रायगढ़ के डॉ योगेन्द्र चौबे ने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका, निर्णायक मण्डल में रहे शामिल, बढ़ाया जिले का मान

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रायगढ़। कला एवं सस्ंकृति की नगरी रायगढ़ में हुए तीन दिवसीय रामायण महोत्सव में रामायण के अरण्यकाण्ड पर आधारित नृत्य नाटिका की प्रतियोगिता में देश के विभिन्न राज्यों से आये कलाकारों ने दर्शकों को भाव विभोर कर दिया था। यही वजह र्है कि इस रामायण महोत्सव को काफी सराहना मिली और गिनिज बुक ऑफ वल्र्ड में महोत्सव का नाम दर्ज हुआ। वहीं दूसरी ओर प्रति ाागियों के जजमेंट के लिए देश के अलग अलग हिस्सों से चार सदस्यीय जूरी नियुक्त की गई थी। खासकर रायगढ़ शहर के लिए यह गर्व की बात है कि जूरी के एक सदस्य डॉ योगेन्द्र चौबे थे जो इसी शहर में पले बढ़े है। इतने भव्य आयोजन में जूरी सदस्य बनने से रायगढ़ का नाम पूरे देश में हुआ। योगेन्द्र चौबे ने इस विषय पर कहा कि अपने शहर में इतने बड़े स्तर के कार्यक्रम में जूरी का सदस्य बनने पर मै स्वंय को गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। उन्होने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव की तारीफ करते हुए कहा कि कला नगरी रायगढ़ में ऐसे आयोजन होते रहे जिससे स्थानीय कलाकारों को राष्ट्रीय स्तर का मंच अपने घर पर ही मिल सके।

 













डॉ योगेन्द्र चौबे शिक्षा दिक्षा रायगढ़ में ही हुई है। जीवन के शुरूवात से ही योगेन्द्र की रूचि नाटक व गायन के क्षेत्र में रही है। देश के सर्वाच्च नाट्य संस्थान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली से परिकल्पना व निर्देशन में विशेषज्ञता प्राप्त योगेन्द्र चौबे इदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय पीएचडी कर इसी विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता के पद पर कार्यरत है। कई राष्ट्रीय स्तर के मंच पर नाटकों में अभिनय व निर्देशन कर डॉ योगेन्द्र चौबे ने रायगढ़ जिले का नाम रोशन किया है। वहीं दूरदर्शन के लिए निर्मित टेलीफिल्म धरती अब ाी घूम रही है कि लिए कला निर्देशन किया है, इसके अलावा श्री चौबे द्वारा निर्देशित फीचर फिल्म गांजे की कली देश के महत्वपूर्ण फिल्म समारोहों में प्रदर्शित की जा चुकी है और पुरस्कृत भी हुई है। वर्तमान में श्री चौबे इदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में अधिष्ठाता के साथ ही सस्ंकृति मंत्रालय भारत सरकार की एक्सपर्ट कमेटी के सदस्य तथा संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के एडवायजरी कमेटी के सदस्य हैं।

लोक में राम
राष्ट्रीय रामयण महोत्सव में जूरी के सदस्य रहे डॉ योगेन्द्र चौबे ने भगवान श्री राम को लेकर अपनी एक अदभूत प्रस्तुती भी तैयार की है। छत्तीसगढ़ के लोक जीवन मेें श्री राम को रेखांकित करते हुए लोक में राम की प्रस्तुती भी दी है जो काफी चर्चित रही। इसमें लोग प्रभू श्री राम से अपनत्व को आसानी से जोड़ पाये। विदित हो कि डॉ चौबे बतौर निर्देशक व अभिनेता के रूप में देश भर में किये विभिन्न नाटको में बाबा पाखण्डी, पाहटिया, मधुशाला, लुकवा का शहनामा, गधों का मेला, सर्जिकल स्ट्राइक, ग्लोबल राजा,रानी दाई डभरा के , स्मरण मुक्तिबोध विशेष तौर पर चर्चित रहे।





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