छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता में किया गया है संशोधन
कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने सभी एसडीएम, तहसीलदार और पंजीयकों को पत्र जारी कर संशोधनों के कड़ाई से पालन के दिए हैं निर्देश






रायगढ़, 16 मई 2025/ राज्य शासन द्वारा छत्तीसगढ़ में भू राजस्व अधिनियम, 2024 के अंतर्गत भू राजस्व संहिता में संशोधन किया गया है। जिसके अनुसार भू अर्जन भूमि के अर्जन की प्रक्रिया हेतु अपेक्षक निकाय से किसी प्रस्ताव के प्राप्त होने पर या भू-अर्जन की प्रक्रिया हेतु किसी अधिसूचना के जारी होने पर या खनन के लिये किसी आशय पत्र के जारी होने पर उक्त भूमि की बिक्री, डायवर्सन और बंटवारे पर रोक लगा दिया गया है। छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधरण) दिनांक 03 मार्च 2025 में छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता संशोधन अधिनियम, 2024 में प्रकाशित अनुसार भू-अर्जन से संबंधित संशोधन कर अन्तःस्थापित किये जाने हेतु प्रकाशन किया गया है।
कलेक्टर श्री मयंक चतुर्वेदी ने जिले के सभी एसडीएम, तहसीलदार और पंजीयक एवं उप पंजीयक को पत्र लिखकर शासन के उक्त संशोधनों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं। जारी पत्र में उल्लेख है कि मूल अधिनियम की धारा 165 की उप धारा (7ख) के पश्चात (7-ग) उप-धारा (1) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी, भूमि के अर्जन की प्रक्रिया हेतु अपेक्षक निकाय से किसी प्रस्ताव के प्राप्त होने पर या भू-अर्जन की प्रक्रिया हेतु किसी अधिसूचना के जारी होने पर या खनन के लिये किसी आशय पत्र के जारी होने पर उक्त भूमि का अंतरण नहीं किया जाएगा।
मूल अधिनियम की धारा 172 की उप धारा (2) के पश्चात (2-क) की उपधाराओं (1) एवं (2) में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी, अपेक्षक निकाय से किसी प्रस्ताव के प्राप्त होने पर या भू-अर्जन की प्रक्रिया हेतु किसी अधिसूचना के जारी होने पर या खनन के लिये किसी आशय पत्र के जारी होने पर उक्त भूमि का व्यपवर्तन नहीं किया जाएगा।
मूल अधिनियम की धारा 178-ख की उप-धारा (5) के पश्चात (6) उपरोक्त उप-धाराओं में अन्तर्विष्ट किसी बात के होते हुये भी, अपेक्षक निकाय से किसी प्रस्ताव के प्राप्त होने पर या भू-अर्जन की प्रक्रिया हेतु किसी अधिसूचना के जारी होने पर या खनन के लिये किसी आशय पत्र के जारी होने पर उक्त भूमि का खाता विभाजन नहीं किया जाएगा।
