Raigarh News: जिले में फिर एक उद्योग के विस्तार के लिए जन सुनवाई.. सुनील स्पंज लिमिटेड के क्षमता विस्तार की जनसुनवाई 29 मार्च को

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रायगढ़ । तमाम कवायद और विरोध के बाद भी रायगढ़ जिले में उद्योगों के विस्तार और स्थापना का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब आने वाले दिनों में सुनील इस्पात के विस्तार और स्थापना को लेकर जनसुनवाई रखी गई है यह क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जो प्रदूषण की भयावह चपेट में है। इसके बावजूद सुनील इस्पात को विस्तार के लिए अनुमति दे दिया जाना व्यवस्था पर एक बड़ा कुठाराघात है।

आगामी 29 मार्च को मेसर्स सुनील स्पंज के क्षमता विस्तार की जनसुनवाई बंजारी मंदिर प्रांगण में रखी गई है। चूँकि इस उद्योग के आसपास और भी कई बड़े उद्योग स्थापित हैं जिनकी हालिया विस्तार की जनसुनवाई संपन्न हुई है। इन उद्योगों के विस्तार के साथ इस उद्योग का आगामी विस्तार इस क्षेत्र के लिये भारी नुकसान दायक साबित होगा। जर्जर सड़क और लगभग खत्म होती वन सम्पदा के कारण आने वाला समय इस क्षेत्र के निवासियों के लिये काफी भयावह होगा।























जिलेवासी लगातार भयावह प्रदूषण की चपेट में आते जा रहे हैं जिले में काला डस्ट एक भयंकर राक्षस के तौर पर मानव जीवन को लीलने की ओर कदम बढ़ा रहा है। जिले की आबोहवा की विरासत धूल गुबार काला डस्ट फ्लाई ऐश की उड़ती परत के बीच जीने को मजबूर हैं। जन सुनवाई मतलब विरोध प्रदर्शन करना मकसद नहीं अनियंत्रित औद्योगिक विकास का है जहां प्रदूषण पहले से ही भयावह स्थिति में है। जिले की खराब आबोहवा की वजह से शरीर के बाहर और अंदर दोनों से चोट कर रहा है और यह चोट आम जन मानस हर रोज हर दिन हर पल खा रहा है। आज जिले में चर्म रोगियों की अस्पतालों में भीड़ बताती है। और हर रोज सांस के साथ काला डस्ट शरीर के अंदर खा रहा है।

सराईपाली में स्थापित सुनील इस्पात का विस्तार कितने का हो रहा है। यह आप जानेंगे तो हैरान हुए बिना नहीं रह सकेंगे। सुनील इस्पात में स्पंज आयरन प्लांट की क्षमता 29.700 PTA है। इसका 10 गुणा, 20 गुणा, नहीं बल्कि क्षमता बढ़कर 2 लाख 11 हजार 200 TPA हो जायेगा । अब सिर्फ इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है की कहां 29.77 और कहां 2,11,200 PTA हो जाना। अब यह कितना गुना हुआ और इतना बढ़ने के बाद क्षेत्र और कितना अधिक प्रदूषित होगा।

पर्यावरण प्रदूषण जल जंगल जमीन जैसे मुद्दों पर काम करने वाली देश की एनजीटी ने भी कई शोध रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार इस पूरे बेल्ट में और औद्योगिक विस्तार और स्थापना नहीं होना चाहिए और इस प्रतिबंध लगाने की बात कही गई है। इस रिपोर्ट के आधार पर सोसल वर्करों का विरोध होता है इसके अलावा इनकी ईआइए रिपोर्ट के आधार पर जन सुनवाइयों में पर्यावरण प्रदूषण, जल जंगल वन्य जीव के मुद्दे भी उठाए जाते हैं जो जरूरी भी है। इनकी इआईए रिपोर्ट में ही ढेरों खामियां होती है लेकिन इसे देखता कौन है। यदि इनके ईआईए रिपोर्ट पर कोर्ट और शासन प्रशासन सख्त हो जाए तो उद्योगों के अनियंत्रित विकास पर रोक लगाई जा सकती है। सुनील इस्पात के क्षमता विस्तार हो जाने से लाखा देलारी गेरवानी तराईमाल भुईकुर्री समारुमा सरायपाली जैसे कई गांव भयंकर प्रदूषण की चपेट में आ जाएंगे जहां पहले ही इतनी औद्योगिक प्रदूषण ने जन मानस का जीना मुहाल कर दिया है।

शासन प्रशासन का आदेश जनहित में नहीं – राजेश त्रिपाठी
शासन प्रशासन को एनजीटी के उस आदेश को पढ़ना चाहिए कि आखिर जिले में नए उद्योगों की स्थापना और पुराने उद्योगों के विस्तार का क्यों विरोध किया जाता है। जल जंगल जमीन खान खनन प्रभावित क्षेत्र के लोगों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता राजेश त्रिपाठी का स्पष्ट कहना है की शासन प्रशासन एनजीटी के उस आदेश को मानती नहीं जिसमे कहा गया हैं की इस क्षेत्र में और उद्योगों को बढ़ावा नहीं दिया जाए। यानी न तो नए उद्योगों के स्थापना की अनुमति दी जाए और न ही पुराने स्थापित उद्योग का विस्तार किया जाए। क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। और जब तक की इस क्षेत्र का दुबारा पर्यावरणीय अध्ययन न हो जाए और उसकी रिपोर्ट न आ जाए। सब जानते हैं की क्षेत्र में औद्योगिक प्रदूषण बहुत भयावह स्तर पर पहुंच गया है बावजूद इसके शासन प्रशासन द्वारा उद्योगों की स्थापना और विस्तार की लगातार अनुमति दी जा रही है। शासन प्रशासन का निर्णय आम जनता के हित में नहीं है।



































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