रायगढ़। केंद्र सरकार ने घरेलू इस्पात उद्योग की सुरक्षा के लिए फ्लैट स्टील उत्पादों के आयात पर 12% सेफगार्ड ड्यूटी लगा दी है, जो 21 अप्रैल से अगले 200 दिनों तक प्रभावी रहेगी। इस कदम का उद्देश्य चीन, दक्षिण कोरिया और जापान से सस्ते स्टील आयात को नियंत्रित करना है, जिससे घरेलू इस्पात निर्माताओं को राहत मिले।





डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ ट्रेड रेमेडीज़ द्वारा की गई जांच में पाया गया कि उपरोक्त देशों से स्टील आयात से घरेलू उद्योग को ‘गंभीर नुकसान’ हो रहा था। गौरतलब है कि भारत, जो दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक देश है, वित्त वर्ष 2024-25 में तैयार स्टील का शुद्ध आयातक देश बन गया और कुल आयात 95 लाख टन के साथ 9 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। इस फैसले का भारतीय इस्पात संघ (आईएसए) और देश के प्रमुख उद्योगपतियों ने स्वागत किया है। भारतीय इस्पात संघ के अध्यक्ष और जिन्दल स्टील एंड पावर के चेयरमैन नवीन जिन्दल ने इसे आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मील का पत्थर करार दिया है। उन्होंने कहा, “हम सरकार के इस निर्णायक कदम के लिए आभारी हैं कि फ्लैट स्टील उत्पादों पर 12% सेफगार्ड ड्यूटी लगाई गई है, जो कि अव्यावहारिक कीमतों पर आ रहे आयात को रोकने के लिए बेहद आवश्यक था। सरकार का यह सहयोग निवेशकों को 2030 तक 300 मिलियन टन की क्षमता निर्माण के लक्ष्य की ओर एक नए जोश के साथ काम करने के लिए प्रेरित करेगा और आत्मनिर्भर भारत तथा विकसित भारत के निर्माण के लिए अग्रसर करेगा। हम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्व और इस्पात व इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के प्रति अटूट समर्थन के लिए उनका धन्यवाद करते हैं।” टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, आर्सेलर मित्तल निप्पॉन स्टील इंडिया और जिन्दल स्टील एंड पावर जैसी कंपनियों को इस निर्णय से सीधे लाभ की उम्मीद है। लगातार दूसरे वर्ष स्टील का शुद्ध आयातक बन जाना, देश के इस्पात क्षेत्र के लिए चिंता का विषय बन गया था। ऐसे में यह सेफगार्ड ड्यूटी न केवल एक सुरक्षात्मक उपाय है, बल्कि यह घरेलू विस्तार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए एक रणनीतिक कदम भी है। श्री नवीन जिन्दल लंबे समय से इस क्षेत्र के हितों की पुरज़ोर वकालत करते रहे हैं। इस दिशा में उन्होंने नीति-निर्माताओं के साथ संवाद में निर्णायक भूमिका निभाई है। उनकी नेतृत्व क्षमता और प्रतिबद्धता ने यह सुनिश्चित किया कि देश के इस्पात उद्योग को नीतिगत समर्थन मिले। भारत को 5 ट्रिलियन (खरब) डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में यह निर्णय एक मजबूत संकेत है कि सरकार घरेलू उद्योगों के साथ खड़ी है और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है।
