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पीएम मोदी ने महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री को जन्मदिन पर किया नमन, राजघाट और विजय घाट पर दी श्रद्धांजलि 

 

नई दिल्ली: देशभर में आज जहां दशहरे का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है, वहीं राष्ट्र अपने दो महान विभूतियों को उनके जन्म दिन पर याद कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर उनकी समाधि राजघाट पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद वे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के समाधि स्थल विजय घाट भी पहुंचे और जन्म दिन पर उन्हें नमन किया, श्रद्धांजलि अर्पित की।

मानव इतिहास की दिशा बदल दी
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘गांधी जयंती प्रिय बापू के असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिनके आदर्शों ने मानव इतिहास की दिशा बदल दी। उन्होंने दिखाया कि कैसे साहस और सादगी महान परिवर्तन के साधन बन सकते हैं।’’ मोदी ने कहा कि गांधी सेवा और करुणा की शक्ति को लोगों को सशक्त बनाने का आवश्यक साधन मानते थे।

 

 

 

प्रधानमंत्री ने देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को भी श्रद्धांजलि दी, जिनकी जयंती भी बृहस्पतिवार को है। उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री एक असाधारण राजनेता बताया जिनकी ईमानदारी, विनम्रता और दृढ़ संकल्प ने भारत को मजबूत बनाया। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘लाल बहादुर शास्त्री अनुकरणीय नेतृत्व, शक्ति और निर्णायक कार्रवाई का प्रतीक थे। ‘जय जवान जय किसान’ के उनके आह्वान ने हमारे लोगों में देशभक्ति की भावना जगाई। वह हमें एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के प्रयास में प्रेरित करते रहते हैं।’’

 

 

 

स्वदेशी उत्पादों को खरीदना गांधी और शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि
पीएम मोदी स्वदेशी पर अत्यधिक जोर देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयों द्वारा निर्मित उत्पादों को खरीदना गांधी और शास्त्री को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि स्वदेशी एक आत्मनिर्भर और विकसित भारत की नींव है। गुजरात में 1869 में जन्मे गांधी को अपने युग का सबसे प्रभावशाली भारतीय माना जाता है क्योंकि उन्होंने सत्य और अहिंसा के माध्यम से देश के स्वतंत्रता आंदोलन को आकार दिया और दुनिया भर में उनके अनुयायी बने। शास्त्री का जन्म 1904 में उत्तर प्रदेश में हुआ था और जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद वह देश के प्रधानमंत्री बने। प्रधानमंत्री के रूप में उनके छोटे से कार्यकाल के दौरान जब भारत ने पाकिस्तान के साथ युद्ध लड़ा था तो उनकी ईमानदारी और देश के नेतृत्व ने उन्हें सार्वभौमिक प्रशंसा दिलाई।

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