रायगढ़

Raigarh: बाजार में बढ़ने लेगी है देसी फ्रिज मटका व घड़ा की डिमांड, देंगे ठंडक का अहसास

 

रायगढ़: संसाधन चाहे जितना भी विकसित हो लेकिन परंपरागत वस्तुओं का उपयोग तथा महत्व कभी भी कम नहीं होता है। अब जब गर्मी अपना प्रचंड रूप धारण करने लगी है तो ऐसे में एसी, फ्रिज और पंखे की दुकानों के साथ-साथ मिट्टी के मटके और सुराही की दुकानें भी सजने लगी हैं। शहर में जगह जगह पर मिट्टी के बर्तनों की दुकानें सजी हुई हैं, जहां लोग मटके और सुराही की खूब खरीदारी कर रहे हैं।

प्रचंड गर्मी में कुम्हारों द्वारा कई किस्म के घड़े बाजार में बेचे जा रहे हैं। मांग के बढ़ने के साथ-साथ इनकी कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। स्वास्थ्य के लिए इसका पानी उत्तम है। शहर के चक्रधर नगर, शहीद चौक, हंडी चौक समेत कई स्थानों पर मिट्टी के घड़े बिकने के लिए सजे हैं।

भीषण गर्मी में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए इन दिनों मटके की मांग काफी बढ़ गई है। बाजार में एक घड़े की कीमत 80 से 100 रुपए बिक रहा है। समय बदलने के साथ कुम्हारों द्वारा मटका निर्माण में भी कई प्रयोग किए गए हैं। टोटी लगे मटके लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

गर्मी का मौसम शुरू होते ही आम आदमी को गर्मी से निजात पाने के लिए ठंडे पानी की आवश्यकता महसूस होने लगी है। कई संपन्न लोग भी फ्रिज की बजाए मिट्टी के मटके का पानी पीना ज्यादा पसंद करते हैं। वर्तमान समय में शहर में रहने वाले अधिकांश लोगों के घरों में फ्रिज की सुविधा उपलब्ध है, फिर भी मिट्टी के मटके का क्रेज तनिक भी कम नहीं हुआ है।

मटके की खरीदारी कर रहे लोगों ने बताया कि घर में फ्रिज भी है, लेकिन हमें मटके का पानी पीने की ही आदत है। मटके का पानी शीतल रहने के साथ-साथ बेहतर स्वाद युक्त होता है। सुराही का मोलतोल कर रहे लोगों ने बताया कि मिट्टी के बर्तन को प्राकृतिक पदार्थ शुद्ध माना गया है। इसमें पानी रखने से शीतलता के साथ-साथ कई खनिज लवण शरीर को प्राप्त होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। इधर मांग बढ़ने पर कुंभकार भी खुश नजर आ रहे हैं।

मटका बनाने की प्रक्रिया
सबसे पहले मिट्टी को लाया जाता है और उसे पानी में भिगोकर नरम किया जाता है। फिर इसे अच्छी तरह छाना जाता है ताकि कोई कंकड़ या गंदगी न रहे। जब मिट्टी सही रूप से तैयार हो जाती है, तब उससे मटके, सुराहियां और अन्य मिट्टी के बर्तन बनाए जाते हैं। इसके बाद इन्हें पकाने के लिए भट्टी में रखा जाता है। मटके तैयार होने के बाद इन्हें बाजारों में थोक रेट पर बेचा जाता है।

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स्वामी, संचालक – अनिल रतेरिया पता – गौरीशंकर मंदिर रोड़, रायगढ़ (छ.ग.) ईमेल: [email protected] मोबाईल नं.: +91-9827197981

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