Raigarh News: वैदिक इंटरनेशनल स्कूल का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहा…कक्षा 10वीं की छात्रा गिरिबाला पटेल 97% एवं 12वीं से सुनंदा गुप्ता ने 96% प्राप्त कर विद्यालय एवं पूरे शहर को किया गौरवान्वित

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रायगढ़ टॉप न्यूज 15 मई 2023। वैदिक इंटरनेशनल स्कूल विगत 15 वर्षों से संबलपुर (उड़ीसा )में विख्यात शिक्षण संस्थान है जहां खेल ,ज्ञान और विज्ञान का अनूठा संगम हैल वैदिक इंटरनेशनल स्कूल के स्वप्न दृष्टा,ऊर्जावान प्रेरक, चेयरमैन श्री आनंद अग्रवाल जी का अथक प्रयास है। जिसके कारण यह विद्यालय दिन-ब-दिन नए-नए आयामों को हासिल कर रहा है।

वैदिक इंटरनेशनल स्कूल रायगढ़ इसकी नई शाखा है जो कुछ ही वर्षों में रायगढ़ शहर में अपनी अनूठी छाप छोड़ चुका है यह सर्व सुविधा युक्त विद्यालय है जहां छात्रावास, पुस्तकालय ,संगीत ,कला के साथ-साथ छात्रों में सामाजिक दायित्व व नैतिक मूल्यों को भी बढ़ावा दिया जाता है प्रतिवर्ष विद्यालय ने अपने परीक्षा परिणाम में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। और इस वर्ष में भी कक्षा 10वीं और 12वीं का परीक्षा परिणाम शत प्रतिशत रहा। जिसमें कक्षा दसवीं की छात्रा गिरिबाला पटेल 97℅ के साथ ही कक्षा बारहवीं से सुनंदा गुप्ता 96% एवं सभी छात्रों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विद्यालय एवं पूरे शहर को गौरवान्वित किया है।











सुविधाओं की दृष्टि से इस विद्यालय में रोहित शर्मा क्रिकेट एकेडमी की भी शुरुआत हो चुकी है जो पूरे शहर के लिए गौरव की बात है साथ ही यहां वॉलीबॉल , बैडमिंटन , लॉन टेनिस आदि सभी खेलों की सुविधा है छात्रों में विज्ञान के प्रति अभिरुचि बढ़ाने के लिए फिजिक्स लैब, केमिस्ट्री लैब , बायो लैब ,मैथ्स लैब के साथ-साथ सोशल साइंस लैब भी है किंतु इन सब में विशेष है ATL लैब जहां रोबोटिक के साथ-साथ आधुनिक मशीनों की भी जानकारी दी जाती है व सिखाया जाता है।

विद्यालय पूर्ण रूप से प्रतिबंध है अपने छात्रों व अभिभावकों के प्रति क्योंकि विद्यालय के पास छात्रों को मूल्य आधारित शिक्षा प्रदान करने और गतिशील सीखने का वातावरण प्रदान करता है विद्यालय के प्रथम मार्गदर्शक प्राचार्य महोदया पुष्पिता बृजकिशोर सिन्हा जी व उनके साथ ही साथ प्रतिभाशाली ऊर्जावान शिक्षकगण के मार्गदर्शन में विद्यालय को एक नई दिशा प्रदान की जा रही है विद्यालय के चेयरमैन श्री आनंद अग्रवाल जिनके मन में शिक्षा को पारंपरिक पद्धति से बढ़ाकर आधुनिक व व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करना है उनका मानना है कि बच्चों में रटंत पद्धति को हटाकर मौलिक व बौद्धिक क्षमता को विकसित करना ताकि छात्र स्वयं सुदृढ़ व प्रतिभाशाली बनकर अपनी लक्ष्य को प्राप्त कर सकें ।







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