रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और जशपुर की 129 खदानों पर एनजीटी का बड़ा आदेश, रॉयल्टी पर संचालित होंगे खनन कार्य

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रायगढ़।  छत्तीसगढ़ के रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और जशपुर जिलों में स्थित 129 गौण खनिज खदानों पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बड़ा आदेश जारी किया है, जिसके तहत इन खदानों को तत्काल प्रभाव से बंद किया जा रहा है। एनजीटी ने दिसंबर 2023 में स्पष्ट रूप से आदेश दिया था कि ऐसे खनिज खदानों को बंद किया जाए जिनको जिला स्तरीय प्राधिकरण से पर्यावरणीय अनुमति दी गई है, लेकिन राज्य स्तरीय प्राधिकरण से अनुमति नहीं ली गई है। इसके साथ ही, इस आदेश के बाद किसी भी खदान में खनन कार्य जारी नहीं किया जा सकेगा, यदि उनके पास राज्य स्तरीय पर्यावरणीय स्वीकृति (सीआ) नहीं है।

इस आदेश का प्रभाव रायगढ़, सारंगढ़-बिलाईगढ़ और जशपुर के 129 खनिपट्टों पर पड़ा है। इनमें रायगढ़ जिले के 14, जशपुर जिले के 84 और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के 29 खनिपट्टे शामिल हैं। इन खदानों को संचालन के लिए पहले मिली पर्यावरणीय स्वीकृतियों को निरस्त कर दिया गया है, और अब इन खदानों के संचालन के लिए सीआ से नई पर्यावरणीय स्वीकृति लेना अनिवार्य होगा।























एनजीटी के आदेश के कारण हुआ खनन कार्य पर असर

एनजीटी के आदेश के बाद, पर्यावरण विभाग ने इन खदानों को बंद करने का आदेश दिया है, जिससे इस क्षेत्र के खनन कार्यों पर गंभीर असर पड़ेगा। पहले से जिले स्तर पर मिली पर्यावरणीय अनुमतियों को निरस्त करने के साथ ही, इन खदानों को अब बिना राज्य स्तरीय पर्यावरणीय स्वीकृति के संचालित नहीं किया जा सकता। इन खदानों में रेत, डोलोमाइट, लाइमस्टोन, क्वार्ट्ज, फायरक्ले, साधारण पत्थर जैसे गौण खनिजों का खनन किया जा रहा था।

एनजीटी ने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि जिन खनन पट्टों को डिस्ट्रिक्ट इन्वायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (डीआ) से पर्यावरणीय स्वीकृति मिली थी, उन खदानों का संचालन राज्य स्तरीय पर्यावरणीय स्वीकृति (सीआ) के बिना अवैध होगा। इसके बाद पर्यावरण विभाग ने जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़ के 129 खनिपट्टों की स्वीकृतियों को निरस्त कर दिया और खनन कार्य बंद करने का आदेश दिया।

खनिज विभाग को मिला बंद करने का आदेश

खनिज विभाग को भी अब इन खदानों को बंद करने का आदेश दिया गया है। यह आदेश राज्य सरकार के पर्यावरण विभाग की ओर से जारी किया गया था, जिसमें यह कहा गया है कि किसी भी खदान को सीआ से स्वीकृति प्राप्त किए बिना खनन कार्य नहीं किया जा सकता। एनजीटी ने इस फैसले के पीछे यह तर्क दिया था कि पर्यावरणीय सुरक्षा के मद्देनजर खनन कार्य को पूरी तरह से पर्यावरणीय नियमों के तहत नियंत्रित किया जाना चाहिए, और अगर खनन बिना उचित अनुमतियों के किया जाता है तो यह पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।

रायगढ़ जिले की प्रभावित खदानें

रायगढ़ जिले में इस आदेश का असर पड़ने वाली खदानों में कई प्रमुख खनिपट्टे शामिल हैं। इनमें से कुछ प्रमुख खदानों के नाम निम्नलिखित हैं:

शिवकुमारी राठिया

विजय अग्रवाल

विंकल मित्तल

अशोक अग्रवाल

नटवर गोपाल अग्रवाल

रासबिहारी गुप्ता

मंगल स्टोन क्रशर

महेश गर्ग

शालिनी इंटरप्राइजेस

रमेश होता

गौतम अग्रवाल

मुकेश अग्रवाल

ऋषभ अग्रवाल

भरत मिरानी

सविता अग्रवाल

इन खदानों में खनन कार्य पहले डीआ से मिली पर्यावरणीय स्वीकृति के आधार पर चल रहा था, लेकिन अब इन्हें सीआ से स्वीकृति प्राप्त करनी होगी। अगर इन खदानों से संबंधित खनन कंपनियां या खनन पट्टाधारक इस प्रक्रिया को पूरा नहीं करते, तो उन्हें खनन कार्य जारी रखने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले की प्रभावित खदानें

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में भी कई खदानों को एनजीटी के आदेश के कारण बंद करने का आदेश दिया गया है। यहां की प्रमुख प्रभावित खदानें हैं:

हिलब्रो मेटलिक्स एंड कंस्ट्रक्शन

कृष्ण कन्हैया पटेल

रमेश कुमार घनश्याम अग्रवाल

अग्रसेन माइंस एंड मिनरल्स

मां भवानी ग्रामोद्योग

प्रदीप अग्रवाल टिमरलगा

बालाजी माइंस एंड मिनरल्स

आर्यन मिनरल्स एंड मेटल्स

पीलाबाबू पटेल महुआपाली

आराधना पटेल कटंगपाली

हर्ष मिनरल्स कटंगपाली

मां शक्ति मिनरल्स गुड़ेली

हिलब्रो मेटलिक्स टिमरलगा

उषा अग्रवाल सहजपाली

महामिया मिनरल्स कटंगपाली

इन खदानों के संचालन को पहले डीआ द्वारा अनुमति दी गई थी, लेकिन अब इन्हें राज्य स्तरीय पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

जशपुर जिले की खदानें

जशपुर जिले में भी 84 खनिपट्टे इस आदेश से प्रभावित हुए हैं। इन खदानों को भी पहले डीआ से अनुमति मिली थी, लेकिन अब इन्हें सीआ से पुनर्मूल्यांकन कर पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त करनी होगी।

खनन पट्टाधारकों को क्या करना होगा?

अब इन खदानों के मालिकों या खनन पट्टाधारकों को अपनी खदानों के संचालन के लिए सीआ से नए पर्यावरणीय अनुमतियों के लिए आवेदन करना होगा। इस प्रक्रिया के तहत खनन के पर्यावरणीय प्रभाव का फिर से आकलन किया जाएगा और यदि आवश्यक हुआ, तो खनन को लेकर नई शर्तें लागू की जाएंगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि खनन कार्य पर्यावरणीय मानकों का पूरी तरह से पालन करे और किसी भी प्रकार का पर्यावरणीय नुकसान न हो।

रॉयल्टी की स्थिति

इसके अलावा, इन खदानों में अब रॉयल्टी का भुगतान नहीं किया जाएगा, क्योंकि इन खदानों की पर्यावरणीय स्वीकृति निरस्त कर दी गई है। खनन कार्य जारी रखने के लिए पहले सीआ से नए अनुमतियों की आवश्यकता होगी, तब जाकर रॉयल्टी और अन्य कानूनी दायित्वों को पूरा किया जा सकेगा।

बहरहाल एनजीटी का यह आदेश छत्तीसगढ़ के खनिज उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है, क्योंकि यह पर्यावरणीय सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ा कदम है। हालांकि, यह खनन उद्योग में लगे कर्मचारियों और खनन पट्टाधारकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह सुनिश्चित करेगा कि खनन कार्य पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप हो और राज्य की पारिस्थितिकी का नुकसान न हो।



































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