 80 पैसा कर दिया। रायगढ़ में तो 13,33,100 स्टेम खरीदी का आदेश दिया गया। मतलब इसकी कीमत 80 पैसे से भी कम रही होगी। मान लिया जाए कि 75 पैसे की दर से खरीदी की गई होती तो आधी रकम की बंदरबांट कर ली गई। यह इतनी बड़ी गड़बड़ी है, जिसकी जांच कराने पर कई अधिकारी फंसेंगे।